हरिद्वार कुंभ में कोरोना टेस्टिंग फर्जीवाड़े पर ईडी की भी नजर
हरिद्वार कुंभ में कोरोना जांच घोटाले में मैक्स कारपोरेट सर्विसेज और उसकी सहयोगी दो लैब पर मुकदमा दर्ज किए जाने के बाद अब इस मामले में ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की निगाह की टेढ़ी हो गई है। ईडी अधिकारी भी पूरे मामले पर निगाह बनाए हुए हैं।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Fri, 09 Jul 2021 02:19 PM (IST)
जागरण संवाददाता, देहरादून। हरिद्वार कुंभ में कोरोना जांच घोटाले में मैक्स कारपोरेट सर्विसेज और उसकी सहयोगी दो लैब पर मुकदमा दर्ज किए जाने के बाद अब इस मामले में ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की निगाह की टेढ़ी हो गई है। ईडी अधिकारी भी पूरे मामले पर निगाह बनाए हुए हैं। जून के पहले सप्ताह कोरोना टेस्टिंग में फर्जीवाड़ा सामने आया था।
कुंभ मेले के दौरान श्रद्धालुओं की कोरोना जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग ने 22 लैब का चयन किया था। इनमें छह लैब दिल्ली और हरियाणा की थी। कोरोना जांच करने वाली दो लैब हिसार हरियाणा की नलवा लैबारेटरी और नई दिल्ली की डा. लालचंदानी लैब ने मैक्स कारपोरेट सर्विसेज के अधीन काम किया। प्रारंभिक जांच में इन दोनों लैब की जांच में गड़बड़ी पकड़ में आई है। इन पर कोरोना जांच का फर्जी डाटा फीड करने और पूरा लेखा-जोखा वेबसाइट पर अपलोड न करने का आरोप है।हरिद्वार के सीएमओ डा. शंभू कुमार झा ने इन दोनों लैब के साथ ही इनके लिए अनुबंध करने वाली फर्म मैक्स कारपोरेट के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी करके सरकारी धन हड़पने की कोशिश करने का मुकदमा दर्ज कराया हुआ है। हालांकि जांच के दायरे में सभी अनुबंधित लैब हैं, लेकिन फिलहाल गड़बड़ी इन्हीं दो लैब की पकड़ में आई हैं। शासन के निर्देश पर हरिद्वार के डीएम इस प्रकरण की जांच सीडीओ की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय कमेटी से करा रहे हैं। जबकि सीएमओ के स्तर से दर्ज कराए गए मुकदमे की जांच एसआइटी कर रही है। अभी सभी जांच जारी हैं, इस बीच यह भी पता चला कि स्वास्थ्य विभाग के स्तर से अनुबंधित लैबों को करीब तीन करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है। कोरोना जांच की एवज में कुल बिल की रकम लगभग 40 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।
अब इस प्रकरण में नया मोड़ आता दिख रहा है। क्योंकि ईडी पर भी कोरोना जांच घोटाले को लेकर गोपनीय ढंग से आगे बढ़ रहा है। हालांकि, अभी ईडी ने सीधे तौर पर जांच शुरू नहीं की है। बताया जा रहा है कि कोरोना जांच की एवज में अनुबंधित लैब द्वारा अब तक करीब तीन करोड़ रुपये का भुगतान प्राप्त करने को ईडी मनी लॉन्ड्रिंग से जोड़कर देख रहा है।यदि ईडी के हाथ कुछ ठोस साक्ष्य लगते हैं तो ईडी अधिकारी प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत कार्रवाई कर सकते हैं। इतना जरूर है कि पीएमएलए के तहत कार्रवाई के लिए ईडी को पुलिस से आधिकारिक रूप से एफआइआर मांगनी होगी। फिलहाल, ऐसे कुछ भी ईडी स्तर से नहीं किया गया है। अगर ईडी आने वाले दिनों में कुछ एक्शन लेता है तो कई मुकदमे में आरोपित लैब के इतर अन्य लैब भी जांच के दायरे में आ सकती है। ईडी की कार्रवाई के तहत आरोपितों की संपत्ति भी अटैच की जा सकती है।
यह भी पढ़ें:-Haridwar Kumbh Coronavirus Test Fraud: अंतिम चरण में है कोरोना टेस्टिंग फर्जीवाड़े में प्रशासनिक जांच
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।