Uttarakhand Cabinet Meet: उत्तराखंड में 10 लाख एपीएल राशन कार्डधारकों को तीन माह तक दोगुना राशन
मंत्रिमंडल ने अहम फैसला लेते हुए राज्य खाद्य योजना से जुड़े एपीएल श्रेणी के 10 लाख से ज्यादा राशनकार्डधारकों को राहत देते हुए तीन महीने तक दोगुना खाद्यान्न देने का फैसला लिया है।
By Bhanu Prakash SharmaEdited By: Updated: Fri, 10 Apr 2020 08:20 AM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। कोरोना महामारी रोकने को लॉकडाउन से परेशानहाल आम लोगों को राहत देने का सिलसिला सरकार ने जारी रखा है। मंत्रिमंडल ने अहम फैसला लेते हुए राज्य खाद्य योजना से जुड़े एपीएल श्रेणी के 10 लाख से ज्यादा राशनकार्डधारकों को राहत देते हुए तीन महीने तक दोगुना खाद्यान्न देने का फैसला लिया है। उन्हें अप्रैल से जून तक साढ़े सात किलो की जगह अब 15 किलो खाद्यान्न मिलेगा।
वहीं सरकारी मेडिकल कॉलेजों में अब पैरामेडिकल स्टाफ की कमी नहीं होगी। लैब टेक्नीशियन समेत 347 स्टाफ की नियमित नियुक्ति चिकित्सा शिक्षा चयन बोर्ड के जरिये होगी। इस संबंध में उत्तराखंड चिकित्सा शिक्षा विभाग टेक्नीशियन संवर्ग सेवा नियमावली को मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी।
त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार प्रदेश में लॉकडाउन के बाद गरीब और आम लोगों को राहत पहुंचाने को शिद्दत से फैसले ले रही है। इस कड़ी में मंत्रिमंडल ने राज्य खाद्य योजना से जुड़े 10 लाख 27 हजार राशनकार्डधारकों से जुड़े 40 लाख से ज्यादा लोगों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली का सस्ता खाद्यान्न दोगुना देने का निर्णय लिया।
इस योजना के तहत राज्य के एपीएल श्रेणी के सालाना पांच लाख से कम आमदनी वाले परिवारों को राज्य सरकार सस्ता खाद्यान्न उपलब्ध करा रही है। इसमें प्रति राशनकार्डधारक 7.5 किलो खाद्यान्न के तहत पांच किलो गेहूं और ढाई किलो चावल मुहैया कराया जाता है। गेहूं 8.60 रुपये प्रति किलो व चावल 11 रुपये प्रति किलो की दर से दिया जाता है।
दोगुना राशन में सिर्फ चावल दिया जाएगा। अब दस किलो गेहं और पांच किलो चावल दिया जाएगा। राज्य में अंत्योदय योजना और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के 13.46 लाख राशनकार्डधारकों को तीन महीने का राशन एकमुश्त दिया जा रहा है। साथ में, केंद्र सरकार के निर्देश पर इन कार्डधारकों को प्रति यूनिट पांच किलो चावल और एक-एक किलो दाल मुफ्त उपलब्ध कराई जा रही है। अब सरकार ने प्रदेश के एपीएल श्रेणी के उपभोक्ताओं के संबंध में उक्त फैसला लिया।
खुद नहीं बांट सकेंगे मददवहीं राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में लैब टेक्नीशियन समेत पैरामेडिकल स्टाफ की कमी दूर हो सकेगी। चारों मेडिकल कॉलेजों देहरादून, श्रीनगर, हल्द्वानी और अल्मोड़ा में पैरामेडिकल स्टाफ के 347 पद रिक्त हैं। कोरोना महामारी से मुकाबले को इन पदों को भरने की सख्त जरूरत महसूस की जा रही है। इसे देखते हुए मंत्रिमंडल ने उत्तराखंड चिकित्सा शिक्षा विभाग टेक्नीशियन संवर्ग सेवा नियमावली को स्वीकृति दी। एक अहम फैसला ये लिया गया कि लॉकडाउन के चलते जरूरतमंदों, बेसहारा, गरीबों लोगों को दी जाने वाली मदद अब जिला प्रशासन के माध्यम से मुहैया कराई जाएगी। यह कार्य स्वैच्छिक संस्थाएं खुद नहीं कर सकेंगी। अब पुलिस प्रशासन के साथ संस्थाओं के प्रतिनिधि मिलकर सहायता सामग्री या भोजन वितरित करेंगे।
यह भी पढ़ें: कैबिनेट: उत्तराखंड में लॉकडाउन 14 के बाद भी जारी रखने की सिफारिश, मंत्रियों व विधायकों के वेतन में होगी 30 फीसद कटौतीविधायकों से मांगा सहयोगसरकार सुरक्षित शारीरिक दूरी को लेकर अलर्ट हुई है। कोरोना महामारी की तैयारी और अन्य व्यवस्थाओं पर निगरानी के लिए जिलों के प्रभारी मंत्रियों को भी दौरे से बचने की सलाह दी गई है। उन्हें यह कार्य वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और दूरभाष पर करने को कहा गया है। विधायकों से भी अपने क्षेत्रों में शारीरिक दूरी का पूरी तरह पालन करने और कराने को कहा गया है। मंत्रिमंडल ने नए साल के पहले विधानसभा सत्र समाप्त करने का फैसला लिया है।
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