रोडवेज की चलती बस से उखड़ा इमरजेंसी डोर, निगम ने बैठाई जांच
राज्य परिवहन निगम में अशोका लेलैंड की नई बसों में वॉयरिंग उखड़ने के बाद अब बस की छत में बना इमरजेंसी डोर उखड़ गया। चलती बस में यह घटना हुई। इस मामले में जांच बैठा दी है।
By BhanuEdited By: Updated: Sat, 22 Feb 2020 09:35 AM (IST)
देहरादून, जेएनएन। राज्य परिवहन निगम में अशोका लेलैंड की नई बसों में वॉयरिंग उखड़ने के बाद अब बस की छत में बना इमरजेंसी डोर उखड़ गया। ऋषिकेश डिपो को मिली उक्त बस दिल्ली जा रही, जब चलती बस में यह घटना हुई। गनीमत रही कि दरवाजा पीछे आ रही गाड़ी या किसी दुपहिया सवार पर नहीं गिरा। इस मामले में रोडवेज मुख्यालय ने जांच बैठा दी है। रोडवेज प्रबंधन मामले में एक यात्री की गलती बता रहा, जिसने चलती बस में डोर का लीवर खोल दिया।
परिवहन निगम में नई बसें फिर सवालों में आ है। दो माह पूर्व टाटा कंपनी की बसों में एक के बाद एक खराबी आने के बाद हाल ही में मिलीं अशोका लेलैंड की 20 बसों में भी लगातार दूसरे दिन दूसरी घटना आ गई। शुक्रवार को दिल्ली रूट पर पहले दिन बसों की वॉयरिंग उखड़ गई थी। अब दिल्ली रूट पर एक बस का इमरजेंसी डोर उखड़कर जा गिरा। सीआइआरटी की ओर से दो जनवरी को लेलैंड की बसें पास करके बाद रोडवेज ने बसों की डिलीवरी को ग्रीन सिग्नल दिया था। गत 30 जनवरी को लेलैंड ने 20 बसें दून भेज दी थी। इन बसों को पंजीकरण के बाद पांच बसें देहरादून, पांच बसें ऋषिकेश डिपो और चार-चार बसें काशीपुर व रुद्रपुर डिपो को दीं। शेष दो बसें हल्द्वानी डिपो को दी गईं। सभी बसों का संचालन ट्रायल पर दिल्ली रूट पर कराया जा रहा।
चालकों को निर्देश दिए गए थे कि बसों में जो भी कमी आए, उसे नोट भी किया जाए। इसमें पहले ही दिन मडगार्ड के ऊपर से गुजर रही पूरी वॉयरिंग उखड़ गई। वॉयरिंग को एक क्लीप के जरिए अटकाया गया था। क्लीप भी पूरी तरह टूट गए। जिससे बसों की लाइटें, हॉर्न आदि बंद हो गए। शिकायत पर यहां पहुंची लेलैंड की टीम ने वॉयङ्क्षरग ठीक कर दी थी। इस मामले के नई बस का इमरजेंसी डोर उखड़ा गया। बताया जा रहा के ऋषिकेश डिपो की यह साधारण बस दिल्ली हाइवे पर थी कि तभी इमरजेंसी डोर उखड़कर पीछे जा गिरा। चालक ने डोर उठाकर तार से छत पर बांधा, तब यह बस दिल्ली होकर वापस ऋषिकेश आई। मामले में रोडवेज अधिकारी किसी यात्री की गलती बता रहे। उनका कहना है कि चलती बस में एक यात्री ने डोर का लीवर खोल दिया, जिससे डोर एकदम खुलकर तेज हवा में जा गिरा। निगम प्रबंधन के मुताबिक, अभी बसें ट्रायल पर चल रहीं। यह ट्रायल पूरा होने के बाद ही शेष 130 बसें मंगाई जाएंगी।
बाद में बनाया गया इमरजेंसी डोरअशोका लेलैंड ने बसों को पूरी तरह तैयार करने के बाद दोबारा छत काटकर बनाया था। यह मामला दिसंबर में सामने आया था, जब लेलैंड बसें तैयार कर चुका था और इनकी डिलीवरी होनी थी। इसके बाद रोडवेज अधिकारी तत्काल लेलैंड के अलवर प्लांट पहुंचे और बसों में इमरजेंसी डोर डिजाइन के मुताबिक बनाने के निर्देश दिए। जिस पर लेलैंड ने दोबारा इन बसों की छत काटकर डिजाइन के तहत छत में इमरजेंसी डोर बनवाया।
रोडवेज को मिली 20 नई वॉल्वोरोडवेज को अनुबंध पर 20 नई वॉल्वो बसें मिल गई हैं। बता दें कि रोडवेज का वॉल्वो बस बेड़ा 45 बसों का है। जिनमें 15 बसें निगम के नियमों के अंतर्गत आयु सीमा पार कर चुकी हैं। इन बसों को बाहर कर नई बसें लगाई जाएंगी। नोएडा की एक कंपनी ने यह बसें उपलब्ध कराई हैं। इनका पंजीकरण कराकर सड़कों पर उतारा जाएगा। इन बसों को दिल्ली, हल्द्वानी, चंडीगढ़ और धर्मशाला रूट पर उतारा जाएगा।
यात्री की गलती है हुई घटना रोडवेज के महाप्रबंधक दीपक जैन के मुताबिक, घटना किसी यात्री की गलती के कारण हुई। चलती बस में उसने इमरजेंसी डोर का लीवर छेड़ दिया। अब नई तकनीक में बसों की छत में इमरजेंसी डोर दिया गया है ताकि किसी अनहोनी के वक्त इसके जरिए बाहर निकला जा सके। छत के इमरजेंसी डोर का लीवर बीच वाली सीटों के ऊपर है। इससे चलती बस में इमरजेंसी डोर खुल गया और तेज हवा में उखड़ गया। फिर भी मामले में विभागीय जांच कराई जा रही। यह भी पता लगाया जा रहा कि इमरजेंसी डोर गुणवत्ता में उत्तम भी है या नहीं।
लखीमपुर जा रही डग्गामार बस सीजपुलिस, प्रशासन और रोडवेज अधिकारियों की नाक के नीचे आइएसबीटी से संचालित हो रही डग्गामार स्लीपर कोच बस को देर रात परिवहन विभाग की टीम ने पकड़ लिया। बस में न तो रजिस्ट्रेशन से जुड़े कागजात थे, ना ही फिटनेस। इसमें 40 सीट पर 65 यात्री सवार थे और सभी से 800 से 1000 रुपये प्रति सीट किराया लिया गया था। बस लखीमपुर जा रही थी। वहीं, किराया वापस न मिलने पर यात्रियों ने जमकर हंगामा किया। करीब एक घंटे बाद यात्रियों को रोडवेज बस से बरेली तक रवाना किया गया। वहीं, चेकिंग अभियान में कुल 25 डग्गामार वाहनों के चालान किए गए।
आइएसबीटी से सुबह से लेकर देर रात तक बेरोकटोक डग्गामार बसों का संचालन हो रहा है। दिल्ली, आगरा, गुडगांव, फरीदाबाद, जयपुर समेत लखनऊ, कानपुर, अलीगढ़, गोरखपुर, लखीमपुर तक के लिए डग्गामार बसें संचालित हो रही हैं और इनके टिकट भी ऑनलाइन बिक रहे हैं। बस अड्डे के बाहर रोडवेज के परिचालकों के सामने ही डग्गामार बसों के परिचालक भी सवारी उठाते हैं, लेकिन परिवहन विभाग या रोडवेज इन पर कोई कार्रवाई नहीं कर पा रहा।
अब शासन के आदेश पर आइएसबीटी और इसके आसपास से नियमित संचालित होने वाली डग्गामार बसों, टैक्सी-मैक्सी कैब और अन्य वाहनों पर कार्रवाई के लिए परिवहन विभाग की चार टीमें बनाई गई हैं। सोमवार से शुरू हुई चेकिंग में रात आठ बजे से रात दस बजे तक टीमों ने ताबड़तोड़ कार्रवाई की। हालांकि, पहले कोई बस पकड़ में नहीं आई, जिस पर टैक्सी-मैक्सी कैब पर शिकंजा कसा गया। यह भी पढ़ें: ट्रायल में ही उखड़ी लीलैंड बसों की वायरिंग, परिवहन निगम में मचा हड़कंप
डग्गामार बसों को उनके संचालकों ने पहले ही वहां से हटा लिया था। टीमों को रात 12 बजे तक कार्रवाई के निर्देश दिए गए थे। इसी बीच ऋषिकेश एआरटीओ अनिता चमोला ने लखीमपुर जा रही स्लीपर कोच बस पकड़ ली। टीम ने बस सीज कर दी और यात्रियों का किराया वापिस करने के लिए ट्रांसपोर्टर को बुलाया, लेकिन वह नहीं आया। चालक-परिचालक बस छोड़कर भाग गए। यात्रियों के हंगामे के बाद रोडवेज अधिकारियों की ओर से बरेली तक के लिए एक बस उपलब्ध कराई गई, जिससे यात्रियों को उसमें रवाना किया गया। अभी दो दिन पहले भी नेपाल की दो डग्गामार बसों के अलावा बिहार जा रही एक डग्गामार बस भी सीज की गई थी।
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