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दुर्गम विद्यालय में की ड्यूटी, सुगम में गिनी जा रही सेवा

ऐसे शिक्षकों की कमी नहीं है जो दुर्गम में लंबी सेवा देने के बाद भी सुगम में तैनाती को तरस रहे हैं। ऐसे शिक्षक भी हैं जिनकी दुर्गम में नियुक्ति को भी सुगम में गिना जा रहा है।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Tue, 18 Feb 2020 08:23 PM (IST)
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दुर्गम विद्यालय में की ड्यूटी, सुगम में गिनी जा रही सेवा
देहरादून, जेएनएन। ऐसे शिक्षकों की प्रदेश में कमी नहीं है, जो दुर्गम में लंबी सेवा देने के बाद भी सुगम में तैनाती को तरस रहे हैं। इससे इतर बड़ी संख्या में ऐसे शिक्षक भी हैं, जिनकी दुर्गम विद्यालय में नियुक्ति को भी सुगम में गिना जा रहा है। क्योंकि, सुगम/दुर्गम निर्धारण के समय त्रुटिवश कई दुर्गम विद्यालय सुगम में शामिल कर लिए गए। अब संशोधन में तकनीकी पेच यह फंस गया है कि ये विद्यालय वास्तविक रूप में सुगम हो गए हैं।

इसका ताजा मामला सूचना आयोग में सामने आया। शिक्षिका सविता उनियाल वर्ष 1998 से 2012 तक टिहरी जिले में कीर्तिनगर क्षेत्र के सेमवाल गांव के बेसिक स्कूल में तैनात रहीं। उनकी कई साल की सेवा को सुगम में इसलिए माना रहा है, क्योंकि वर्ष 2008 में जब सुगम/दुर्गम का निर्धारण किया गया तो दुर्गम विद्यालय होने के बाद भी इसे सुगम में दर्ज कर दिया गया। इसको लेकर सविता के पति डॉ. नारायण प्रसाद ने एसडीएम कीर्तिनगर से लेकर शिक्षा निदेशक तक के पास शिकायत की, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ। जब उन्होंने शिकायत पर की गई कार्रवाई की जिला शिक्षाधिकारी (बेसिक) से आरटीआइ में जानकारी मांगी तो उन्हें यहां से भी टरका दिया गया।

इसके बाद डॉ. नारायण ने सूचना आयोग में अपील की। प्रकरण में राज्य सूचना आयुक्त जेपी ममगाईं ने जिलाधिकारी टिहरी के कार्यालय को भी समतुल्य लोक सूचनाधिकारी बनाकर जवाब मांगा। प्रकरण में पहले से पक्षकार जिला शिक्षाधिकारी सुदर्शन सिंह बिष्ट ने कहा कि संबंधित विद्यालय का नवीनतम निर्धारण 2013 से 2018 के बीच में किया गया और अब यह सुगम में है। हालांकि, उन्होंने माना कि जिला स्तरीय समिति की त्रुटि के चलते 2008 के निर्धारण में इसे दुर्गम की बजाय सुगम मान लिया गया। वहीं, जिलाधिकारी ने जवाब में कहा कि 11 साल बाद अब इसमें संशोधन का कोई औचित्य नहीं रह गया है। यह विद्यालय अब वैसे ही सुगम में आ गया है।

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इस पर सूचना आयुक्त ममगाईं ने अपनी टिप्पणी में कहा कि वर्तमान स्थिति समान होने के बाद भी पूर्व की त्रुटि को दुरुस्त किया जाना चाहिए। लिहाजा, जिला शिक्षाधिकारी को आदेश दिए गए कि वह इस संबंध में दो सप्ताह के भीतर जिलाधिकारी के समक्ष अपनी आख्या प्रस्तुत करें। जिससे वह इसके अनुसार निर्णय कर सकें। 

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