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Uttarakhand: बजट खर्च बढ़ाने के प्रयासों को मिली बड़ी सफलता, अब चार हजार करोड़ का लक्ष्य दूर नहीं

Uttarakhand उत्तराखंड में 65 में 12 विभाग ऐसे हैं जिन्हें वित्तीय वर्ष 2023-24 के चार माह यानी जुलाई बीतने के बाद भी कुल बजट प्रविधान का 30 प्रतिशत से कम बजट स्वीकृत हो पाया। चालू वित्तीय वर्ष में बजट खर्च को बढ़ाने को सरकार के प्रयास रंग लाए हैं। इसी अवधि में 47.50 प्रतिशत बजट को स्वीकृति दी गई जबकि इसमें से 36.82 प्रतिशत धनराशि खर्च की जा चुकी है।

By Jagran NewsEdited By: Prince SharmaUpdated: Thu, 21 Sep 2023 07:48 AM (IST)
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Uttarakhand: बजट खर्च बढ़ाने के प्रयासों को मिली बड़ी सफलता, अब चार हजार करोड़ का लक्ष्य दूर नहीं

देहरादून, रविंद्र बड़थ्वाल। प्रदेश में 65 में 12 विभाग ऐसे हैं, जिन्हें वित्तीय वर्ष 2023-24 के चार माह यानी जुलाई बीतने के बाद भी कुल बजट प्रविधान का 30 प्रतिशत से कम बजट स्वीकृत हो पाया। वहीं एक तिहाई वर्ष बीत गया, लेकिन 30 विभाग स्वीकृत बजट का एक तिहाई से कम खर्च कर पाए हैं। कृषि, ग्राम्य विकास, सिंचाई, लोक निर्माण, युवा कल्याण, चिकित्सा शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विभाग इसमें सम्मिलित हैं।

इसके बावजूद चालू वित्तीय वर्ष में बजट खर्च को बढ़ाने को सरकार के प्रयास रंग भी लाए हैं। इसी अवधि में 47.50 प्रतिशत बजट को स्वीकृति दी गई, जबकि इसमें से 36.82 प्रतिशत धनराशि खर्च की जा चुकी है। पहली छमाही यानी 30 सितंबर तक बजट खर्च को लेकर कई वर्षों बाद अच्छी तस्वीर सामने आ सकती है। विकास कार्याें और परिसंपत्तियों के निर्माण से संबंधित पूंजीगत मद में पहली छमाही में 4000 करोड़ खर्च करने का लक्ष्य चंद कदमों की दूरी पर है।

अब तक 3200 करोड़ खर्च करने में सरकार को सफलता मिली है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस वित्तीय वर्ष में जुलाई माह तक कुल बजट 77407.08 करोड़ में से विभागों को 36800.11 करोड़ जारी किए गए। इनमें से 13550.71 करोड़ खर्च किए गए हैं।केंद्रपोषित योजनाओं के कुल बजट 15583.29 करोड़ में से विभागों को 4203.79 करोड़ जारी किए गए। इसमें से खर्च 1758.63 करोड़ हुए हैं।

यह स्वीकृति का 41.83 प्रतिशत है। बाह्य सहायतित योजनाओं के मद में कुल 1675.06 करोड़ के बजट में से 233.47 करोड़ विभागों को दिए जा चुके हैं। यह कुल बजट का 13.94 प्रतिशत है। इसमें से 54.87 करोड़ यानी 23.50 प्रतिशत ही खर्च हो पाया है।

हर पखवाड़े अनुश्रवण का विभागों पर प्रभाव

पिछले वित्तीय वर्षों में बजट खर्च की धीमी गति की परंपरा तोड़ने के लिए इस बार सरकार की ओर से विशेष प्रयास किए गए। विभागों को बजट जारी करने और खर्च में तेजी लाने के लिए मासिक के स्थान पर हर पखवाड़े अनुश्रवण की व्यवस्था की गई है। फिलहाल कुल स्वीकृत बजट का एक तिहाई से अधिक खर्च किया गया है।

बीते वर्ष नवंबर माह में मसूरी में सरकार ने आला अधिकारियों के साथ चिंतन शिविर में बजट खर्च की गति बढ़ाने पर मंथन किया था। तब यह तय किया गया था कि विभागों को बजट स्वीकृति और खर्च में होने वाली कठिनाइयों से निजात दिलाने को नियमित अनुश्रवण किया जाए। एक अप्रैल, 2023 से नया वित्तीय वर्ष प्रारंभ होने के साथ वित्त के आला अधिकारी इसी रणनीति के साथ काम कर रहे हैं।

केंद्र से 450 करोड़ मिलने की उम्मीद

केंद्र सरकार ने इस वित्तीय वर्ष में पूंजीगत बजट में से 4000 करोड़ 30 सितंबर तक खर्च करने की शर्त रखी है। इस शर्त को पूरा करने पर राज्य को अतिरिक्त केंद्रीय सहायता के रूप में 450 करोड़ की राशि मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा। पहली छमाही बीतने में अब चंद दिन बजे है, लेकिन सरकार 3200 करोड़ खर्च कर चुकी है। वित्त सचिव दिलीप जावलकर का कहना है कि शेष दिनों में लक्ष्य को पाने का पूरा प्रयास किया जा रहा है।

बजट खर्च करने वाले विभाग: (बजट खर्च-प्रतिशत में) कृषि-27.95, जलागम प्रबंधन-18.68, वन-26.36, ग्राम्य विकास-11.29, खाद्य-26.36, पंचायतीराज-28.30, ग्रामीण निर्माण-27.69, सिंचाई-27.69, नागरिक उड्डयन-27.50, लोक निर्माण-28.70, परिवहन-11.70, सूचना प्रौद्योगिकी-5.03, विज्ञान प्रौद्योगिकी-19.59, युवा कल्याण-16.74, कला व संस्कृति-14.61, चिकित्सा शिक्षा-19.89, आवास-6.81, जेल-12.91, होमगार्ड-18.50, आबकारी-15.97, सामान्य प्रशासन- 5.86

2023-24 में केंद्रपोषित योजना मद में जुलाई माह तक शून्य बजट खर्च करने वाले विभाग: उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, सिंचाई, पंचायतीराज, खाद्य, दुग्ध विकास, ऊर्जा, नागरिक उड्डयन, परिवहन, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, युवा कल्याण।

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