Dolphin : गंगा में डाॅलफिन के जीवन पर संकट; कहीं जाल तो कहीं तैरने में हो रही समस्या- लगातार हो रही मौत
इन रेडीमेड प्लास्टिक जालों के धागे बहुत पतले होते हैं। जब डालफिन साउंड आगे भेजती है अगर वह वापस आता है तभी उसको पता चलता है कि कुछ है। चूंकि जाल का धागा पतला है तो साउंड वापस नहीं आता है। इसकी वजह से डालफिन जाल में फंस जाती है। तो वह सांस लेने के लिए ऊपर नहीं आ पाती है।
By Edited By: Mohammed AmmarUpdated: Fri, 22 Sep 2023 06:24 PM (IST)
उदित सिंह, देहरादून: भारतीय वन्यजीव संस्थान की वैज्ञानिक डा. विष्णुप्रिया ने कहा कि गंगा में गहराई कम होने के कारण डालफिन को तैरने में अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। शोध के अनुसार मछुआरों के प्लास्टिक से बने जाल भी उनके जीवन पर संकट का कारण बन रहे हैं।
प्लास्टिक के रेडिमेड जाल बन रहे मौत का कारण
चंद्रबनी स्थित भारतीय वन्यजीव संस्थान में आयोजित दो दिवसीय वार्षिक शोध गोष्ठी में उन्होंने डालफिन पर किए गए शोधों के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि पहले मछुआरे हाथ से बुने हुए जाल का प्रयोग किया करते थे। लेकिन अब बाजारों में प्लास्टिक के रेडीमेड जाल आ रहे हैं। मछुआरे इनका प्रयोग करने लग गए हैं।
इन रेडीमेड प्लास्टिक जालों के धागे बहुत पतले होते हैं। जब डालफिन साउंड आगे भेजती है अगर वह वापस आता है तभी उसको पता चलता है कि कुछ है। चूंकि जाल का धागा पतला है तो साउंड वापस नहीं आता है। इसकी वजह से डालफिन जाल में फंस जाती है। तो वह सांस लेने के लिए ऊपर नहीं आ पाती है। इसकी वजह से 60 से 70 प्रतिशत तक डालफिन की मृत्यु हो रही है।
लोगों में जागरूकता की कमी
कई स्थानों पर तो आमजन को नहीं पता है कि डालफिन एक मछली नहीं बल्कि मानव की तरह स्तनधारी है। तो लोग इसको मछली समझकर खा लेते हैं। जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। बताया कि गंगा डालफिन एक से दो सेकेंड के लिए ऊपर आती है। ये अधिक समय तक बाहर नहीं रहती है। वाराणासी, गुवाहाटी जैसे स्थानों पर तो आमजन को पता ही नहीं है कि वहां भी डालफिन है।
डालफिन के लिए आमजन को जागरूक करने के लिए नमामि गंंगे की योजना डालफिन मित्रा, डालफिन संरक्षण नेटवर्क आदि को चलाया जा रहा है। इसमें नदी के किनारे रहने वाले व मछुवारों के लिए गोष्ठी, प्रशिक्षण, स्कूलों में सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है। इसके काफी सकारात्मक परिणाम वन विभाग व डालफिन मित्रों की ओर से मिले हैं।
मछुवारों के लिए चीनी जाल की बाइबैक स्कीम
इस योजना के अनुसार अगर कोई चीनी जाल खरीद चुका है तो वह उस जाल को वन विभाग को वापस दे सकता है। इसके बदले में उसको परंपरागत जाल खरीदने के लिए पैसे दिए जा रहे हैं। इन नाइलान के बने जालों की बिक्री पर रोक लगाने की योजना पर भी कार्य किया जा रहा है।
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