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कोरोना काल में भी ऊर्जा प्रदेश की 'ऊर्जा' बरकरार

वर्ष 2020 वैसे तो विश्वभर के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण रहा। कोरोना महामारी से सभी क्षेत्रों में कामकाज पटरी से उतर गए। लेकिन इस दौरान कुछ संस्थाएं और व्यक्ति ऐसे में भी रहे जिन्होंने प्रगति की संभावनाएं तलाशीं। प्रयास के बूते बेहतर कार्य भी किया।

By Sumit KumarEdited By: Updated: Thu, 31 Dec 2020 04:22 PM (IST)
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उत्तराखंड जल विद्युत निगम भी ऐसी ही संस्थाओं में शुमार है।

जागरण संवाददाता, देहरादून: वर्ष 2020 वैसे तो विश्वभर के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण रहा। कोरोना महामारी से सभी क्षेत्रों में कामकाज पटरी से उतर गए। लेकिन, इस दौरान कुछ संस्थाएं और व्यक्ति ऐसे में भी रहे, जिन्होंने प्रगति की संभावनाएं तलाशीं। प्रयास के बूते बेहतर कार्य भी किया। उत्तराखंड जल विद्युत निगम भी ऐसी ही संस्थाओं में शुमार है। कोरोना काल में विद्युत उत्पादन बढ़ाकर जल विद्युत निगम ने ऊर्जा प्रदेश को नई ऊर्जा दी। साथ ही आपदा को अवसर में बदलने का कार्य भी किया।

  • वर्तमान में उत्तराखंड जल विद्युत निगम (यूजेवीएन) के तहत 1296.1 मेगावाट की जल विद्युत परियोजनाएं परिचालन में हैं। 144.5 मेगावाट की जल विद्युत परियोजनाओं पर निर्माण कार्य चल रहा है। 
  • वित्तीय वर्ष 2019-20 में 5088.88 मिलियन यूनिट विद्युत उत्पादन हुआ था। जबकि, वित्तीय वर्ष 2020-21 में 30 नवंबर 2020 तक ही 3835.60 मिलियन यूनिट विद्युत उत्पादन कर लिया गया है।
  • वित्तीय वर्ष 2019-20 में छिबरो, खोदरी, ढकरानी, धरासू (मनेरी भाली-2 परियोजना), खटीमा एवं गलोगी विद्युत गृहों से निगम बनने के बाद सर्वाधिक उत्पादन किया गया।
  • यूजेवीएनएल ने प्रदेश सरकार को इस वर्ष अब तक 40.01 करोड़ रुपये का लाभांश दिया गया है।
  • यूजेवीएन वैकल्पिक ऊर्जा (रिन्युएबल एनर्जी) में 26 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजनाएं डाकपत्थर, ढकरानी और पथरी में स्थापित की गई हैं। इस वर्ष अब तक इनसे 25.63 मिलियन यूनिट विद्युत उत्पादन कर लिया गया है।
  • यूजेवीएन ने जनपद रुद्रप्रयाग में स्थित कालीगंगा-प्रथम लघु जल विद्युत परियोजना को जुलाई 2020 में परिचालित कर दिया गया है। वर्तमान में परियोजना से विद्युत उत्पादन किया जा रहा है।
  • नई परियोजनाओं के निर्माण की दिशा में 120 मेगावाट क्षमता की व्यासी जल विद्युत परियोजना का निर्माण कार्य त्वरित गति से लगभग 85 प्रतिशत पूर्ण कर लिया गया है।

मरणासन्न परियोजनाओं को मिलेगा नया जीवन

राज्य में संचालित जलविद्युत परियोजनाएं जो अपनी आयु पूर्ण कर चुकी हैं उन्हेंं नया जीवन प्रदान करने की तैयारी है। इसके लिए नवीनीकरण, उच्चीकरण एवं आधुनिकीकरण (आरएमयू) की तर्ज पर तेजी से कार्य किए जा रहे हैं। ऐसी परियोजनाओं से उत्पादन में लगभग 30 फीसद वृद्धि हुई है। 51 मेगावाट के ढालीपुर और 90 मेगावाट के तिलोथ विद्युत गृहों के आरएमयू के कार्य प्रगति पर हैं। साथ ही 144 मेगावाट के चीला विद्युत गृह के कार्यों का आवंटन बीते जनवरी में किया गया है और 33.75 मेगावाट के ढकरानी विद्युत गृह के आरएमयू की प्रक्रिया गतिमान है।

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लखवाड़ को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिलाने की कवायद

300 मेगावाट की लखवाड़ परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित कराने के प्रयास किए जा रहे हैं। परियोजना की वित्तीय सहायता के लिए आ?थक मामलों की केंद्रीय कैबिनेट कमेटी स्वीकृति मांगी गई है।

किशाऊ परियोजना से मिलेगा सिंचाई व्यवस्था को बल

किशाऊ बहुद्देशीय परियोजना (660 मेगावाट) के निर्माण के लिए हिमाचल प्रदेश के साथ संयुक्त रूप से किशाऊ कॉरपोरेशन का गठन कर किया गया है। इस परियोजना से सिंचाई और घरेलू व औद्योगिक उपयोग के लिए 617 एमसीएम पानी की उपलब्धता होगी। जिसमें हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के बीच समझौते के अनुसार हिस्सेदारी दी जाएगी। इसके अलावा 12 मेगावाट की तांकुल, 15 मेगावाट की पैनागाड, 12 मेगावाट की जिम्मागाड, चार मेगावाट की कंचौटी व 1.2 मेगावाट की कूलागाड लघु जल विद्युत परियोजनाओं के विकास के कार्य भी गतिमान हैं।

संकट की घड़ी में ऊर्जा निगम ने दी राहत

देहरादून: ऊर्जा निगम भी इस साल नई उम्मीदों और लक्ष्यों के साथ आगे बढऩे की योजना बना रहा था, लेकिन शुरुआत में कोरोना का 'अंधकार' विश्वभर में फैलने लगा। ऐसे में उत्तराखंड भी इससे अछूता नहीं रहा। तमाम कारोबार काफी समय तक ठप रहे। रोजगार और आय चुनौती बन गई। ऐसे में ऊर्जा निगम ने भी संकट की इस घड़ी में उपभोक्ताओं को राहत दी। होटल, रेस्तरां, और ढाबों आदि व्यवसायिक उपभोक्ताओं को अप्रैल से जून की अवधि के बिलों में फिक्स्ड चार्ज में छूट दी गई। इसके अलावा सभी श्रेणी के उपभोक्ताओं को भी ऑनलाइन माध्यम से अंतिम देय तिथि तक भुगतान करने पर एक फीसद की छूट प्रदान की गई। हालांकि, अब ऊर्जा निगम कोरोना काल में घटी आय को सुधारने का प्रयास कर रहा है। आपूर्ति सुधार के साथ ही व्यय घटाने की भी कवायद चल रही है। आगामी वर्ष में लंबित योजनाओं के कार्यों को तेजी से पूरा करने की तैयारी है।

सौर ऊर्जा के क्षेत्र में व्यापक प्रयास की योजना

ऊर्जा निगम की ओर से सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने की दिशा में भी व्यापक प्रयास करने की तैयारी है। वर्तमान में रूफ टॉप सोलर फेज-2 योजना के तहत घरेलू श्रेणी के उपभोक्ताओं को सोलर प्लांट लगाने पर प्रथम तीन किलोवाट पर 40 फीसद और चार से दस किलोवाट पर 20 फीसद अनुदान दिया जा रहा है। सोलर प्लांट स्थापित कर उपभोक्ता विद्युत बिल की धनराशि भी कम करा सकते हैं। सौर ऊर्जा नीति के तहत प्रदेश में अब तक कुल 272 मेगावाट क्षमता की परियोजनाएं स्थापित की जा चुकी हैं। वहीं कुल 203 मेगावाट क्षमता की परियोजनाएं 253 स्थायी निवासियों को आवंटित की गई हैं, जिनका कार्य प्रगति पर है। 

कुंभ क्षेत्र में 301 करोड़ से विद्युत लाइनों को भूमिगत करने का कार्य

केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी योजना आइपीडीएस के तहत हरिद्वार नगर के कुंभ क्षेत्र में विद्युत लाइनों को भूमिगत करने का कार्य प्रगति पर है। कुल 301 करोड़ रुपये की लागत से यह परियोजना पूर्ण होनी है। कोरोना महामारी के कारण कार्य की गति सुस्त जरूर रही, लेकिन इसका काफी बड़े पैमाने पर कार्य पूर्ण हो चुका है। उम्मीद है कि कुंभ आयोजन से पहले सभी विद्युत लाइनों को भूमिगत कर दिया जाएगा। वहीं, प्रदेश के प्रत्येक जनपद में एक-एक गांव को ऊर्जा दक्ष ग्राम के रूप में विकसित कराने का कार्य भी प्रगति पर है। आशा है कि 2021 की शुरुआत में ही यह लक्ष्य पूर्ण कर लिया जाएगा।

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