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अनोखा है दून पुस्तकालय, यहां है किताबों का अनूठा संसार; पढ़िए पूरी खबर

दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र जहां बीते 12 सालों से आम आदमी को जीवन की सही राह दिखा रहा है वहीं युवाओं के खुशहाल भविष्य के सपनों को पंख लगाने का काम भी कर रहा है।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Mon, 16 Sep 2019 08:39 PM (IST)
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अनोखा है दून पुस्तकालय, यहां है किताबों का अनूठा संसार; पढ़िए पूरी खबर
देहरादून, अनुपम सकलानी। सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए अक्सर सुनने में आता है कि लोग पुस्तकों से दूर होते जा रहे हैं। लेकिन, दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र में पुस्तकों में डूबे चेहरों को देखकर यह बात हकीकत से कोसों दूर लगती है। यह पुस्तकालय जहां बीते 12 सालों से आम आदमी को जीवन की सही राह दिखा रहा है, वहीं युवाओं के खुशहाल भविष्य के सपनों को पंख लगाने का काम भी कर रहा है। पुस्तकालय का नजारा देख ऐसा प्रतीत होता है, जैसे यहां हर वर्ग पुस्तकों से दोस्ती करना चाहता है। खासकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए यहां रोजाना बड़ी तादाद में युवा जुटते हैं और अपने अनुभवों में इजाफा कर लक्ष्य की ओर कदम आगे बढ़ाते हैं।

12 साल में 54 से 3975 पहुंची सदस्य संख्या

शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में दून की अपनी अलग पहचान रही है। दून के  शिक्षाविद् और साहित्यकारों ने देश-दुनिया में सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई है। इसकी वजह निश्चित रूप से दून में पढऩे-पढ़ाने का माहौल रहा। इस सबके बावजूद दून में पूर्व से ही एक बेहतर पुस्तकालय का अभाव रहा। इसी बात को ध्यान में रख 16 मार्च 2006 को दून के केंद्र स्थल परेड मैदान के एक छोर पर दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की स्थापना हुई। शुरुआत में जब लोगों ने इसकी सदस्यता लेने में रुचि नहीं दिखाई तो पुस्तकालय प्रबंधन ने लोगों के लिए निश्शुल्क सदस्यता शुरू की। नतीजा, एक साल बाद पुस्तकालय के सदस्यों की संख्या 54 पहुंच गई। इसके बाद पुस्तकालय की ओर से सदस्यता शुल्क लिया जाने लगा। वर्ष 2008 में सदस्यों की संख्या 223 पहुंच गई और वर्तमान में 3975 लोग पुस्तकालय के सदस्य हैं। वर्ष 2006 में 2156 पुस्तकों से शुरू होने वाले इस पुस्तकालय में आज 27 हजार से अधिक विभिन्न विषयों की पुस्तकें मौजूद हैं। यहां प्रत्येक सदस्य को 15 दिनों के लिए दो पुस्तक दी जाती हैं। जबकि, वरिष्ठ सदस्यों को एक माह के लिए चार पुस्तक इश्यू होती हैं।

 

पुस्तकालय की सदस्यता

पुस्तकालय की वार्षिक सदस्यता 1300 रुपये है। इसमें एक हजार रुपये धरोहर राशि और 300 रुपये वार्षिक शुल्क शामिल है। जबकि, आजीवन सदस्यता के लिए दो हजार रुपये लिए जाते हैं।

व्याख्यान और चर्चा-परिचर्चा के लिए बेहतर मंच

दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र से लोगों को जोड़ने के लिए समय-समय पर सामयिक एवं सामान्य रुचि के मुद्दों पर चर्चा-परिचर्चाएं आयोजित की जाती हैं। पुस्तकालय का फोकस विशेष रूप से विशेषज्ञों के व्याख्यान, कार्यशाला, गोष्ठी, समूह चर्चा, पुस्तक समीक्षा और प्रदर्शनी पर होता है। ताकि समकालीन और सामयिक विषयों पर प्रतिभागी खुलकर विचार रख सकें।

पुस्तकों की रेंज

पुस्तकालय में समाज विज्ञान, मानव विज्ञान, अर्थशास्त्र, भूगोल, राजनीतिक विज्ञान, अंतरराष्ट्रीय संबंध, इतिहास, दर्शनशास्त्र, साहित्य संबंधी पुस्तकों और पत्र-पत्रिकाओं की बड़ी रेंज है। इसके अलावा उत्तराखंड से संबंधित महत्वपूर्ण सामग्री भी यहां मौजूद है। इसमें उत्तराखंडी समाज, यहां की संस्कृति, कला, भूगोल, पर्यावरण, इतिहास, मानव जाति, साहित्य, लोक परपंरा, राज व्यवस्था आदि पुस्तकें उपलब्ध हैं। अंग्रेजी साहित्य में चेतन भगत, विक्रम सेठ, इतिहासकार रामचंद्र गुहा आदि और हिंदी साहित्य में प्रेमचंद, धर्मवीर भारती, कमलेश्वर, शिवानी, शैलेष मटियानी, मनोहर श्याम जोशी, यशोधर मठपाल, शिव प्रसाद डबराल 'चारण' आदि की कृतियां भी पुस्तकालय में मौजूद हैं। आप यहां राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, प्रथम प्रधानमंत्री पं.जवाहर लाल नेहरू, हरिबंश राय बच्चन आदि की आत्मकथा भी पढ़ सकते हैं। साथ ही खानपान, स्वास्थ्य संबंधी सामग्री और बच्चों के लिए पुस्तकों का एक बड़ा संग्रह पुस्तकालय ही धरोहर है।

शोध में अहम भूमिका

संस्थान में विविध माध्यमों से शोध कार्यों के संचालन, संपादन और इन्हें प्रोत्साहित करने का कार्य भी गतिमान है। शोध कार्यों के तहत हिमालय पर आधारित सामाजिक विज्ञान एवं मानविकी से संबद्ध विषयों का सर्वेक्षण, अध्ययन, अन्वेषण, सूचनाओं और आंकड़ों को संकलित करने का कार्य भी किया जा रहा है।

पुस्तकालय प्रबंधन

दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के अधीन पंजीकृत एक स्वायत्त संस्थान है। इसका संचालन मुख्य सचिव उत्तराखंड की अध्यक्षता में गठित प्रबंधन परिषद करती है। उत्तराखंड शासन के वित्त, नियोजन, विद्यालयी शिक्षा, संस्कृति व उच्च शिक्षा के सचिव, प्रतिष्ठित शिक्षाविद् और प्रबुद्ध व्यक्ति इस परिषद के नामित सदस्य हैं। संस्थान के प्रशासनिक एवं अकादमिक क्रियाकलापों का मुख्य संचालन निदेशक के स्तर से किया जाता है।

कॅरियर बनाने में मददगार बना पुस्तकालय

पुस्तकालय लोगों को किताबों का संसार ही उपलब्ध नहीं करता, बल्कि युवाओं का कॅरियर बनाने में भी अहम भूमिका निभा रहा है। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटे युवाओं को केंद्र अध्ययन करने की सुविधा उपलब्ध कराता है। केंद्र में रोजाना सौ से ज्यादा युवा प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए आते हैं। उन्हें सुबह 8.30 बजे से रात सात बजे तक अध्ययन करने की सुविधा है। यहां पर युवा ग्रुप में स्टडी करने के लिए आते हैं। इसी अध्ययन की बदौलत वर्ष 2007 से वर्ष 2018 तक केंद्र से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले 115 युवाओं ने विभिन्न परीक्षाओं में सफलता प्राप्त की।

इन पदों पर मिली नियुक्ति

सहायक विकास अधिकारी, एसआइ, असिस्टेंट कमांडेंट, कर सहायक, कनिष्ठ शाखा प्रबंधक, असिस्टेंट प्रोफेसर, पीओ, एलटी शिक्षक, राजकीय पर्यवेक्षक, क्लर्क, एडीओ आदि।

युवा चाहते हैं केंद्र का हो विस्तार

सिविल सेवा की तैयारी में जुटी दीपा बिष्ट कहती हैं कि उन्हें केंद्र में पढ़ने का बेहतर माहौल मिल रहा है। ग्रुप में पढ़ाई करने के कई फायदे हैं। साथ ही अपनी कमियों भी मालूम पड़ जाती हैं। एसएससी की तैयारी कर रहे ऋषभ नेगी कहते हैं कि वह पांच माह से केंद्र में आ रहे हैं। दोस्तों के साथ मिलकर पढ़ने से तैयारी के लिए बेहतर माहौल मिल रहा है। सिविल सर्विसेस की तैयारी में जुटे मनोज डोभाल कहते हैं कि वह डेढ़ साल से यहां आ रहे हैं। सुबह आठ बजे ही वह घर से निकल जाते हैं, क्योंकि विलंब से आने पर अंदर सीट नहीं मिलती। प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में जुटे दीपक सिंह भी केंद्र में बैठने का स्पेस बढ़ाने पर जोर देते हैं। कहते हैं केंद्र में बैठने की जगह सीमित है, जिससे कई बार तो पूरे दिन खड़े ही रहना पड़ जाता है।

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डॉ. बीके जोशी (निदेशक, दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र) का कहना है कि संस्थान की स्थापना यह ध्यान में रखकर की गई थी कि पाठकों, शोधार्थियों व अध्ययनकर्ताओं को हिमालयन विशेषकर उत्तराखंड के सामाजिक एवं मानव विज्ञान विषय की सामग्री आसानी से सुलभ हो सके। इसी दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं। पाठकों की संख्या को देखते हुए संस्थान के विस्तार की लगातार मांग उठ रही है। इस संबंध में शासन से वार्ता कर जल्द निर्णय लिया जाएगा, ताकि भावी पीढ़ी को संस्थान का लाभ मिल सके।

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चंद्रशेखर तिवारी (रिचर्स एसोसिएट, दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र) का कहना है कि केंद्र ने अपनी उपयोगिता हर क्षेत्र में सिद्ध की है, फिर चाहे वह विभिन्न विषयों का सर्वेक्षण करना हो अथवा अन्वेषण या शोध। भविष्य में इसे और बेहतर बनाने की दिशा में काम होगा। संस्थान से जुड़ने वाले हर व्यक्ति को उपयोगी अध्ययन सामग्री और बेहतर सुविधा मिले, इसके लिए हम निरंतर प्रयासरत हैं। 

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