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तंत्र की एक चूक गुरुजनों के लिए बनी दर्द का सबब, पढ़िए

शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे से गुहार लगाई तो उन्होंने गुरुजनों को पदोन्नति का लाभ देने के निर्देश महकमे के अफसरों को दे डाले। बावजूद इसके बात जहां की तहां रुकी है।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Thu, 07 May 2020 04:07 PM (IST)
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तंत्र की एक चूक गुरुजनों के लिए बनी दर्द का सबब, पढ़िए
देहरादून, रविंद्र बड़थ्वाल। तंत्र की एक चूक गुरुजनों पर सिर्फ भारी ही नहीं पड़ी, बल्कि अब दर्द का सबब बन गई है। 16,600 प्राथमिक शिक्षक तकरीबन 15 साल की नौकरी के बाद भी पदोन्नति को मारे-मारे घूम रहे हैं। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे से गुहार लगाई तो उन्होंने गुरुजनों को पदोन्नति का लाभ देने के निर्देश महकमे के अफसरों को दे डाले। बावजूद इसके बात जहां की तहां रुकी है। 

पदोन्नति का लाभ देने से पहले शिक्षकों पर चस्पा अप्रशिक्षित का तमगा हटना जरूरी है। इसे हटाने के लिए एमएचआरडी कानूनी प्रक्रिया पूरी कर चुका है, किंतु औपचारिक   स्वीकृति अब तक नहीं आई। इसके लिए एमएचआरडी की चौखट पर फिर दस्तक देनी होगी। ये जहमत कौन उठाए। कोरोना का संकट है और शासन की बड़ी फौज वर्क फ्रॉम होम के नाम पर घर पर ही है। मंत्री जी होम क्वारंटीन हो रखे तंत्र को जोर से हिलाएं तो फिर बात बन सकती है।

बच्चों को सुहाया बुद्धू बंदर

आखिर नन्हे-मुन्नों की सुध सरकार ने ले ही ली। पहाड़ी जिले रुद्रप्रयाग से लेकर देहरादून के ग्रामीण अंचल के नौनिहालों को बुद्धू बंदर, चतुर चूहा और बुलबुले का राग जैसी रोचक कहानियां एफएम रेडियो पर सुनने को मिल रही हैं। लॉकडाउन ने यंत्रवत काम करने के आदी हो चुके हमारे तंत्र के बंद दिमाग को भी अनलॉक करना शुरू कर दिया है। डेढ़ माह से ज्यादा अरसे से स्कूल-कॉलेज बंद हैं। माध्यमिक और डिग्री कक्षाओं के छात्र-छात्राओं को ऑनलाइन पढ़ाई कराई जा रही है। दूरदर्शन पर कक्षाएं लग रही हैं। कक्षा एक से पांचवीं तक पढऩे वाले बच्चों और उनके कोमल बालमन पर कोरोना के असर की चिंता काफी देर बाद में की गई। देर आयद, दुरुस्त आयद। अब कम्युनिटी रेडियो की मदद से पर्वतीय और मैदानी क्षेत्रों के छोटे बच्चों के लिए फन स्टोरी, संगीतबद्ध कविताओं का प्रसारण शुरू हो चुका है। खेल खेल में बचपन पढ़ रहा है।

ग्रीन जोन में उत्तराखंड बोर्ड

उत्तराखंड के 13 में से 10 जिले ग्रीन जोन घोषित होने पर प्रदेश सरकार को राहत मिली। सुकून मिलने की बारी अब उत्तराखंड बोर्ड की है। लॉकडाउन खुलने का इंतजार किए बिना ही बोर्ड की हाईस्कूल और इंटर कक्षाओं की अभी तक हो चुकी परीक्षाओं की उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन ग्रीन जोन में होगा। ग्रीन जोन में सरकारी और निजी दफ्तरों में कामकाज तो सुचारू है ही, लोगों को आने-जाने की छूट भी दी गई है। अभी ये छूट जिले के भीतर ही है। आने वाले दिनों में हालत देखते हुए ग्रीन जोन जिलों में भी परस्पर आवाजाही शुरू करने के संकेत सरकार ने दिए हैं। इन जिलों में मूल्यांकन कार्य कराने पर शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय, सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम और निदेशक आरके कुंवर बोर्ड सहमत हैं। ऐसा हुआ तो उत्तराखंड बोर्ड का रिजल्ट घोषित करने में ज्यादा देर नहीं होगी। बोर्ड विकल्पों को आजमाने की तैयारी में जुटा है।

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भय बिनु होई न प्रीति

सरकारी डिग्री कॉलेजों के शिक्षक और प्राचार्य इन दिनों भयभीत हैं। वेतन कटने की नौबत आ गई है। उच्च शिक्षा महकमा ऐसे शिक्षकों व प्राचार्यों का ब्योरा इकट्ठा कर रहा है। बीते माह मार्च में लॉकडाउन लागू होते ही दूरदराज पर्वतीय क्षेत्रों के कॉलेजों के नजदीक अपने किराए के ठिकानों को छोड़कर घरों की ओर दौड़ लगाने वाले शिक्षक और प्राचार्य परेशान हैं। सरकार ने फरमान जारी किया है कि मुख्यालय छोड़ने वालों का वेतन काटा जाएगा। दरअसल डिग्री छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाई कराने के आदेश दिए गए हैं। शिक्षकों तक ये संदेश पहुंचा तो उन्होंने घर बैठे-बैठे ही वर्चुअल प्लेटफार्म का इस्तेमाल कर ऑनलाइन कक्षाएं प्रारंभ कीं। कुछ शिक्षकों ने नायाब तरीका ये निकाला कि पढ़ाई के टिप्स देने के बजाए पाठ्यपुस्तकों में प्रकाशित सामग्री या ऑनलाइन शिक्षा से जुड़े लिंक भेजने शुरू कर दिए। शासन को ये सख्त नागवार गुजरा और कान उमेठने का फार्मूला ढूंढ निकाला गया।

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