सरकारी चिकित्सक भी करेंगे दो घंटे कार्य बहिष्कार, जानिए वजह Dehradun News
प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ ने भी मोर्चा खोल दिया है। आइएमए की सोमवार को प्रस्तावित एक दिनी हड़ताल को अपना नैतिक समर्थन दिया है।
By Edited By: Updated: Sun, 16 Jun 2019 06:55 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। कोलकाता स्थित एनआरएस मेडिकल कॉलेज में जूनियर रेजीडेंट डॉक्टरों पर हुए हमले के खिलाफ अब प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ ने भी मोर्चा खोल दिया है। आइएमए की सोमवार को प्रस्तावित एक दिनी हड़ताल को अपना नैतिक समर्थन दिया है। सरकारी डॉक्टर हड़ताल में पूरी तरह तो शामिल नहीं होंगे पर सुबह दो घंटे ओपीडी का बहिष्कार करेंगे। वह आठ से दस बजे के बीच मरीज नहीं देखेंगे। शनिवार को चिकित्सकों ने काली पंट्टी बांधकर कार्य किया।
प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ के जिला सचिव डॉ. प्रताप रावत का कहना है कि हर अंतराल बाद कार्य स्थल पर चिकित्सकों पर हमले हो रहे हैं। बावजूद इसके हमलावरों पर कार्रवाई नहीं की जा रही। इन घटनाओं के कारण गंभीर मरीजों का उपचार करने से चिकित्सक कतराने लगे हैं। मांग की है कि सरकार चिकित्सकों की सुरक्षा के लिए कारगर कदम उठाए। उन्होंने कहा कि आइएमए ने सोमवार को कार्य बहिष्कार का एलान किया है। जिसे संगठन का नैतिक समर्थन है। आगे भी आइएमए हड़ताल पर कोई फैसला लेती है तो संगठन उसके साथ खड़ा होगा। पर यात्रा सीजन और गर्मियों के मद्देनजर मरीजों की दिक्कतों को देखते हुए यह फैसला लिया गया है कि सरकारी डॉक्टर केवल दो घंटे ओपीडी का बहिष्कार करेंगे।
इसकी सूचना उच्चाधिकारियों को भी दे दी गई है। निजी चिकित्सकों ने काली पंट्टी बांधकर किया काम इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) से जुड़े चिकित्सकों ने दूसरे दिन भी विरोध स्वरूप अपनी बांह पर काली पट्टी बांधकर कार्य किया। उन्होंने चिकित्सकों पर हमले करने वालों पर सख्त कार्रवाई और चिकित्सकों की सुरक्षा के लिए कारगर कदम उठाने की मांग की है। सोमवार को निजी चिकित्सक कार्य बहिष्कार पर रहेंगे। इस दौरान इमरजेंसी सेवाएं बहाल रहेंगी।
चिकित्सकों के इस रुख के बाद प्रदेशभर में स्वास्थ्य सेवाएं लड़खड़ा सकती हैं। एमआर ने भी दिया समर्थन उत्तराखंड मेडिकल एंड सेल्स रिपरजेंटेटिव एसोसिएशन ने भी चिकित्सकों की हड़ताल को समर्थन दिया है। प्रदेश महामंत्री दीपक शर्मा ने कहा कि चिकित्सकों पर हुए हमले की जितनी निंदा की जाए वह कम है। इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए।
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