ड्यूटी के दौरान मोबाइल पर बिजी दिखा अस्पताल का स्टाफ, अब लगाया प्रतिबंध Dehradun News
गांधी शताब्दी नेत्र चिकित्सालय व कोरोनेशन अस्पताल में मरीजों का उपचार करते समय चिकित्सक व अन्य स्टाफ मोबाइल फोन का उपयोग नहीं कर सकेंगे।
By BhanuEdited By: Updated: Thu, 27 Jun 2019 12:32 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। गांधी शताब्दी नेत्र चिकित्सालय व कोरोनेशन अस्पताल में मरीजों का उपचार करते समय चिकित्सक व अन्य स्टाफ मोबाइल फोन का उपयोग नहीं कर सकेंगे। अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. बीसी रमोला ने अस्पताल के अधिकारियों, चिकित्सकों व अन्य कर्मचारियों को यह आदेश जारी किया है। आदेश का उल्लंघन करने पर संबंधित चिकित्सक अथवा स्टाफ के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। यहां तक कि उनकी सीआर (सेवा चरित्र पंजिका) में भी इसका उल्लेख कर वेतन वृद्धि रोकने की संस्तुति की जाएगी।
दरअसल, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. रमोला ने चिकित्सालय का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान उन्हें ओपीडी, इमरजेंसी व वार्डों में कई चिकित्सक, पैरा मेडिकल स्टाफ, नर्स व अन्य कर्मचारी फोन पर व्यस्त दिखे। कोई वाट्सएप कर व्यस्त था, तो कोई फेसबुक, ट्विटर आदि पर। वहीं पूर्व में भी मरीज इस तरह की शिकायत कर चुके हैं कि डॉक्टर व अन्य स्टाफ अधिकांश समय मोबाइल पर व्यस्त रहते हैं, जिससे उन्हें उचित उपचार या परामर्श नहीं मिल पाता।
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने इस बात को गंभीरता से लेते हुए आदेश जारी किए हैं कि मरीज का उपचार करते समय कोई भी डॉक्टर या स्टाफ अपने निजी कार्य के लिए मोबाइल फोन पर व्यस्त नहीं रहना चाहिए। क्योंकि इससे जहां मरीजों को समुचित परामर्श नहीं मिल पाता है, वहीं अस्पताल की छवि भी धूमिल हो रही है। यही नहीं मोबाइल फोन प्रयुक्त करने वाले व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर भी इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति के मोबाइल फोन का पता आसानी से किया जा सकता है कि वह किस समय सोशल मीडिया साइट्स पर समय व्यतीत कर रहा था। यानी पता लगाया जा सकता है कि संबंधित कार्मिक ड्यूटी के दौरान सोशल मीडिया साइट्स पर व्यस्त था या नहीं। सीएमएस ने यह भी कहा है कि सरकार सभी चिकित्सकों व कार्मिकों को कार्य के बदले पूरा वेतन देती है, जिसका सदुपयोग किया जाना चाहिए।
कहा कि पूर्व में भी कई कर्मचारियों को मौखिक व लिखित में चेतावनी दी गई थी कि वह ड्यूटी के दौरान मोबाइल फोन पर व्यस्त न रहें। दोबारा इस तरह की शिकायत मिलने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही इस बारे में उच्चाधिकारियों को भी अवगत कराया जाएगा।यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में संक्रामक रोगों के खिलाफ लड़ाई में स्कूली बच्चों से ली जाएगी मदद
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