नशा हर रूप में है सेहत के लिए नुकसानदेह, पढ़िए पूरी खबर
युवा वर्ग से लेकर तमाम नशे के चंगुल में फंसते जा रहे हैं। अब युवा वर्ग शराब की बजाय सूखे नशे यानी स्मैक, चरस व नशीले ड्रग्स के चंगुल में फंस रहा है।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Mon, 04 Feb 2019 03:40 PM (IST)
देहरादून, संतोष तिवारी। नशा हर रूप में सेहत के लिए नुकसानदेह है। यह सभी भलीभांति जानते हैं, लेकिन फिर भी युवा वर्ग से लेकर तमाम इसकी चंगुल में फंसते जा रहे हैं। हालात चुनौतीपूर्ण इसलिए भी होते जा रहे हैं कि अब युवा वर्ग शराब की बजाय सूखे नशे यानी स्मैक, चरस व नशीले ड्रग्स के चंगुल में फंस रहा है। इस नशे के दलदल में फंसने के बाद उनका कॅरियर तो बर्बाद हो रहा है, सेहत भी गंवा बैठ रहे हैं।
यह बात सुनकर सहसा यकीन न हो, मगर हकीकत यह है कि दून में ड्रग माफिया के पैडलर गली-गली में सक्रिय हैं। इनके निशाने पर जवानी की दहलीज पर कदम रख रहे युवा हैं, जिन्हें वह पहले मौज-मस्ती में नशे का आदी बना रहे। जब वह पूरी तरह से लती हो जा रहे तो उन्हें नशा बेचकर मोटा पैसा कमाने का लालच देकर धंधे में उतार लेते हैं। बीते साल पुलिस की नशे के खिलाफ की गई कार्रवाई के आंकड़ों पर गौर तो नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साईकोट्रोपिक सस्टेंस (एनडीपीएस) एक्ट के तहत साढ़े पांच सौ लोग नशा बेचने के आरोप में गिरफ्तार हुए। इसमें सत्तर फीसद के करीब युवा थे, तो चालीस फीसद छात्र पकड़े गए। ड्रग सिंडिकेट का युवा वर्ग पर कसते शिकंजे की यह महज झलक भर है।
इन नशों के चंगुल में फंस रहे लोग
- पारंपरिक नशा: इसमें तंबाकू, अफीम, सुल्फा, भांग और शराब आदी आते हैं।
- सिंथेटिक ड्रग्स: इसमें स्मैक, हेरोइन, कोकीन, क्रेक कोकीन, नशीले ड्रग्स और इंजेंक्शन आते हैं।
- यह भी हैं नशे का सामान: बूट पालिस या विक्स वेपोरब को ब्रेड में लगाकर खाना, व्हाइटनर या सुलेशन सूंघने का नशा गरीब बस्तियों और छोटी उम्र के लड़कों में देखने को मिलता है।
ऐसे नुकसान पहुंचाता है नशा
- कोकीन: इसे सूंघ कर या धूमपान के जरिये लिया जाता है। यह दिमाग को कपोल-कल्पना की दुनिया में ले जाता है। नशा लेने वाला धीरे-धीरे सुध-बुध खोने लगता है।
- स्मैक, चरस: इससे पूरा स्नायु तंत्र प्रभावित होता है। इस नशे से व्यक्ति काफी उग्र हो जाता है और उसे लगता है कि दुनिया का सबसे ताकतवर इंसान है। इसमें उसके अपराध करने की भी आशंका बनी रहती है। काफी दिनों तक यह नशा करने के बाद व्यक्ति को अवसाद, अकेलेपन की दिक्कत होने लगती है।
- एलएसडी (लाइसर्जिक एसिड डाईएथिलामाइड): तरल और टेबलेट दोनों रूपों में उपलब्ध इस नशे का असर दस से बारह घंटे तक रहता है। इससे नशा करने वाला व्यक्ति कल्पना की दुनिया में चला जाता है। ये नशा करने वाला दिमागी सुनपन और उच्च रक्तचाप की चपेट में आ जाता है।
- हेरोइन: इसका असर स्नायु तंत्र पर तेजी से होता है, लेकिन अधिक सेवन से फेफड़े, किडनी, लीवर के फेल होने का खतरा बढ़ जाता है।
राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो के रिकार्ड पर गौर करें तो बड़े-छोटे अपराधों, बलात्कार, हत्या, लूट, डकैती, राहजनी आदि तमाम तरह की वारदातों में नशे के सेवन का मामला लगभग 73 प्रतिशत तक है। बलात्कार जैसे जघन्य अपराध में तो ये दर 87 प्रतिशत तक देखी गई है। अपराध करने के लिए जिस उत्तेजना, मानसिक उद्वेग और दिमागी तनाव की जरूरत होती है इसके लिए अपराधी इस नशे को उपयोग में लाते हैं।
चौंकाते हैं ये तथ्य ग्लोबल एडल्ट टोबेको सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट बहुत ही चौंकाने वाली है। युवा एवं बचपन किस तरह से नशे का शिकार हो रहा है, इसकी बानगी इन आंकड़ों से स्पष्ट झलकती है:-
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।- तंबाकू का सेवन करने वालों में खैनी का प्रयोग सबसे ज्यादा 13 प्रतिशत लोग करते हैं।
- एक सिगरेट जिंदगी के नौ मिनट पी जाती है।
- गुटखा या तंबाकू की एक पीक तीन मिनट जीवन को कम कर देती है।
- हर सात सेकेंड में तंबाकू व अन्य मादक पदार्थों से एक मौत होती है।
- नब्बे प्रतिशत फेफड़े का कैंसर व 25 प्रतिशत घातक रोगों का कारण धूमपान है
- बच्चों में आत्म निर्भरता और आत्म अनुशासन की आदत डालें
- बच्चे में खुद फैसले लेने और सही गलत में अंतर करने की क्षमता पैदा करें
- समय-समय पर उससे परेशानियों के बारे में पूछें और डांटने के बजाए उसकी मदद करें
- टोकाटोकी के बजाए उसकी परेशानी समझने की कोशिश करें
- लगातार संवाद बनाए रखें, उसके दोस्तों से मिलें व उनके संबंध में जानकारी रखें