Move to Jagran APP

महिला सशक्तीकरण के लिए शिक्षा है अहम हथियार

ज्यादातर महिलाओं की राय है कि महिला सशक्तीरण की दिशा में सही प्रयास के लिए शिक्षा के साथ ही सुरक्षा और स्वास्थ्य को लेकर गंभीरता दिखाई जानी चाहिए।

By Raksha PanthariEdited By: Updated: Mon, 25 Mar 2019 04:26 PM (IST)
महिला सशक्तीकरण के लिए शिक्षा है अहम हथियार
देहरादून, जेएनएन। लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। वोटरों ने भी अपने-अपने मुद्दे लेकर नेताओं को टारगेट करना शुरू कर दिया है। चुनाव में महिला उम्मीदवारों के साथ ही महिला वोटरों की भी बेहद महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

जहां चुनावी आंकड़े कहते हैं कि पुरुष उम्मीदवारों की अपेक्षा महिला उम्मीदवारों की जीत का औसत ज्यादा रहा है। वहीं, महिला मतदाताओं के बढ़ते प्रतिशत भी अच्छा संकेत हैं। दून की महिला मतदाताओं को भी चुनाव से ढेरों उम्मीदें हैं। इनमें ज्यादातर महिलाओं की राय है कि महिला सशक्तीरण की दिशा में सही प्रयास के लिए शिक्षा, सुरक्षा, स्वास्थ्य को लेकर गंभीरता दिखाई जानी चाहिए, यह महज चुनावी एजेंडे न बन कर रह जाएं। 

शिक्षिका कंचन ध्यानी कहती हैं कि सरकार चाहे जिस भी राजनीतिक दल की बने, जरूरी है कि महिला सशक्तीकरण के लिए उन्हें शिक्षा के हथियार से मजबूत किया जाए। आज भी कई बेटियां ऐसी हैं, जो किसी कारणवश पढ़ाई पूरी नहीं कर पातीं। शिक्षा ही हमारी बौद्धिक क्षमता का विकास करती है। जिससे हम अपने अधिकारों को समझकर सही निर्णय लेने में सक्षम होते हैं।  

शिवानी कांडपाल ने कहा कि पहाड़ी राज्य की खूबसूरती और विशेषता यहां की हरियाली से ही है। सरकार को पर्यावरण और जल संरक्षण की ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। खाली होते पहाड़ और कृषि से विमुख होते किसानों के लिए ऐसी योजनाएं बनें, जिससे खेती को बढ़ावा मिल सके और किसानों को मुनाफा मिले और वे गांवों के विकास में अपनी भूमिका निभा सकें।  

गोर्खाली सुधार सभा की मीडिया प्रभारी प्रभा शाह कहती हैं कि पहाड़ों में पलायन एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। आने वाली सरकार से यही उम्मीदें हैं कि वह पलायन को एक चुनौती की रूप में देखते हुए इस पर काम करें और गांव के विकास के लिए सुदृढ़ योजनाएं बनाएं, जिससे पलायन पर रोक लगे। इसके लिए पारंपरिक कृषि को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। आर्थिकी बढ़ाने के के लिए स्वरोजगार को बढ़ावा मिलना चाहिए। 

पुष्पांजलि महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास संस्था की अध्यक्ष वंदना बिष्ट का कहना है कि समय के साथ समाज के हर तबके में जागरूकता बढ़ी है। महिलाओं के शिक्षा के स्तर में भी काफी सुधार हुआ है। मेरी सरकार से यही अपेक्षाएं हैं कि वे अपने मुद्दे में अशिक्षित महिलाओं के शिक्षा के लिए बड़े स्तर पर अभियान चलाए। जिससे गैर सरकारी संगठनों के साथ ही सरकारी संगठन भी उन्हें शिक्षित कर सामाजिक विकास में अहम योगदान दे सके। 

गोर्खाली सुधार सभा की उपाध्यक्ष पूजा सुब्बा ने कहा कि महिलाओं के सशक्तीकरण के नाम पर नेता वोट तो लेते हैं, लेकिन आज भी महिलाओं का स्वास्थ्य, उनकी शिक्षा और उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने के लिए सरकार के पास कोई ठोस योजनाएं नहीं हैं। ऐसे में महिला सशक्तीकरण कैसे हो पाएगा। सरकार को चाहिए कि वह महिलाओं के स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार के लिए पायलट प्रोजेक्ट पर काम करें। 

एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मधु नौटियाल कहती हैं कि महिला सुरक्षा देश में एक संवेदशनशील मुद्दा है। तमाम हेल्पलाइन, महिला सेल बनने के बावजूद महिला अपराधों पर रोक नहीं लग पा रही है। इन मुद्दों को महज एजेंडा न बनाकर इस पर गंभीरता से कार्य होना चाहिए। इसी के साथ बच्चों की शिक्षा से लेकर सरकारी योजनाओं में विज्ञान और तकनीकी योजनाओं को शामिल किया जाना चाहिए। 

यह भी पढ़ें: वोट को 'हां', नोट को 'ना' के लिए दौड़ा पूरा दून

यह भी पढ़ें: मतदाताओं को कंट्रोल रूम की जानकारी नहीं, कैसे करें शिकायत

यह भी पढ़ें: पहली बार वोट डालेंगे उत्तराखंड के इतने युवा, जानिए

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।