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सतपाल महाराज के घर की दोनों सड़कें सील, कैबिनेट मंत्री परिवार समेत पाए गए थे कोरोना पॉजिटिव

काबीना मंत्री सतपाल महाराज उनके स्वजन और कर्मचारियों के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद उनके आवास को जोड़ने वाली दोनों सड़कों (सर्कुलर रोड और म्युनिसिपल रोड) को सील कर दिया है।

By Edited By: Updated: Mon, 01 Jun 2020 10:09 PM (IST)
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सतपाल महाराज के घर की दोनों सड़कें सील, कैबिनेट मंत्री परिवार समेत पाए गए थे कोरोना पॉजिटिव
देहरादून, जेएनएन। जिला प्रशासन ने काबीना मंत्री सतपाल महाराज, उनके स्वजन और कर्मचारियों के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद उनके आवास को जोड़ने वाली दोनों सड़कों (सर्कुलर रोड और म्युनिसिपल रोड) को सील कर दिया है। इसके साथ ही दून में एक साथ दो कंटेनमेंट जोन अस्तित्व में आ गए हैं, जिसके बाद अब कुल कंटेनमेंट जोन की संख्या 17 हो गई है। 

इससे पहले जिला प्रशासन ने रविवार को सिर्फ सर्कुलर रोड को सील करने के आदेश जारी किए थे। इसके पीछे तर्क यह दिया गया था कि सतपाल महाराज के आवास पर दिल्ली से चार लोगों के आने के बाद इसी हिस्से वाले गेट के भवन को होम क्वारंटाइन बनाया गया था। तब महाराज और उनके परिवार को होम क्वारंटाइन से यह कहकर बाहर रखा गया था कि उनका आवागमन म्युनिसिपल रोड पर खुलने वाले मुख्य गेट से होता है। इसके बाद शनिवार को सतपाल महाराज की पत्नी और पूर्व मंत्री अमृता रावत की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई। तब भी कंटेनमेंट जोन बनाने जैसी जरूरत महसूस नहीं हो रही थी। 

हालांकि, रविवार को जब सतपाल महाराज समेत उनके स्वजन और कर्मचारियों को मिलाकर 22 लोगों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई तो अधिकारियों की चिंता बढ़ गई। अब कंटेनमेंट जोन (नियंत्रण क्षेत्र) बनाना जरूरी हो गया, मगर रविवार को सिर्फ सर्कुलर रोड को कंटेनमेंट जोन बनाने का आदेश जारी किया गया। इसको लेकर जागरण ने भी सवाल खड़े किए थे। जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने पूरी स्थिति पर स्वास्थ्य विभाग और पुलिस से रिपोर्ट तलब की और तय किया गया कि म्यूनिसिपल रोड को भी सील किया जाना जरूरी हो गया है। 

जिलाधिकारी के आदेश के क्रम में प्रशासन और पुलिस की टीम ने सोमवार दोपहर दो बजे तक सर्कुलर रोड (करीब 400 मीटर) व म्यूनिसिपल रोड (करीब 150 मीटर) को सील कर दिया। पाबंद किए गए क्षेत्र में जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति प्रशासन सुनिश्चित कराएगा। कम्युनिटी सर्विलांस शुरू, सहयोग नहीं कर रहे लोग कंटेनमेंट जोन बनने से पहले ही आशा कार्यकर्ताओं की टीम ने दोनों पाबंद क्षेत्र में सामुदायिक निगरानी का काम शुरू कर दिया था। हालांकि, ऊंचे गेट के भीतर झांकने की उनकी हिम्मत नहीं हो रही और कई लोगों ने उनके लिए गेट भी नहीं खोले। जहां गेट खुले भी, वहां बाहर निकले लोगों ने ढंग से जानकारी नहीं दी। 

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सामुदायिक निगरानी में यह जरूरी होता है कि घर में कितने सदस्य रहते हैं, बच्चे कितने हैं और किसी सदस्य को स्वास्थ्य संबंधी को परेशानी तो नहीं हो रही। प्रभावशाली लोगों को मिला सामान खरीदने का अवसर कंटेनमेंट जोन में शामिल क्षेत्र को एक तरह से सील कर दिया जाता है। किसी भी व्यक्ति को बाहर निकलने की अनुमति नहीं दी जाती। जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति भी मोबाइल वैन से प्रशासन करता है। हालांकि, पाबंद किए गए क्षेत्र में तमाम प्रभावशाली लोग रहते हैं। लिहाजा, परिस्थितियां ऐसी बनती दिखी कि सीलिंग का समय स्वत: आगे बढ़ता चला गया। इस दौरान कई लोगों ने सीलिंग अवधि तक के लिए जरूरी वस्तुएं बाजार से मंगा ली थीं।

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