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DRDO News: गलवन में सर्विलांस करने वाला सेटकॉम बना सेना की पसंद, जानिए क्या हैं इसकी खूबियां

DRDO News डील ने ऐसा सेटकॉम टर्मिनल विकसित किया है जिसका वजन महज 800 ग्राम है। लिहाजा अब सीमा पर निगरानी के लिए हमारे जांबाजों को अधिक भार भी नहीं ढोना पड़ेगा।

By Raksha PanthariEdited By: Updated: Mon, 31 Aug 2020 11:01 PM (IST)
DRDO News: गलवन में सर्विलांस करने वाला सेटकॉम बना सेना की पसंद, जानिए क्या हैं इसकी खूबियां
देहरादून, सुमन सेमवाल। DRDO News डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) की देहरादून स्थित डिफेंस इलेक्ट्रॉनिक्स एप्लिकेशंस लैबोरेटरी (डील) ने विषम भौगोलिक परिस्थितियों में भी इंटरनेट युक्त संचार माध्यम विकसित करने की दिशा में बड़ी सफलता हासिल की है। डील ने ऐसा सेटकॉम टर्मिनल विकसित किया है, जिसका वजन महज 800 ग्राम है। वहीं, डील ने पूर्व में जो सेटकॉम टर्मिनल बनाया था, उसका वजन करीब 10 किलो है। लिहाजा, अब सीमा पर निगरानी के लिए हमारे जांबाजों को अधिक भार भी नहीं ढोना पड़ेगा। आपको बता दें कि इस सेटकॉम टर्मिनल का प्रयोग गलवन और डोकलाम में चीन की सेना के साथ तनातनी के दौरान किया जा चुका है। 

डीआरडीओ के ही दून स्थित यंत्र अनुसंधान और विकास संस्थान (आइआरडीई) में रविवार को आयोजित इंडस्ट्री मीट में इस उपकरण को प्रदर्शनी के लिए रखा गया था। रक्षा अनुसंधान विज्ञानियों ने बताया कि यह एक तरह की हैंडहेल्ड (हाथ में आसानी से पकड़ी जाने वाली) डिवाइस है। सेटकॉम टर्मिनल सेटेलाइट से जुड़ा होता है और इसके माध्यम से किसी भी क्षेत्र से चित्र और वीडियो भेजे जा सकते हैं। जरूरत पड़ने पर इसमें कॉलिंग की सुविधा भी उपलब्ध है।

डील के निदेशक पीके शर्मा ने बताया कि अभी इस तरह की 100 डिवाइस तैयार की गई हैं और सेना ने इसमें खासी दिलचस्पी दिखाई है। सेटकॉम की तकनीक को भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लि. (बेल) को हस्तांतरित किया गया है। अब भविष्य में सेना की जरूरत के मुताबिक सेटकॉम का बड़े स्तर पर निर्माण बेल में ही किया जाएगा।

गलवन और डोकलाम में हो चुका प्रयोग

डील के विज्ञानियों ने बताया कि सेटकॉम टर्मिनल का प्रयोग गलवन और डोकलाम में चीन की सेना के साथ तनातनी के दौरान किया जा चुका है। इस रक्षा उपकरण के माध्यम से हमारे जवानों ने वहां के हालात के चित्र और लाइव वीडियो इसके जरिये भेजे थे।

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आपदा के समय सरकार को सौंपा जाता रहा सेटकॉम

डील के निदेशक पीके शर्मा के मुताबिक जब भी राज्य में किसी आपदा के दौरान संचार सुविधाएं बाधित हो जाती हैं तो वहां के हालात से रूबरू होने के लिए सरकार सेटकॉम की मांग करती रही है। वर्ष 2013 की केदारनाथ में सरकार ने सेटकॉम के पुराने वर्जन (अटैचीनुमा) का प्रयोग किया था।

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