आयुर्वेद विवि के कुलसचिव डॉ. मिश्रा को नहीं मिली एंट्री, घंटों करते रहे इंतजार
डॉ मृत्युंजय मिश्रा शनिवार को आयुर्वेद विवि पहुंचे लेकिन उनके आने से पहले विवि प्रशासन ने अंदर से गेट बंद कर दिया।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Sun, 28 Oct 2018 05:05 PM (IST)
देहरादून, [जेएनएन]: हाईकोर्ट से बहाली का आदेश मिलने के बाद डॉ. मृत्युंजय मिश्रा शनिवार को आयुर्वेद विवि पहुंचे, लेकिन उनके आने से पहले विवि प्रशासन ने अंदर से गेट बंद कर दिया। डॉ. मिश्रा करीब तीन घंटे गेट खुलने का इंतजार करते रहे, लेकिन गेट नहीं खोला गया। जिस पर वह लौट गए। इसके बाद उन्होंने पुलिस और शासन को अपनी रिपोर्ट भेज दी।
बता दें कि आयुर्वेद विवि में कुलसचिव डॉ. मृत्युंजय मिश्रा को शुक्रवार को हाईकोर्ट से राहत मिली। शनिवार को वह आयुर्वेद विवि में चार्ज लेने पहुंचे थे। गेट पर ताला लगा देखा तो चौंक गए। गार्ड से बात की तो उन्होंने बताया कि उन्हें गेट न खोलने को कहा गया है। उन्होंने करीब तीन घंटे तक कोशिश की, लेकिन गेट नहीं खुला। इस दौरान कुलसचिव मिश्रा गेट पर ही कुर्सी डालकर बैठ गए। वह करीब तीन बजे वहां से लौट गए। इसके बाद उन्होंने शासन, एसएसपी को पूरे मामले से पत्र भेजकर अवगत कराया।
उधर, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अभिमन्यु कुमार ने डॉ. मिश्रा को पत्र भेजकर खुद चार्ज ग्रहण करने को कर्मचारी आचरण नियमावली का उल्लंघन करार दिया। उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि वह पहले हाईकोर्ट के आदेश के आधार पर शासन जाएं। वहां से आदेश लेकर आएंगे तो उन्हें चार्ज दिया जाएगा। डॉ. मृत्युंजय मिश्रा की आयुर्वेद विवि में नो एंट्री देखने के लिए बंद गेट के भीतर कर्मचारियों की भीड़ जुट गई। कई अधिकारी भी इस भीड़ का हिस्सा थे जो कि दबी जुबान में डॉ. मिश्रा का विरोध कर रहे थे।
आयुर्वेद विवि के कुलपति प्रो. अभिमन्यु ने बताया कि डॉ. मिश्रा को हाईकोर्ट से जो आदेश मिला है, वह शासन में जाना चाहिए। डॉ. मिश्रा ने खुद ही ज्वाइनिंग की कोशिश की है जो कि कर्मचारी आचरण नियमावली का उल्लंघन है। जब शासन आदेश देगा तो उन्हें ज्वाइनिंग दी जाएगी।
वहीं कुलसचिव डॉ. मृत्युंजय मिश्रा ने कहा कि कुलपति पहले तो यह बताएं कि किस तरह से आचरण नियमावली का उल्लंघन हुआ है। दूसरी बात यह है कि चंकि शासन के ही संबद्धता के आदेश को हाईकोर्ट ने रद किया है तो स्वत: ही पुराना ज्वाइनिंग का आदेश प्रभावी हो गया है। मैं अपने हक की लड़ाई जारी रखूंगा।
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