उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों, सिटी बसों, विक्रमों, टैक्सी-मैक्सी के पहिये थमने से यात्रियों को घंटों इंतजार करना पड़ा। देहरादून से रोजाना करीब 40 से 50 हजार यात्री सफर करते हैं। यात्रियों ने इस परेशानी में दूसरे विकल्पों का सहारा लिया, जो उनकी जेब पर भारी पड़ा। हड़ताली चालकों ने शहर में कुछ जगह दुपहिया पर घूमकर हड़ताल के बावजूद संचालित हो रहे वाहन रोके व हंगामा किया।
परिवहन सेवाएं ठप होने से शहर की पूरी लाइफ-लाइन थमी रही। सुबह से देर शाम तक हजारों लोग सड़कों व चौक-चौराहों पर परेशान खड़े रहे। आइएसबीटी पर किसी भी बस का संचालन न होने से हजारों यात्रियों की भीड़ लगी रही। सिटी बसें व विकासनगर-डाकपत्थर मार्ग की बसें भी संचालित नहीं हुईं। विक्रमों और टैक्सी, मैक्सी, आटो के पहिये थमने से पूरा दिन यात्री विकल्प तलाशते रहे।
दैनिक यात्रियों को सबसे ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ी। हड़तालियों ने ट्रांसपोर्टनगर व परेड ग्राउंड में प्रदर्शन किया और केंद्र की नई नीतियों को चालक विरोधी बताया।
वहीं, उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन के महामंत्री अशोक चौधरी ने परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक को पत्र भेजकर केंद्र सरकार के नए प्रविधानों का विरोध किया और इसे चालक विरोधी बताया। उन्होंने कहा कि दुर्घटना के समय कोई भी चालक सिर्फ भीड़ से जान बचाने के लिए भागता है, वरना भीड़ उग्र हो जाती है। उन्होंने नए प्रविधानों को स्थगित कर इस संबंध में समिति बनाने की मांग की।
पर्वतीय मार्गों पर चरमराई व्यवस्था
देहरादून से पर्वतीय मार्गों पर चलने वाली लगभग 1500 टैक्सी, मैक्सी, ट्रैकर व जीप के पहिये थमे रहने से समूचे पहाड़ की भी लाइफ-लाइन थमी रही। दरअसल, प्रदेश के पर्वतीय मार्गों पर जीप व ट्रैकर को ही सार्वजनिक परिवहन की लाइफ-लाइन माना जाता है।
पर्वतीय मार्गों पर निजी और रोडवेज बसें भी चलती हैं, लेकिन एक तो इनकी संख्या बेहद कम है और छोटे व संकरे मार्गों पर बसें नहीं जा पातीं। ऐसे में दैनिक सफर के लिए जनता जीप और ट्रैकर का ही प्रयोग करती है। यात्रियों ने पर्वतीय मार्गों पर जाने वाले वाहनों का इंतजार किया, तो कुछ ने निजी वाहनों में सफर किया। शहर के अलग-अलग क्षेत्र में पर्वतीय टैक्सी स्टैंडों पर यात्रियों की भीड़ लगी रही, मगर वाहन नदारद रहे। रिस्पना पुल पर्वतीय टैक्सी स्टैंड पर ट्रांसपोर्टरों ने अपने वाहन खड़े कर केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
जबरन भेजी बस डोईवाला में रोकी
शासन की सख्ती के बाद आरटीओ ने जबरन ऋषिकेश, हरिद्वार व सहारनपुर के लिए परिवहन निगम की एक दर्जन बसों का संचालन दोपहर करीब तीन बजे करा दिया, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने इन बसों को रास्ते में रोक लिया। ऋषिकेश व हरिद्वार गई बसों को डोईवाला में रोक लिया। इस पर एआरटीओ ऋषिकेश ने वहां पहुंचकर प्रदर्शनकारियों को समझाया और बसों को रवाना कराया। सहारनपुर गई बसों को भी छुटमलपुर में प्रदर्शनकारियों के विरोध का सामना करना पड़ा।
टाटा मैजिक संचालकों ने मांगी सुरक्षा
हड़ताल के दौरान दून शहर में टाटा मैजिक वाहन संचालित होते रहे तो विक्रम व अन्य हड़ताली चालकों ने इनका विरोध किया। जगह-जगह टाटा मैजिक को रोककर सवारियों को उतारा गया। इस पर टाटा मैजिक एसो. के अध्यक्ष राजेंद्र कुमार ने जिलाधिकारी, एसएसपी व आरटीओ को पत्र देकर सुरक्षा की मांग की।
आज होगा डाकपत्थर मार्ग की बसों का संचालन
देहरादून-विकासनगर-डाकपत्थर मार्ग की निजी बसों के संचालकों ने मंगलवार को बसों का संचालन करने की बात कही है। दून स्टेज कैरिज वेलफेयर एसोएिशन व दून-डाकपत्थर मोटर मालिक बस आनर्स यूनियन के अध्यक्ष राम कुमार सैनी ने बताया कि उन्होंने सभी बस मालिकों को मंगलवार से बसें संचालित करने को कहा है। सभी चालकों को कहा गया है कि वह काम पर लौट आएं।
यहां से होता है संचालन
देहरादून में रिस्पना पुल से, राजपुर रोड पर एमडीडीए पार्किंग, परेड ग्राउंड, प्रिंस चौक, दीन दयाल पार्क आदि से पर्वतीय मार्गों व पूरे गढ़वाल मंडल के लिए टैक्सी व मैक्सी-कैब का संचालन होता है। इन सभी स्थानों पर सोमवार को यात्रियों की भीड़ लगी रही।
इन मार्गों पर रही परेशानी
टिहरी, चंबा, उत्तरकाशी, श्रीनगर, पौड़ी, चमोली, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, जोशीमठ, ऋषिकेश, हरिद्वार, गुप्तकाशी, लैंसडौन, कोटद्वार, चिन्यालीसौढ़, देवप्रयाग, पुरोला, बड़कोट, घनसाली, धनोल्टी, मसूरी आदि।
ट्रेनों में मारामारी
परिवहन निगम की बसों, निजी बसों व टैक्सी-मैक्सी के न चलने से ट्रेनों में मारामारी रही। हालांकि, दून से ट्रेनों की संख्या कम है, लेकिन जो भी ट्रेन गई, वह पैक रहीं। चूंकि, सभी ट्रेनें हरिद्वार होकर गुजरती हैं और हरिद्वार से आगे के लिए काफी ट्रेनें हैं। ऐसे में यात्री भी इसी सोच के साथ हरिद्वार गए कि शायद कोई साधन वहां से मिल जाए।
दुपहिया पर ढोयी सवारी
हड़ताल का सबसे ज्यादा खामियाजा दैनिक यात्रियों ने भुगता और इसका लाभ उठाया आटो वालों ने। आटो चालक पहले ही मनमाना किराया लेने के लिए बदनाम हैं, लेकिन सोमवार को इन्होंने हदें ही तोड़ डालीं। दून शहर के बाहरी इलाकों में जाने के लिए आटो वालों ने नया पैंतरा अपनाया और आटो के बजाय सवारियों को स्कूटर व बाइक पर ढोया। एक सवारी ने बताया कि सुद्धोवाला तक के लिए उससे चार सौ रुपये लिए। क्लेमनटाउन के तीन सौ रुपये लिए गए।
ओवरलोड दौड़े ई-रिक्शा
हड़ताल का सबसे ज्यादा लाभ ई-रिक्शा संचालकों ने कमाया। सवारियों को लेकर ये ओवरलोड चले। चार सवारी के बजाय छह से सात सवारी रिक्शा में ले गए और मनमाना किराया लिया। किराये के लिए कईं यात्रियों व रिक्शा संचालकों की झड़प भी हुई।
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दून से सहारनपुर का किराया 500 से 600
हड़ताल की वजह से आइएसबीटी से कोई वाहन नहीं चल रहा था, वहीं सहारनपुर रोड फ्लाईओवर उतरते ही नीचे कुछ लोग निजी वाहन लेकर पहुंचे। आइएसबीटी चौक के पास बस का इंतजार कर रहे यात्रियों के पास पहुंचे और सहारनपुर का किराया 500 से 600 रुपये प्रति सीट देने की बात कही। कुछ यात्री तो चले गए तो कई ने वहां पर नाराजगी जताई। हालांकि दोपहर एक बजे के बाद पुलिस को जब इस बात की भनक लगी तो फ्लाईओवर के नीचे खड़े वाहनों को हटा दिया गया।
प्रदर्शन पर पुलिस ने फटकारी लाठी
ट्रक चालकों ने ट्रांसपोर्टनगर स्थित ओबराय चौक पर प्रदर्शन किया। चालकों ने कहा कि कोई गाड़ी के आगे शराब पीकर आए या कोई भी कार साइड मारकर चली जाए तो जिम्मेदार बस या ट्रक चालकों को ठहराया जाता है। यदि इसमें किसी को दुर्घटना होती है तो ट्रक चालक जिंदगीभर जेल में रहेगा और उसका परिवार सड़क पर आ जाएगा। वहीं, हरिद्वार बाईपास पर मुस्कान होटल के पास यात्री वाहन का संचालन करने का विरोध कर रहे हड़तालियों को पुलिस ने लाठी फटकारकर खदेड़ना पड़ा।
हड़ताल से आइएसबीटी में परेशान यात्री बोले
सहारनपुर की सुमन का कहना है, सहारनपुर विकास भवन में नौकरी करती हूं। यहां भाई से मिलने आई थी। आज वापस ड्यूटी पर जाना था, लेकिन कोई भी वाहन नहीं मिल रहा है। यदि मुझे पहले से पता होता तो कल ही आफिस में बता देती। अब वापस भाई ही अपने वाहन से लेने आएगा।
देहरादून निवासी विपिन के अनुसार, सेलाकुई की एक कंपनी में सिक्योरिटी गार्ड हूं। रात की ड्यूटी थी तो आज सुबह परिवार के साथ नववर्ष मनाने के लिए लक्सर घर जाना था, लेकिन सुबह छह बजे से यहां इंतजार कर रहे हैं, स्थिति यह है कि अब वापस सेलाकुई जाने का भी साधन नहीं है।वहीं सहारनपुर के अक्षत कहते हैं, ग्राफिक एरा हास्पिटल में नर्सिंग आफिसर हूं। सहारनपुर घर से रात को ही फोन आ गया था कि सुबह जल्दी आ जाना। इसलिए सुबह चार बजे यहां पहुंच गया था, पता नहीं था कि कोई वाहन नहीं मिलेगा। ठंड में बच्चे को भी साथ लेकर आया हूं।
रुड़की के लक्ष्मण सिंह के अनुसार, मैक्स अस्पताल से मेरा इलाज चलता है। आज सुबह किसी से लिफ्ट लेकर रुड़की से आइएसबीटी किसी तरह पहुंच तो गए, लेकिन यहां से अस्पताल जाने का कोई साधन नहीं है। मुझे शाम को लौटना था, लेकिन जिस तरह से यहां की स्थिति है, ऐसे में भगवान ही भरोसा है।
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