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उत्तराखंड में मार्च से बदल जाएगी बिजली के बिल की व्यवस्था, जानिए क्या है नया फार्मूला

उत्तराखंड में मार्च से बिजली बिल (Electricity Bill) की व्यवस्था बदलने जा रही है। लंबे समय से चली आ रही ब्लाक व्यवस्था खत्म हो जाएगी। ऐसे में जितने दिन बिजली खर्च करेंगे उतने ही दिन का बिल आएगा।

By Raksha PanthriEdited By: Updated: Tue, 22 Feb 2022 09:47 AM (IST)
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उत्तराखंड में मार्च से बदल जाएगी बिजली के बिल की व्यवस्था।
जागरण संवाददाता, देहरादून। उत्तराखंड ऊर्जा निगम (Uttarakhand Urja Nigam) में उत्तर प्रदेश के समय से चली आ रही बिजली के बिल (Electricity Bill) तय करने की ब्लाक व्यवस्था समाप्त कर दी गई है। अब उपभोक्ता जितने दिन बिजली खर्च करेंगे, बिल की गणना उतने दिनों के हिसाब से ही की जाएगी। फरवरी माह से ही नई व्यवस्था के बिल जारी किए जाने लगे हैं। हालांकि, सभी उपभोक्ताओं को मार्च माह से नई व्यवस्था के बिल प्राप्त होने लगेंगे। नई व्यवस्था के हिसाब से ऊर्जा निगम ने बिलिंग साफ्टवेयर में भी आवश्यक बदलाव कर लिया है। इसका लाभ प्रदेश के करीब 20 लाख घरेलू उपभोक्ताओं को मिलेगा। 

अब तक ऊर्जा निगम 15 दिन से अधिक समय होने पर पूरे महीने का बिल तैयार करता है। यह ब्लाक 45 दिन तक चलता है। इसी तरह दो महीने का बिल 46 से 75 दिन के ब्लाक पर तैयार किया जाता है। अब मीटर रीडर की सक्रियता व नियमितता के संयोग पर निर्भर है कि आपको 45 दिन पर एक माह का बिल मिलता है या 46 दिन पर दो माह का बिल। क्योंकि महज एक दिन के अंतर पर बिल जारी होने पर प्रतिमाह पहली 100 यूनिट पर मिलने वाला मार्जिन कई उपभोक्ताओं को 46 दिन पर 100-100 (प्रतिमाह) के हिसाब से दो बार मिल जाता था।

वहीं, 45 दिन के बिल पर यह मार्जिन सिर्फ एक बार 100 यूनिट पर मिल रहा था। इतने बड़े मार्जिन का सच यह भी है कि महज एक या दो दिन के अंतराल पर बिजली खर्च पर खास असर नहीं पड़ता, जबकि मार्जिन बड़ा मिल जाता है। या फिर कोई इस मार्जिन से वंचित रह जाता।

यह संभव नहीं हो पाता कि मीटर रीडर जिस तारीख को आपके घर पर आया है, अगले माह भी वही तारीख रहेगी। लिहाजा, इस झंझट से बचने के लिए अब दिनों के हिसाब से बिजली बिल की व्यवस्था का फार्मूला तैयार कर लिया गया है। खास बात यह भी कि अब एक माह का बिल 25 से 35 दिन व दो माह का बिल 55 से 65 दिन के भीतर तय किया जाएगा।

नए बिल का यह है फार्मूला

ऊर्जा निगम के अधीक्षक अभियंता (वाणिज्यिक) गौरव शर्मा के मुताबिक, नई व्यवस्था के तहत ऊर्जा निगम ने एक महीने में 30.417 दिन तय किए हैं। मान लीजिए आपका बिल 35 दिन पर आता है। तो आपको पहली 100 यूनिट के स्लैब में भी बदलाव आ जाएगा। इसे इस तरह समझते हैं। 35 दिन को 100 यूनिट से गुणा कीजिए। आंकड़ा 3500 आया और इसे 30.417 से भाग दीजिए। यानी 115.06 यूनिट के हिसाब से पहली 100 यूनिट अलग करके सामान्य दर लगेगी। बची यूनिट की गणना अगले स्लैब से की जाएगी। इसी तरह यूनिट अधिक होने पर वह अगले स्लैब व उसकी दर के हिसाब से तय की जाती रहेगी। फिक्स चार्ज की गणना भी प्रतिदिन के हिसाब से की जाएगी। साफ है कि जितने दिन की बिजली खर्च करेंगे, बिल उतना ही आएगा। एक तरह से देखा जाए तो बिलिंग की अनियमित व्यवस्था के चलते अनियमित स्लैब लागू होने के मामले का भी समाधान हो जाएगा।

विद्युत नियामक आयोग के आदेश पर बदली व्यवस्था

कुछ बिलिंग में अनियमितता के चलते अव्यवहारिक स्लैब लागू हो जाने के कुछ मामले उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग के संज्ञान में आए थे। परीक्षण पर यह पता चला कि कुछ उपभोक्ता गैर जरूरी रूप से लाभ के दायरे में आ जा रहे हैं, तो कुछ की जेब पर अतिरिक्त भार भी पड़ रहा है। लिहाजा, आयोग के आदेश पर नई व्यवस्था लागू की गई।

बिजली की वर्तमान दरें (प्रति माह के हिसाब से)

यूनिट, फिक्स चार्ज (रु.), दर (प्रति यूनिट रु.)

01 से 100, 55, 2.65

101 से 200, 80, 3.45

201 से 400, 135, 4.70

400 से अधिक, 220, 5.40

ऊर्जा निगम के प्रबंध निदेशक अनिल यादव ने बताया कि बिलिंग की नई व्यवस्था में प्रतिदिन के आधार पर चार्ज किया जाएगा। पूर्व की व्यवस्था में ब्लाक सिस्टम लागू था। इसका उपभोक्ताओं की जेब पर खास असर नहीं पड़ेगा। इतना जरूर है कि दिन के हिसाब से चार्ज तय होने पर विवाद की स्थिति खड़ी नहीं होगी। एक तरह से नई व्यवस्था ऊर्जा निगम के लिए सुगम साबित होगी।

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