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उत्तराखंड सरकार दे रही कमाने का मौका, सौर ऊर्जा से प्रति यूनिट कमाएं 4.69 रुपये

सौर ऊर्जा से बिजली बनाकर प्रति यूनिट 4.69 रुपये कमाने का मौका दे रही है उत्तराखंड सरकार। मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना के तहत बिना पूंजी और खास शैक्षिक योग्यता के भी सोलर प्लांट लगा सकते हैं। मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) ने योजना को बढ़ावा देने का लिया फैसला ऊर्जा निगम उरेडा और बिल्डर एसोसिएशन के साथ बैठक में हुई चर्चा।

By Suman semwal Edited By: Riya Pandey Updated: Wed, 04 Sep 2024 10:13 PM (IST)
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ऊर्जा निगम को बिजली बेच कमा सकते हैं पूंजी (प्रतिकात्मक फोटो)

जागरण संवाददाता, देहरादून। यदि आपके पास पूंजी की कमी है और खास शैक्षिक योग्यता नहीं है, तब भी आप बिना टेंशन के सरकार की मदद से स्वरोजगार स्थापित कर सकते हैं। यह स्वरोजगार है सौर ऊर्जा से बिजली बनाने का, जिसके प्लांट की स्थापना मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना के तहत की जा सकती है।

अच्छी बात यह भी है कि मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) ने पहल करते हुए योजना को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है।

मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना को लेकर एमडीडीए उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी की अध्यक्षता में बुधवार को ऊर्जा निगम, उरेडा और बिल्डर एसोसिएशन की बैठक का आयोजन किया गया।

अधिक से अधिक लोगों को योजना से जोड़ने का लक्ष्य

एमडीडीए उपाध्यक्ष तिवारी ने कहा कि अधिक से अधिक व्यक्तियों को योजना से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। ताकि प्रदेश के युवा आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकें।

योजना के प्रचार-प्रसार और इसके तकनीकी और अन्य पक्षों को बेहतर ढंग से सामने रखने के लिए शीघ्र प्रदेश स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। जिसमें प्रदेश के विभिन्न प्राधिकरणों के अभियंता और बिल्डरों को भी आमंत्रित किया जाएगा।

बैठक के दौरान ऊर्जा निगम के सीईओ आशीष अरोड़ा और उरेडा के पीपीओ मनोज अरोड़ा ने सौर ऊर्जा पर प्रस्तुतीकरण दिया।

ऊर्जा निगम को 4.69 रुपये की दर से बेच सकते हैं बिजली

उन्होंने बताया कि सौर ऊर्जा का प्लांट लगाकर लाभार्थी उससे बनने वाली बिजली को ऊर्जा निगम को 4.69 रुपये प्रति यूनिट की दर से बेच सकते हैं। बैठक में एमडीडीए के अधीक्षण अभियंता एचसीएस राणा समेत विभिन्न अभियंता और बिल्डर एसोसिएशन के पदाधिकारी उपस्थित रहे।

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आरडब्ल्यूए अपने स्तर पर करे कूड़े का निस्तारण

एमडीडीए उपाध्यक्ष ने बिल्डर एसोसिएशन से कहा कि तमाम बड़ी आवासीय परियोजनाओं में बनी रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन वहां के घरों से निकलने वाले कूड़े का निस्तारण अपने स्तर पर भी कराए। जिससे नगर निगम का बोझ कम होगा। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वेलफेयर एसोसिएशन जैविक और अजैविक कूड़े को अलग करे और फल-सब्जियों आदि के जैविक कूड़े से खाद बनाई जाए।

ग्रीन एरिया का मतलब घास उगाना नहीं 

एमडीडीए उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी ने कहा कि बड़ी आवासीय परियोजनाओं में ग्रीन एरिया की व्यवस्था सिर्फ घास उगाने के लिए नहीं की गई है। इसका आशय यह है कि ग्रीन एरिया में फलदार प्रजाति के पौधे लगाए जाएं। इससे शहर में बढ़ते तापमान को भी नियंत्रित किया जा सकता है।

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