उत्तराखंड में आरक्षण पर सरकार में रार, परिवहन मंत्री ने दी इस्तीफे की धमकी
सरकारी सेवाओं में पदोन्नति पर पहले रोक लगाने और फिर सरकारी सेवाओं में सीधी भर्ती को लेकर आरक्षण का नया रोस्टर जारी होने के बाद सरकार के भीतर रार बढ़ गई है।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Fri, 13 Sep 2019 09:04 PM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। सरकारी सेवाओं में पदोन्नति पर पहले रोक लगाने और फिर सरकारी सेवाओं में सीधी भर्ती को लेकर आरक्षण का नया रोस्टर जारी होने के बाद सरकार के भीतर रार बढ़ गई है। सरकार के इस कदम से खफा परिवहन व समाज कल्याण मंत्री और आरक्षण का नया रोस्टर तय करने को गठित कैबिनेट सब कमेटी के अध्यक्ष रहे यशपाल आर्य ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के समक्ष इस्तीफे की पेशकश कर डाली। काबीना मंत्री आर्य और सत्तापक्ष के आरक्षित वर्गों के विधायकों के रुख से गर्मा रही अंदरूनी सियासत को भांपकर सरकार ने नाराज सहयोगियों को साधने की कसरत तेज कर दी। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ट्वीट कर कहा कि पदोन्नति में आरक्षण के रोस्टर का परीक्षण करने को कैबिनेट सब कमेटी गठित की जाएगी। सब कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर सरकार आगे फैसला लेगी। उन्होंने कहा कि पदोन्नतियों में लगी रोक को शीघ्र खोला जाएगा।
पदोन्नति में आरक्षण का मसला सरकार के गले की फांस बन गया है। इस मामले से संबंधित याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है। इस बीच बीते रोज सरकार ने आदेश जारी कर सरकारी सेवाओं के सभी संवर्गों में पदोन्नति प्रक्रिया स्थगित कर दी। साथ ही सरकार ने प्रदेश के लिए निर्धारित आरक्षण का नया रोस्टर भी जारी कर दिया। आर्य ने यूं जताया विरोध
आरक्षण के नए रोस्टर में सीधी भर्ती में अनुसूचित जाति के लिए पहला पद खिसककर छठे स्थान पर चला गया। आरक्षित वर्गों के कार्मिकों के संगठन ने इसका विरोध किया। उन्होंने आरक्षित वर्गों के विधायकों के साथ ही समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य के समक्ष भी विरोध जताया। इसके बाद यशपाल आर्य ने कैबिनेट के फैसले का शासनादेश जारी नहीं करने के संबंध में सरकार और कार्मिक को पत्र लिखा। सूत्रों के मुताबिक सरकार की ओर से उक्त मामले को दोबारा कैबिनेट सब कमेटी को सौंपने का भरोसा काबीना मंत्री आर्य को दिया गया। बीती 11 सितंबर को कैबिनेट के एजेंडे में इस विषय के शामिल नहीं होने और नए आरक्षण रोस्टर के आदेश ने आर्य की नाराजगी को बढ़ा दिया।
आर्य को मनाने की हुई कोशिश
पदोन्नति पर रोक लगने और नया आरक्षण रोस्टर जारी होने की जानकारी मिलने पर काबीना मंत्री यशपाल आर्य अपनी नाराजगी जताने से नहीं चूके। बीते बुधवार को देर सायं चली मंत्रिमंडल की बैठक खत्म होने के बाद काबीना मंत्री आर्य ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात कर अपना इस्तीफे देने की पेशकश कर दी। उस वक्त वहां चार मंत्री और अधिकारी भी मौजूद थे। काबीना मंत्री आर्य के वहां से जाते ही मुख्यमंत्री ने मनुहार की कोशिशें भी तेज कर दीं। आनन-फानन एक वरिष्ठ मंत्री को वार्ता के लिए आर्य के पास भेजा गया। वरिष्ठ मंत्री सीधे यशपाल आर्य के यमुना कालोनी स्थित आवास पहुंचे, लेकिन आर्य उनसे नहीं मिले।
डेढ़ माह जारी रही मशक्कतबताते चलें कि बीती 24 जुलाई को मंत्रिमंडल ने नया आरक्षण रोस्टर तय करने को मंजूरी दी थी। इसके लिए काबीना मंत्री यशपाल आर्य की अध्यक्षता में कैबिनेट सबकमेटी गठित की गई। सबकमेटी के अन्य सदस्यों में दो मंत्री सुबोध उनियाल व अरविंद पांडे शामिल थे। सबकमेटी ने बीती 13 अगस्त को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। इस रिपोर्ट को बुधवार को मंत्रिमंडल के समक्ष रखा गया। बाद में 28 अगस्त को मंत्रिमंडल की बैठक में सबकमेटी की सिफारिशों के मुताबिक नए आरक्षण रोस्टर को मंजूरी दी गई। सरकार में अंदरखाने इस मसले पर गतिरोध का नतीजा ये हुआ कि नए आरक्षण रोस्टर का शासनादेश 11 सितंबर को कैबिनेट बैठक से ऐन पहले जारी किया। इस पूरी कसरत में तकरीबन डेढ़ माह का वक्त गुजरा।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि पदोन्नति में आरक्षण मामले में मंत्री की अध्यक्षता में सब कमेटी गठित की जाएगी। सब कमेटी की सिफारिशों के आधार पर फैसला लेंगे। पदोन्नति पर रोक लंबे समय तक जारी नहीं रहेगी। इस मामले में सरकार जल्द निर्णय करेगी। काबीना मंत्री यशपाल आर्य का कहना है कि आरक्षण मामले में आरक्षित वर्ग को न्यायोचित हक मिलना चाहिए, संविधान की मूल भावना भी यही है। इस मामले को समाज के अन्य तबकों के खिलाफ या समर्थन के नजरिये से नहीं देखा जाना चाहिए।
पहले भी आरक्षण के मुद्दे पर मुखर रहे हैं यशपाल आर्यप्रदेश की भाजपा सरकार में काबीना मंत्री यशपाल आर्य आरक्षित वर्गों के कर्मचारियों की मांगों, खासतौर पर आरक्षण रोस्टर को लेकर मुखर रहे हैं। पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान भी बतौर मंत्री उनके कार्यकाल में पदोन्नति में आरक्षण का मुद्दा गरमाया था। आर्य ने उस वक्त भी मामले में अहम भूमिका निभाई। उत्तराखंड राज्य बनने के बाद पहली निर्वाचित विधानसभा में स्पीकर रहे यशपाल आर्य कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष के रूप में लगातार दो कार्यकाल पूरा करने में कामयाब रहे। वह पिछली कांग्रेस सरकार में भी बतौर मंत्री सशक्त भूमिका में रहे। पिछली सरकार में भी पदोन्नति में आरक्षण के मुद्दे पर कर्मचारियों के संगठन आमने-सामने आ गए थे। विवाद जब आगे बढ़ा तो आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों के समर्थन में तत्कालीन काबीना मंत्री आर्य खुलकर आगे आ गए थे। यही नहीं आरक्षित वर्ग की मांगों और मुद्दों को लेकर वह कांग्रेस के भीतर भी खासे मुखर रहे।
यह भी पढ़ें: पंचायत चुनावः पैनल तैयार करने को जिलों में पर्यवेक्षक भेजेगी भाजपापिछले विधानसभा चुनाव से ऐन पहले कांग्रेस के कद्दावर नेता माने जाने वाले यशपाल आर्य पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। वर्तमान में बाजपुर सुरक्षित सीट से विधायक व मंत्री यशपाल आर्य एक बार फिर आरक्षण के नए रोस्टर के मामले में चर्चा के केंद्र में आ गए हैं। सूत्रों के मुताबिक सीधी भर्ती में आरक्षण रोस्टर तय किए जाने के मामले में उन्हें मंत्रिमंडल उपसमिति के अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। सूत्रों के मुताबिक आरक्षण के नए रोस्टर के सामने आने के बाद आरक्षित वर्गों के कर्मचारियों के संगठन उनसे मुलाकात कर रोष जता चुके हैं।
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