Diwali 2022 : दो दिन अमावस्या रहने से लोगों में संशय, ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस दिन दिवाली मनाना शुभ
Diwali 2022 दीपावली पंच महापर्व का त्योहार है। इसकी शुरुआत धनतेरस से प्रारंभ होती है और भैया दूज तक रहती है। इस वर्ष दीपावली पर्व को लेकर संशय बना हुआ है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार ऐसा तिथियों के घटने बढ़ने से तथा सूर्य ग्रहण के घटित होने से हुआ है।
By Jagran NewsEdited By: Nirmala BohraUpdated: Sat, 22 Oct 2022 02:32 PM (IST)
जागरण संवाददाता, देहरादून : Diwali 2022 : कई वर्षों बाद दीपावली पर ऐसा संयोग बना है कि नरक चतुर्दशी यानी छोटी दीपावली और मुख्य पर्व दीपावली एक साथ 24 अक्टूबर को मनाई जाएगी। जबकि गोवर्धन पूजा जोकि प्रतिपदा तिथि में दीपावली से अगले दिन की जाती है इस बार 26 अक्टूबर को होगी। साथ ही इसी दिन भैया दूज का पर्व भी है।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार ऐसा तिथियों के घटने बढ़ने से तथा सूर्य ग्रहण के घटित होने से हुआ है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की परिसर स्थित श्री सरस्वती मंदिर के आचार्य राकेश कुमार शुक्ल ने बताया कि इस वर्ष दीपावली पर्व को लेकर संशय बना हुआ है। क्योंकि तिथियों के घटने-बढ़ने की वजह से अमावस्या तिथि दो दिन व्याप्त रहेगी।
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दो दिन रहेगी अमावस्या तिथि
- ब्रह्म पुराण के अनुसार जिस दिन अमावस्या तिथि निशीथ काल यानी रात्रि में व्याप्त हो उसी दिन दीपावली का पर्व मनाना शास्त्र सम्मत होता है।
- इस साल 24 अक्टूबर को अमावस्या तिथि सायंकाल पांच बजकर 25 मिनट से प्रारंभ होगी।
- अमावस्या तिथि अगले दिन 25 अक्टूबर को सायंकाल चार बजकर 15 मिनट तक रहेगी।
- 25 अक्टूबर को निशीथ व्यापिनी नहीं है। इसलिए दीपावली का पर्व 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
- उन्होंने बताया कि इस वर्ष दीपावली व्यापारी वर्ग के लिए शुभ होगी।
- चित्रा नक्षत्र एवं वैधृति योग में दीपावली का पूजन बहुत ही शुभ रहेगा।
- यह नक्षत्र और योग का संयोग व्यापारी वर्ग के लिए बहुत खास होगा।
- साथ ही राष्ट्र और समाज के लिए उन्नति कारक होगा।
- 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण लग रहा है।
पंडित जगदीश प्रसाद पैन्यूली ने बताया कि इस वर्ष छोटी एवं बड़ी दीपावली का पर्व 24 अक्टूबर को एक साथ मनाया जाएगा। उनके अनुसार भैया दूज का पर्व 27 अक्टूबर को सुबह आठ बजे तक किया जा सकता है।
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दीपावली है पंच महापर्व का त्योहार
दीपावली पंच महापर्व का त्योहार है। इसकी शुरुआत धनतेरस से प्रारंभ होती है और भैया दूज तक रहती है। इसके अंतर्गत पहला धनतेरस, दूसरा नरक चतुर्दशी, तीसरा मुख्य पर्व दीपावली, चौथा गोवर्धन पूजा और पांचवां भैया दूज यानी यम द्वितीया यह पांच पर्व आते हैं।
पंडित राकेश कुमार शुक्ल ने बताया कि दीपावली पर्व के पीछे कई पौराणिक मान्यताएं हैं। दीपावली के दिन मां लक्ष्मी, गणेश, इंद्र, कुबेर, यम आदि की पूजा की जाती है।दीपावली की रात्रि में मां लक्ष्मी की आराधना करने से दरिद्रता दूर होती है और घर में संपन्नता आती है। इस दिन दीपावली पूजन के लिए गृहस्थों के लिए प्रदोष काल का समय बहुत ही उत्तम माना गया है।
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