उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से मिले डीआरडीओ के चेयरमैन, रक्षा से जुड़े उद्योगों को बढ़ावा देने पर की चर्चा
डीआरडीओ के चेयरमैन सतीश रेड्डी ने आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने पर जोर दिया। कहा कि आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने के लिए सभी को एकजुट होकर साथ देना चाहिए।
By Sumit KumarEdited By: Updated: Sun, 30 Aug 2020 10:18 PM (IST)
देहरदून, जेएनएन। उत्तराखंड में डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) के चार प्रतिष्ठान हैैं। इस लिहाज से राज्य डीआरडीओ के लिए बेहद मायने रखता है। यह बात दून पहुंचे डीआरडीओ के चेयरमैन डॉ. जी. सतीश रेड्डी ने यंत्र अनुसंधान एवं विकास संस्थान (आइआरडीई) में आयोजित इंडस्ट्री मीट में कही। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के उद्योगों को आगे आकर रक्षा क्षेत्र का सहयोगी बनना चाहिए।
रविवार को आइआरडीई गेस्ट हाउस के सभागार में राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से आए उद्यमियों को संबोधित करते हुए डॉ. जी. सतीश रेड्डी ने कहा कि रक्षा सेक्टर में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए 101 उत्पादों को आयात की श्रेणी से बाहर कर दिया गया है। अब ये उत्पाद देश के उद्योगों के सहयोग से मेक इन इंडिया के तहत डीआरडीओ में बनाए जाएंगे। इसके अलावा रक्षा क्षेत्र के 108 उत्पाद ऐसे हैैं, जिन्हें सिर्फ उद्योग बनाएंगे। उन्होंने बताया कि अब तक डीआरडीओ एक हजार रक्षा तकनीक उद्योगों को सौंप चुका है। उन्होंने उद्योगों को डीआरडीओ के साथ जोडऩे के लिए चलाई जा रही योजनाओं की भी जानकारी दी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के औद्योगिक सलाहकार केएस पंवार, ïओएलएफ के महाप्रबंधक एसएस यादव, आइआरडीई के निदेशक डॉ. बीके दास, वरिष्ठ विज्ञानी बेंजामिन लॉयनल, संयुक्त निदेशक डॉ. केसी बहुगुणा, पंकज गुप्ता, अनिल गोयल आदि उपस्थित रहे।
देश की सेना के लिए उत्पाद बनाने पर नहीं देनी होगी रॉयल्टीडीआरडीओ के चेयरमैन डॉ. जी. सतीश रेड्डी ने बताया कि रक्षा क्षेत्र से जुड़े उद्योग डीआरडीओ के 1700 पेटेंट पर काम कर सकते हैैं। देश की सेना के लिए उत्पाद बनाने पर उनसे किसी तरह की रॉयल्टी नहीं ली जाएगी। अगर वह अपने उत्पादों को निर्यात करते हैैं तो कारोबार के हिसाब से दो फीसद रॉयल्टी अदा करनी होगी। इसके अलावा टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट फंडिंग के जरिये इच्छुक उद्योग डीआरडीओ से 90 फीसद तक बजट भी प्राप्त कर सकते हैं।
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