Black Fungus: ब्लैक फंगस के लक्षणों को हल्के में लेना पड़ सकता है भारी, बरतें ये सावधानी
Black Fungus कोरोना संक्रमण के बढ़ते दायरे और बेबस होते हालातों के बीच ब्लैक फंगस की दस्तक ने सभी को चिंता में डाल दिया है। भारत में अब तक ब्लैक फंगस के दो सौ से अधिक मामले सामने आ चुके हैं।
By Raksha PanthriEdited By: Updated: Sun, 16 May 2021 10:26 PM (IST)
जागरण संवाददाता, ऋषिकेश। Black Fungus कोरोना संक्रमण के बढ़ते दायरे और बेबस होते हालातों के बीच ब्लैक फंगस की दस्तक ने सभी को चिंता में डाल दिया है। भारत में अब तक ब्लैक फंगस के दो सौ से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। अब तक हुए अध्ययनों के बाद चिकित्सकों का मानना है कि इस घातक बीमारी के लक्षणों को हल्के में लेना जान पर भारी पड़ सकता है। देश के अलग अलग राज्यों के अस्पतालों में पिछले कुछ समय से एक रहस्यमय संक्रमण के मामले देखे जा रहे हैं, इसे ब्लैक फंगस बताया जा रहा है।
एम्स के निदेशक प्रो. रवि कांत ने बताया कि डॉक्टरी भाषा में इसे श्लेष्मा (म्यूकोर्मिकोसिस) के नाम से जाना जा रहा है। इस संक्रमण की वजह से खास कर कोविड मरीजों की स्थिति गंभीर हो रही है। डायबिटीज से पीड़ित कोविड-19 रोगियों को जिन्हें इलाज के दौरान स्टेरॉयड दिया जा रहा है, उनमें म्यूकोर्मिकोसिस या ब्लैक फंगस से प्रभावित होने की आशंका अधिक होती है। म्यूकोर्मिकोसिस बीजाणु मिट्टी, हवा और यहां तक कि भोजन में भी पाए जाते हैं, लेकिन वे कम विषाणु वाले होते हैं और आमतौर पर संक्रमण का कारण नहीं बनते हैं। कोविड-19 से पहले इस संक्रमण के बहुत कम मामले थे। अब कोविड के कारण बड़ी संख्या में इसके मामले सामने आ रहे हैं।
क्या है ब्लैक फंगस
म्यूकोर्मिकोसिस को काला कवक के नाम से भी पहचाना जाता है। इसका संक्रमण नाक से शुरू होता है और आंखों से लेकर दिमाग तक फैल जाता है। इस बीमारी में में कुछ गंभीर मरीजों की जान बचाने के लिए उनकी आंखें तक निकालनी पड़ती है। इस फंगस को गले में ही शरीर की एक बड़ी धमनी कैरोटिड आर्टरी मिल जाती है। आर्टरी का एक हिस्सा आंख में रक्त पहुंचाता है। फंगस रक्त में मिलकर आंख तक पहुंचता है। कई गंभीर मामलों में मस्तिष्क भी पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो सकता है।
लक्षणों पर नहीं किया गौर तो स्थिति हो सकती है गंभीर फंगल इंफेक्शन से गाल की हड्डी में एक तरफ या दोनों दर्द हो सकता है। यह फंगल इंफेक्शन के शुरुआती लक्षण है। विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे-जैसे ब्लैक फंगल इंफेक्शन किसी व्यक्ति को अपनी चपेट में लेता है, तो उसकी आंखों पर भी प्रभाव पड़ सकता है। इसके कारण आंखों में सूजन और रोशनी भी कमजोर पड़ सकती है। फंगल इंफेक्शन मस्तिष्क को भी प्रभावित करता है, जिससे भूलने की समस्या, न्यूरोलॉजिकल समस्याएं आ सकती हैं।
स्टेरॉयड का सही उपयोग करें चिकित्सक अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश के कोविड नोडल अधिकारी डॉ. पीके पांडा ने सभी चिकित्सकों को सलाह दी कि वे केवल और केवल तभी स्टेरॉयड का उपयोग करें जब राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय काेविड गाइडलाइन के अनुसार आवश्यक हो। उन्होंने सभी चिकित्सकों से जीवन रक्षक और जीवनदायी दवाओं का सही खुराक और सही अवधि और सही समय पर उपयोग करने की अपील की। उन्होंने बीमारी के शुरुआती पांच दिनों के दौरान स्टेरॉयड का उपयोग न करने की चेतावनी दी। इसके साथ ही उन्होंने ऑक्सीजन तथा पेयजल के सही उपयोग पर भी जोर दिया।
घातक संक्रमण से बचाव के लिए यह बरतें सावधानी -धूल भरे निर्माण स्थलों पर जाने पर मास्क का प्रयोग करें। -मिट्टी (बागवानी), काई या खाद को संभालते समय जूते, लंबी पतलून, लंबी बांह की कमीज और दस्ताने पहनें। -साफ-सफाई व व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखें। -कोविड संक्रमित मरीज के डिस्चार्ज के बाद और मधुमेह रोगियों में भी रक्त शर्करा के स्तर की निगरानी करें।
-स्टेरॉयड का सही समय, सही खुराक और अवधि का विशेष ध्यान दें। -ऑक्सीजन थेरेपी के दौरान ह्यूमिडिफायर के लिए स्वच्छ, जीवाणु रहित पानी का उपयोग करें।-फंगल का पता लगाने के लिए जांच कराने में संकोच न करें।-नल के पानी और मिनरल वाटर का इस्तेमाल कभी भी बिना उबाले न करें। यह भी पढ़ें- Uttarakhand Black Fungus Cases: कोरोना के बीच अब ब्लैक फंगस की दस्तक, दून में अबतक तीन मरीजों में पुष्टिUttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें
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