एचआइएचटी के डॉक्टरों ने पलक की जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक दिया अंजाम
देहरादून के डोईवाला में स्थित हिमालयन हास्पिटल जौलीग्रांट के चिकित्सकों ने नजीबाबाद निवासी एक व्यक्ति की पलक की जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Sat, 04 Jul 2020 08:15 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। डोईवाला में स्थित हिमालयन हास्पिटल जौलीग्रांट के चिकित्सकों ने नजीबाबाद निवासी एक व्यक्ति की पलक की जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।
नजीबाबाद निवासी मरीज हबीब मुंबई में एक बेकरी में काम करता था। उसकी निचली पलक पर एक दाना हो गया। उसने मुबईं के चिकित्सकों को दिखाया लेकिन दाने का उपचार नहीं हो पाया। उसकी पलक के छोटे से दाने ने बड़ा आकार लेना शुरू कर लिया। देश में कोविड 19 (कोरोना) की वजह से बेकरी में काम भी बंद हो गया। हबीब मुंबई छोड़ कर अपने घर नजीबाबाद आ गया। हबीब अपने रिश्तेदार नसीम के कहने पर हिमालयन अस्पताल में आया।हिमालयन अस्पताल में प्लास्टिक सर्जरी विभाग डॉ. संजय द्विवेदी ने जांच की तो पाया कि हबीब की निचली पलक का बाहरी आधा हिस्सा सड़ गया है। हबीब को कैंसर भी है। कैंसर यूनिट में डॉ. अंशिका अरोड़ा व प्लास्टिक सर्जन डॉ. संजय द्विवेदी की टीम ने मिलकर हबीब की सर्जरी की। अस्पताल में तीन दिन रोकने के बाद हबीब को छुट्टी दे दी गई। अब वह पूर्ण रूप से स्वस्थ है। डॉ. संजय द्विवेदी ने बताया कि सर्जरी जटिल इसलिए थी कि हबीब की आंखों को भी खतरा था। इस सर्जरी को सफल बनाने में डॉ. मन्नू राजन, डॉ, सिरीशा ने सहयोग दिया।
एम्स में पोर्टेबल बेडसाइड ब्रोंकोस्कोपी की सुविधा शुरूअखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश में कोरोना वायरस से ग्रसित मरीजों के लिए पोर्टेबल बेडसाइड ब्रोंकोस्कोपी की सुविधा शुरू हो गई है। अब भर्ती कोरोना संक्रमित मरीज को ब्रोंकोस्कोपी के लिए ऑपरेशन थियेटर में शिफ्ट नहीं करना पड़ेगा। आइसोलेशन वार्ड में ही भर्ती मरीजों की ब्रोंकोस्कोपी की जा सकेगी। इससे मरीज से संक्रमण फैलने का खतरा काफी हद तक कम हो जाएगा।
शुक्रवार को एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश में ओएनजीसी के सहयोग से उपलब्ध पोर्टेबल बेडसाइड ब्रोंकोस्कोपी सुविधा का उद्घाटन किया। उन्होंने बताया कि ओएनजीसी ने खासतौर पर कोविड-19 के मरीजों से कोरोना संक्रमण के बढ़ते खतरे के मद्देनजर सीएसआर मद से एम्स संस्थान का सहयोग किया गया है। जिसका लाभ जरूरतमंद मरीजों को आइसोलेशन वार्ड में ही मिल सकेगा, साथ ही इसके लिए मरीज को ओटी में शिफ्ट करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
जिससे मरीज से दूसरे लोगों में संक्रमण का खतरा भी काफी हद तक कम हो जाएगा। उन्होंने कॉरपोरेशन प्रबंधन से मरीजों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के तहत भविष्य में अन्य प्रोजेक्ट्स में भी संस्थान का सहयोग करने की प्रार्थना की। संस्थान के पल्मोनरी मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. गिरीश ङ्क्षसधवानी ने बताया कि इसके लिए एम्स संस्थान की पूर्व में ओएनजीसी के साथ संयुक्त बैठक हुई थी। जिसमें कोविडकाल में मरीजों से कोविड संक्रमण फैलने के खतरों पर चर्चा की गई थी। ब्रोंकोस्कोपी एक ऐसी प्रक्रिया है। जो डॉक्टरों को फेफड़ों और वायु मार्ग को देखेने की सुविधा देती है।
यह भी पढ़ें: एम्स ऋषिकेश के पीएचडी स्कॉलर रोहिताश की रिसर्च कोरोना से बचाव में आ सकती है काम, पढ़ें पूरी खबरइस अवसर पर संस्थान की डीन सीएसआर डॉ. श्रीपर्णा बासू, नोडल ऑफिसर कोविड डॉ. मधुर उनियाल के अलावा ओएनजीसी के जीएम एचसीए वीके जैन, जीएम सीएसआर आरके द्विवेदी, जीएम मेडिकल पी. वासन, जीएम आरके डोभाल, आर. त्रिवेदी, डीजीएम टीबी हाशिम आदि मौजूद थे।
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