डेंगू, मलेरिया के मच्छरों का काल है ड्रैगनफ्लाई
डॉल्फिन पीजी इंस्टीट्यूट में ड्रैगन फ्लाई के महत्व पर आयोजित सम्मेलन में वक्ताओं ने कहा कि ड्रैगनफ्लाई डेंगू, मलेरिया और हानिकारक बीमारियों को फैलाने वाले मच्छरों को खा जाते हैं।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Thu, 29 Mar 2018 10:45 PM (IST)
देहरादून, [जेएनएन]: डॉल्फिन पीजी इंस्टीट्यूट में ड्रैगन फ्लाई के महत्व पर बुधवार को तीन दिवसीय सम्मेलन शुरू हुआ। सम्मेलन का शुभारंभ आइसीएफआरई के उप महानिदेशक-जैव विविधता और जलवायु परिवर्तन डॉ. वीआरएस रावत, संस्थान के चेयरमैन अरविंद गुप्ता, डीआरडीओ के पूर्व निदेशक डॉ. विजय वीर ने किया।
उन्होंने कहा कि कार्बन उत्सर्जन के कारण आज ग्लोबल वार्मिंग का गंभीर संकट मुंह खोले खड़ा है। विकसित देश विकासशील देशों पर अधिक कार्बन उत्सर्जन का आरोप लगाकर उन्हें उसकी कटौती की सलाह दे रहे हैं। जबकि, अमेरिका, रूस, जर्मनी, फ्रांस और चीन जैसे विकसित देश अत्यधिक कार्बन उत्सर्जन करते हैं। उन्होंने बताया कि कीट पतंगों के अध्ययन के दौरान पाया गया कि अन्य कीटों के मुकाबले ये मानव जीवन को अत्यधिक प्रभावित करते हैं।जैव पारिस्थितिकी जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण के लिए फायदेमंद भी हैं और संकेतक भी हैं। सम्मेलन के संयोजक डॉ. अरुण कुमार ने इसके महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि ड्रैगनफ्लाई न सिर्फ डेंगू, मलेरिया और अन्य हानिकारक बीमारियों को फैलाने वाले मच्छरों को खा जाते हैं, बल्कि ये पानी में अपना लार्वा भी छोड़ते हैं और यह हानिकारक मच्छरों के लार्वा को खा जाता है। सम्मेलन में कई वैज्ञानिकों और शोधार्थियों ने अपने शोध-पत्र प्रस्तुत किए।
इस अवसर पर डॉ. अरुण कुमार की बायो विब्लियोग्राफी का भी लोकार्पण किया गया। इंडियन डैगनफ्लाई सोसाइटी की ओर से भारतीय ओडोनाटोलॉजिस्ट के योगदान को मान्यता देने के लिए तीन वैज्ञानिकों को सम्मानित किया गया। ओरेशन अवार्ड डॉ. अरुण कुमार, लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड डॉ. मनु थॉमस और यंग साइंटिस्ट अवार्ड कलावंती मोकारिआ को दिया गया। आयोजन सचिव डॉ. बीना जोशी भट्ट ने बताया कि सभी प्रतिभागी अगले दो दिन तक अलग-अलग फील्ड विजिट करेंगे।यह भी पढ़ें: ड्रोन है एयरस्पेस इंजीनियरिंग की आधुनिक तकनीक
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