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राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य डॉ. राजुलबेन एल. देसाई ने कहा महिला अपराध में उत्तराखंड की स्थिति सामान्य

राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य डॉ. राजुलबेन एल. देसाई ने कहा कि महिला अपराध में अन्य राज्यों की तुलना में उत्तराखंड की स्थिति सामान्य है लेकिन राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में बालिकाओं को शिक्षित करने और जागरूक करना जरूरी है। राज्य में नशाखोरी चिंता का विषय है।

By Sumit KumarEdited By: Updated: Wed, 23 Dec 2020 07:49 PM (IST)
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महिला अपराध में अन्य राज्यों की तुलना में उत्तराखंड की स्थिति सामान्य है
जागरण संवाददाता, देहरादून: राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य डॉ. राजुलबेन एल. देसाई ने कहा कि महिला अपराध में अन्य राज्यों की तुलना में उत्तराखंड की स्थिति सामान्य है, लेकिन राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में बालिकाओं को शिक्षित करने और जागरूक करना जरूरी है। राज्य में नशाखोरी चिंता का विषय है। स्कूलों को भी चाहिए वह वह अपने स्तर पर बच्चों को नशाखोरी से जागरूक करने के लिए कार्यक्रम चलाएं। 

उत्तरखंड भ्रमण के दूसरे दिन बुधवार को बीजापुर गेस्ट हाउस में पत्रकार वार्ता के दौरान डॉ. राजुलबेन एल. देसाई ने कहा कि उनका तीन दिवसीय उत्तराखंड भ्रमण का मुख्य उद्देश्य महिलाओं की स्थिति और उनकी शिकायतों पर पुलिस की ओर से किए जा रहे निस्तारण का आकलन करना, विश्वविद्यालयों में छात्राओं की शिकायतों पर इंटरनल कमेटी की तत्परता को जांचना था। उन्होंने बताया कि महिलाओं को जागरूक होना बहुत जरूरी है, जिससे वह अपने अधिकारों को जान सकें। उत्तराखंड में महिलाए जागरूक हैं, यही कारण है कि यहां महिलाओं की स्थिति सामान्य है। 

विवि दिसंबर में आयोग को भेजेगा रिपोर्ट

राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य डॉ. राजुलबेन एल. देसाई ने बीजापुर गेस्ट हाउस में विभिन्न विश्विद्यालयों की इंटरनल कमेटी की बैठक ली। जिसमें उन्होंने कहा कि वर्तमान में छात्राएं भी ऑनलाइन व शारीरिक उत्पीडऩ का शिकार हो रही हैं। इसके लिए कमेटी के सदस्य इस तरह के मामले आने पर उसे हल्के में न लें। छात्रा की शिकायत दर्ज कर उसमें पुलिस और आयोग की मदद भी ले सकते हैं। राज्य महिला आयोग में उसकी काउंसिलिंग जरूर कराएं। उन्होंने बताया कि राज्यों के विवि को इंटरनल कमेटी में दर्ज शिकायतें अब हर दिसंबर माह में राष्ट्रीय महिला आयोग को प्रस्तुत करनी होगी। विवि के कमेटी सदस्यों को यह प्रशिक्षण समय- समय पर दिया जाएगा। 

बालिकाओं को न बोलना सिखाएं अभिभावक 

उन्होंने कहा कि छेड़छाड़ जैसी घटनाओं में अधिकांश बालिकाएं समाज के डर से आरोपित का विरोध नहीं कर पाती। लेकिन, अभिभावकों को चाहिए कि वह बालिकाओं के साथ दोस्त की तरह पेश आए और इस तरह के मामले में उन्हें न बोलना सिखाए। ताकि उनके साथ यदि कोई घटना हो रही हो तो वह उसका विरोध कर सकें। 

पुलिस की कार्यपद्धति को लेकर डीजीपी से मिली 

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  इससे पहले आयोग की सदस्य डॉ. राजुलबेन एल. देसाई ने डीजीपी अशोक कुमार से पुलिस मुख्यालय में मुलाकात की। इस दौरान डीजीपी अशोक कुमार ने उन्हें पुलिस की ओर से किए जा रहे जागरूकता कार्यक्रम, महिला हेल्पलाइन व काउंसिलिंग, महिला सिटी पेट्रोल, महिला चीता द्वारा किए जा रहे कार्यों में बारे में अवगत कराया।    

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