बिजली गुल रहने से डीएल की नहीं हो पाई फीस जमा Dehradun News
आरटीओ के आसपास के इलाके में सुबह से शाम तक बिजली गुल रहने से आवेदकों के ड्राइविंग लाइसेंस की फीस जमा नहीं हो सकी।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Thu, 14 Nov 2019 04:24 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। राजपुर रोड पर आरटीओ के आसपास के इलाके में सुबह से शाम तक बिजली गुल रहने से आवेदकों के ड्राइविंग लाइसेंस की फीस जमा नहीं हो सकी। आरटीओ के बाहर कंप्यूटर सेंटरों में आवेदक ऑनलाइन आवेदन जमा कर फीस जमा कराते हैं पर किसी भी सेंटर में काम न होने से आवेदकों को निराश होना पड़ा। जिसके चलते आरटीओ में लाइसेंस के आधे स्लॉट खाली रहे।
इन दिनों विद्युत लाइनों व ट्रांसफर्मरों के सुधारीकरण के कार्य के चलते ऊर्जा निगम शहर में जगह-जगह काम कर रहा है। इसी क्रम में राजपुर रोड के बड़े क्षेत्र में सुबह से शाम तक बिजली की आपूर्ति बाधित रही। जिस वजह से आरटीओ दफ्तर आए काफी लोगों को बैरंग लौटना पड़ा। ये लोग ड्राइविंग लाइसेंस के नवीनीकरण और लर्निंग से परमानेंट लाइसेंस आवेदन करने आए थे।आरटीओ दफ्तर में इनके आवेदन व शुल्क जमा करने का प्रावधान नहीं है। दफ्तर में केवल वाहनों का टैक्स, फिटनेस फीस, पेनाल्टी आदि जमा होते हैं। लाइसेंस से संबंधित आवेदन व फीस बाहर प्राइवेट कंप्यूटर सेंटरों से जमा होते हैं। बिजली गुल रहने से इन सभी सेंटरों में पूरा दिन काम ठप पड़ा रहा।
प्रेमनगर निवासी आयुषी चुघ ने बताया कि वे लाइसेंस आवेदन के लिए अपनी सहेली के साथ आई थी मगर लाइट नहीं आने के कारण कंप्यूटर सेंटर से फीस जमा नहीं हो सकी। इसी तरह अन्य लोगों के काम भी अटके रहे। वहीं, एआरटीओ अरविंद पांडे ने बताया कि बिजली न आने से दफ्तर के अंदर का काम प्रभावित नहीं हुआ है। दफ्तर में जेनरेटर सुविधा है।विकासनगर रूट की बसों को कलर कोड में लाने की मांग
देहरादून महानगर सिटी बस सेवा महासंघ ने परिवहन आयुक्त को पत्र देकर देहरादून से विकासनगर-डाकपत्थर रूट पर चल रही निजी बसों को कलर कोड के दायरे में लाने की मांग की है। इस रूट पर तकरीबन ढाई सौ निजी बसें स्टेज कैरिज दौड़ती हैं। सिटी बस सेवा महासंघ के अध्यक्ष विजय वर्धन डंडरियाल की तरफ से परिवहन आयुक्त को दिए पत्र में बताया गया कि नियमानुसार ये बसें नगर निगम सीमा क्षेत्र में भी नहीं चल सकती हैं।
यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में कुल 27 लाख वाहन, यातायात कर्मी महज 674इन बसों को नगर निगम सीमा तक चलाने की मांग की गई, ताकि वहां से केवल सिटी बसें ही शहर के अंदर यात्रियों को ला सकें। महासंघ ने आरोप लगाया कि इस रूट पर अन्य निजी बसें भी दौड़ती हैं, जिससे स्टेज कैरिज में दौड़ रही इन बसों की पहचान नहीं हो पाती, लिहाजा इन बसों को भी रोडवेज और सिटी बसों की तर्ज पर कलर कोड दिया जाए।
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