पश्चिम बंगाल में डॉक्टर से मारपीट के विरोध में उत्तराखंड में डॉक्टर हड़ताल पर, मरीज परेशान
पश्चिम बंगाल में डॉक्टर से मारपीट के विरोध में और सुरक्षा कानून बनाने की मांग को लेकर जिले के डॉक्टर आज से 24 घंटे की हड़ताल पर हैं।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Mon, 17 Jun 2019 08:20 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। देश के अन्य राज्यों की तरह उत्तराखंड में भी चिकित्सकों की हड़ताल से स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित रहीं। पश्चिम बंगाल में डॉक्टर से मारपीट के खिलाफ निजी चिकित्सकों ने प्रदेशभर में ओपीडी का बहिष्कार किया। हड़ताल के चलते देहरादून, अल्मोड़ा, हल्द्वानी, ऋषिकेश, हरिद्वार सहित अन्य तमाम जगह मरीज परेशान हुए। डायग्नोस्टिक सेंटर के भी हड़ताल में शामिल होने की वजह से मरीजों की जांचें भी नहीं हो सकीं। चिकित्सकों ने कहीं धरना-प्रदर्शन और कहीं प्रशासनिक अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) के आह्वान पर की गई हड़ताल के कारण मरीज व तीमारदार परेशान रहे। देहरादून में श्री महंत इंदिरेश अस्पताल समेत कुछ बड़े अस्पताल हड़ताल में शामिल नहीं हुए। जबकि मैक्स अस्पताल व अन्य छोटे-बड़े अस्पताल, नर्सिंग होम व क्लीनिकों में ओपीडी पूरी तरह ठप रही। सबसे बड़ी दिक्कत उन मरीजों को हुई जिन्होंने कई दिन पहले से ही चिकित्सीय परामर्श के लिए अप्वाइमेंट लिया हुआ था।
आकस्मिक बीमार हुए मरीजों को भी सही समय पर उपचार नहीं मिला। राहत की बात यह कि इमरजेंसी सेवाएं सुचारू रही और पुराने भर्ती मरीजों को भी पूर्व की भांति चिकित्सा सुविधा मिलती रही। निजी चिकित्सकों के हड़ताल पर रहने से सरकारी अस्पतालों पर मरीजों का ज्यादा दबाव रहा। पर जनपद देहरादून व कुछ अन्य जगह सरकारी चिकित्सकों ने भी हड़ताल के समर्थन में सुबह आठ से दस बजे तक ओपीडी का बहिष्कार किया। जिससे मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। दोपहर तक सरकारी अस्पतालों में भी मरीजों की लंबी कतार लग गई थी। बहरहाल इस मामले में निजी व सरकारी सभी चिकित्सकों ने एक स्वर में डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए केंद्रीय स्तर पर सख्त कानून बनाने की मांग की है।
प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ के प्रांतीय अध्यक्ष डॉ. डीपी जोशी ने भी कहा कि कार्य स्थल पर चिकित्सकों के साथ हिंसा की जो घटनाएं घटित हो रही हैं उससे चिकित्सक बिरादरी में भारी रोष व्याप्त है। गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीजों का उपचार करने में चिकित्सक कतराने लगे हैं। कहा कि चिकित्सकों की सुरक्षा के लिए केंद्रीय स्तर पर सख्त कानून बनाया जाना चाहिए।
कार्य स्थल पर चिकित्सकों पर हमला करने वालों को कड़ी सजा का प्रावधान हो। वहीं आइएमए के जिलाध्यक्ष डॉ. संजय गोयल का कहना है कि चिकित्सक पर ङ्क्षहसा व अस्पताल में तोडफ़ोड़ करने वालों को सख्त सजा नहीं मिलती है। सरकारें चिकित्सकों की सुरक्षा को लिए ठोस कदम उठाएं। यदि ऐसा नहीं होता है तो आंदोलन के संदर्भ में अगली रणनीति तैयार की जाएगी।
यह भी पढ़ें: दाखिल-खारिज लटकने से अफसरों पर भड़के वकील, दी ये चेतावनी Dehradun Newsयह भी पढ़ें: सरकारी चिकित्सक भी करेंगे दो घंटे कार्य बहिष्कार, जानिए वजह Dehradun Newsलोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।