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Dog से प्यार, पड़ोसियों में तरकार, ऋषिकेश में सालभर में पहुंचीं 150 से अधिक शिकायतें

Rishikesh News श्वान प्रेम पड़ोसियों के बीच तकरार की वजह बन रहा है। ऋषिकेश में दो पक्षों के बीच श्वान प्रेम के कारण विवाद की स्थिति उत्पन्न होने के 150 मामले नगर निगम ग्राम पंचायतों और पुलिस के पास पहुंचे हैं। इससे उनके और श्वान प्रेमी पड़ोसी के बीच रिश्ते खराब होने लगते हैं। ऐसे विवादों में दोनों पक्षों को समझाना अधिकारियों ने लिए भी सिरदर्द बन जाता है।

By gaurav mamgain Edited By: Nirmala Bohra Updated: Tue, 27 Aug 2024 10:05 AM (IST)
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Rishikesh News: श्वान प्रेम के चलते पड़ोसियों के बीच हुई तरकार, बढ़ी दूरियां

गौरव ममगाईं, जागरण ऋषिकेश। Rishikesh News: अगर आप भी श्वान प्रेमी हैं तो जरा सावधान रहें। श्वान प्रेम पड़ोसियों के बीच तकरार की वजह बन रहा है। तीर्थनगरी ऋषिकेश में नगर निगम, ग्राम पंचायतों और पुलिस के पास पिछले एक वर्ष में 150 से अधिक ऐसी शिकायतें पहुंची हैं, जिनमें दो पक्षों के बीच श्वान प्रेम के कारण विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई।

अधिकांश मामलों में पड़ोसियों ने श्वान स्वामी की शिकायत की है। इनमें श्वान के भौंकने से शांति भंग, काटने, झपटने, घर व दुकान के बाहर मल-मूत्र त्यागने जैसी शिकायतें शामिल हैं। कई शिकायतें ऐसी भी हैं, जिनमें लोगों ने अपने श्वान के लिए कुछ भी सुनना बर्दाश्त नहीं किया और मामूली बात ने विवाद का रूप ले लिया।

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अच्छी बात है कि ये विवाद कहासुनी तक ही सीमित रहे और लगभग सभी में दोनों पक्षों के बीच सुलह करा दी गई। हालांकि, ऐसे विवादों में दोनों पक्षों को समझाना अधिकारियों ने लिए भी सिरदर्द बन जाता है।

केस-1: देहरादून रोड निवासी हरिराम ने शिकायत की कि उनके पड़ोसी ने दो जर्मन शेफर्ड पाले हैं। उनके शोर से आसपास के लोग अक्सर परेशान होते हैं। हालांकि, स्थानीय लोगों की आपत्ति के बाद श्वान प्रेमी ने शांति बनाने में सहयोग किया।

केस-2: रेलवे रोड पर रहने वाले एक कास्मेटिक व्यवसायी ने शिकायत की कि उनकी दुकान के बाहर कुछ दूरी पर स्थित एक घर के पालतू श्वान ने मल त्याग कर दिया। हालांकि, बाद में दोनों पक्षों के बीच सुलह हो गई।

केस-3: गुमानीवाला निवासी हरिओम की शिकायत है कि पड़ोसियों के बच्चे उनके घर के सामने से गुजरते समय पालतू श्वान को चिढ़ाते हैं। इससे वह भौंकता है। पड़ोसी अपने बच्चों को ऐसा करने से रोकने के बजाय श्वान के भौंकने पर आपत्ति जताते हैं।

विवाद के मुख्य कारण

  • श्वान का भौंकना
  • घर या दुकान के बाहर मल-मूत्र त्यागना
  • बेसहरा श्वान को खाना खिलाना और आश्रय देना
  • पालतू श्वान को तंग करना

मामूली बात पर भी विवाद खड़ा करते हैं पड़ोसी

सहायक नगर आयुक्त चंद्रकांत भट्ट ने बताया कि कई ऐसी शिकायतें भी मिलीं, जिनमें पड़ोसी ने मामूली बात पर विवाद खड़ा कर दिया। ऐसे मामलों में देखा गया कि कई लोग श्वान पालना पसंद नहीं करते, इसलिए श्वान को लेकर अनावश्यक हस्तक्षेप करते हैं। इससे उनके और श्वान प्रेमी पड़ोसी के बीच रिश्ते खराब होने लगते हैं।

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नगर निगम में पार्षदों के माध्यम से श्वान प्रेम के कारण विवादों की शिकायत मिलती रहती है। अधिकांश शिकायत मौखिक होती हैं। ऐसे मामलों में दोनों पक्षों के बीच सुलह कराने का प्रयास रहता है। अगर श्वान के कारण पड़ोसियों और क्षेत्र की शांति भंग हो रही है तो श्वान स्वामी को शांति बनाए रखने के लिए चेतावनी दी जाती है।

-चंद्रकांत भट्ट, सहायक नगर आयुक्त, नगर निगम ऋषिकेश

श्वान पाल रहे हैं तो रखें ध्यान

  • पालतू श्वान का नगर निकाय में पंजीकरण और एंटी रेबीज वैक्सिनेशन अनिवार्य है।
  • पंजीकरण एंटी रेबीज वैक्सीन लगी होने पर ही किया जाता है।
  • श्वान को पहली वैक्सीन तीन माह और दूसरी वैक्सीन चार माह की उम्र में लगाई जाती है।
  • इसके बाद प्रति वर्ष एक बार वैक्सिनेशन कराना होता है।
  • पंजीकरण नहीं कराने पर 500 रुपये से 5,000 रुपये तक अर्थदंड का प्रविधान है।

यहां करें शिकायत

अगर किसी को पालतू श्वान काट लेता है तो वह उसके मालिक के विरुद्ध संबंधित नगर निकाय में शिकायत कर सकता है। इसके अलावा पुलिस थाने में एफआइआर भी दर्ज कराई जा सकती है।

हानि पहुंचाने पर सजा का प्रविधान

अधिवक्ता शिवा वर्मा के अनुसार, अगर कोई पालतू जानवर किसी को हानि पहुंचाता है तो इसकी जिम्मेदारी उसे पालने वाले की होती है। श्वान के काटने के मामले में भारतीय न्याय संहिता की धारा 291 (लापरवाही से दूसरों का जीवन खतरे में डालना) के तहत मुकदमा दर्ज किया जाता है, जिसमें अधिकतम छह माह जेल और 5,000 रुपये जुर्माना का प्रविधान है।

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