उत्तराखंड के स्कूली पाठ्यक्रम से हटेगा इंडिया शब्द, शिक्षा मंत्री धन सिंह ने किया एलान, 'हमारी विरासत' किताब होगी लागू
उत्तराखंड में विद्यालयी शिक्षा के पाठ्यक्रम में इंडिया शब्द का स्थान भारत लेगा। नेशनल काउंसिल आफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एनसीईआरटी) की ओर से गठित उच्च स्तरीय समिति की इस संबंध में संस्तुति को प्रदेश में क्रियान्वित किया जाएगा। शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के प्रविधानों के अंतर्गत प्रदेश के स्कूली पाठ्यक्रम में ‘हमारी विरासत’ पुस्तक सम्मिलित की जाएगी।
By Ravindra kumar barthwalEdited By: riya.pandeyUpdated: Thu, 26 Oct 2023 09:22 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड में विद्यालयी शिक्षा के पाठ्यक्रम में इंडिया शब्द का स्थान भारत लेगा। नेशनल काउंसिल आफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एनसीईआरटी) की ओर से गठित उच्च स्तरीय समिति की इस संबंध में संस्तुति को प्रदेश में क्रियान्वित किया जाएगा। शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के प्रविधानों के अंतर्गत प्रदेश के स्कूली पाठ्यक्रम में ‘हमारी विरासत’ पुस्तक सम्मिलित की जाएगी। पुस्तक के संकलन को पांच सदस्यीय समिति गठित की गई है।
शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत ने बताया कि एनसीईआरटी की समिति की संस्तुतियों को प्रदेश के शैक्षिक पाठ्यक्रम में लागू करने के निर्देश स्टेट काउंसिल आफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एससीईआरटी) के निदेशक को दिए गए हैं। समिति ने सभी पाठ्यक्रमों में भारतीय ज्ञान प्रणाली प्रारंभ करने की संस्तुति भी की है। राज्य सरकार स्कूली पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान परंपरा को सम्मिलित करने का निर्णय ले चुकी है।
विरासत पुस्तक छह से आठवीं कक्षा तक होगा लागू
इस कड़ी में हमारी विरासत पुस्तक को पहले चरण में कक्षा छह से आठवीं तक लागू किया जाएगा। पुस्तक के संकलन की जिम्मेदारी एससीईआरटी को दी गई है। इस संबंध में एससीईआरटी निदेशक वंदना गर्ब्याल की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति गठित की गई है। हमारी विरासत पुस्तक के शीघ्र के संकलन के लिए सभी डायट प्राचार्यों को अपने-अपने जिलों से जुड़ी जानकारी एकत्र कर एससीईआरटी को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं।पौराणिक, ऐतिहासिक समेत राजनीतिक महत्व की होगी जानकारी
डा. रावत ने बताया कि हमारी विरासत पुस्तक में राज्य के पौराणिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक महत्व की जानकारी उपलब्ध रहेगी। इसके अतिरिक्त प्रदेश की महान विभूतियों, वीरांगनाओं, सैन्य पृष्ठभूमि से जुड़े सेनानियों, पर्यावरणविदों, वैज्ञानिकों, साहित्यकारों, विभिन्न आंदोलनों एवं खेलों से जुड़े व्यक्तियों का विवरण होगा। तीर्थ स्थलों, पंच प्रयागों सहित ऐतिहासिक धरोहरों एवं घटनाओं की जानकारी भी पुस्तक में रहेगी। इससे विद्यार्थियों को प्रदेश के गौरवमयी इतिहास एवं संस्कृति की सही जानकारी मिल सकेगी।
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