जज्बे को सलाम, कोरोना के खिलाफ जंग में डटे ये योद्धा
कोरोना के कारण जब देशभर में लॉकडाउन है कुछ लोग अपने स्वास्थ्य की चिंता किए बगैर दूसरों को स्वस्थ रखने के लिए अपने-अपने कायरें को अंजाम देने में जुटे हैं।
By Edited By: Updated: Sat, 28 Mar 2020 07:17 AM (IST)
देहरादून, जेएनएन। कोरोना के कारण जब देशभर में लॉकडाउन है, कुछ लोग अपने स्वास्थ्य की चिंता किए बगैर दूसरों को स्वस्थ रखने के लिए अपने-अपने कायरें को अंजाम देने में जुटे हैं। इनमें सिर्फ चिकित्सक और मेडिकल स्टाफ ही नहीं, बल्कि वार्ड ब्वॉय और सफाई कर्मी भी शामिल हैं। वह अपना घर-परिवार भूलकर इस लड़ाई में अपना योगदान दे रहे हैं। दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में ही ऐसे तमाम कर्मचारी हैं जो पूरी शिद्दत के साथ अपने काम को अंजाम दे रहे हैं। कई-कई घटे काम करने के बाद भी उनके माथे पर शिकन नहीं है।बस उम्मीद है कि इस महामारी से हम जल्द ही पार पा लेंगें।
घर में दाखिल होने से पहले पूरी एहतियात दून अस्पताल में कार्यरत वार्ड ब्वॉय अशोक शर्मा की भी ड्यूटी कोरोना वार्ड में लगी है। वह बताते हैं कि अस्पताल प्रशासन ने ड्यूटी रोस्टर तय किया हुआ है। जिसके तहत दो दिन ड्यूटी के बाद उन्हें दो दिन छुट्टी दी जाती है। वार्ड में वह पीपीई किट पहनकर दाखिल होते हैं। भीतर वार्ड में काम करते वक्त सुरक्षा का पूरा ख्याल रखा जाता है। राजपुर रोड निवासी अशोक बताते हैं कि घर में उनके पत्नि व बच्चे हैं। ऐसे में घर पहुंचकर वह सीधा अंदर नहीं जाते। उनकी पत्नी पानी गरम कर उसमें डेटॉल आदि डालकर रखती है। सबसे पहले वह अपने सारे कपड़े इस पानी में डालते हैं। उसके बाद जूते भी ब्लीचिंग पाउडर से साफ करते हैं। इसके बाद नहाकर ही परिवार से मिलते हैं।
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कोरोना की जंग में सफाई कर्मचारी भी योद्धा की तरह काम कर रहे हैं। इन्हीं में एक हैं दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल के सफाई कर्मी दीपक। जिनकी ड्यूटी कोरोना वार्ड में लगाई गई है। वह पूरी तत्परता के साथ अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। पथरिया पीर के रहने वाले 47 वर्षीय दीपक बताते हैं कि उनका बेटा भी अस्पताल में सफाई कर्मचारी है। कोरोना वार्ड में ड्यूटी की बात आई तो उन्होंने सहर्ष इसे स्वीकार किया। शुक्रवार को उनकी शाम की ड्यूटी थी। पर रात की ड्यूटी पर जो कर्मचारी था, वह किसी कारण नहीं आ सका। ऐसे में उन्होंने नाइट शिफ्ट भी की। वह बताते हैं कि घर पहुंचने पर सबसे पहले वह नहाते हैं, उसके बाद ही घर के अंदर दाखिल होते हैं। कहते हैं कि मरीजों की सेवा से बड़ी कोई सेवा नहीं है। ईश्वर इसका फल उन्हें देगा।
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