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उत्‍तराखंड के राज्‍य कर्मचारियों ने टाली प्रस्‍तावित महारैली, नहीं डाले हथियार

राज्य कर्मचारियों ने चार फरवरी की प्रस्तावित महारैली फिलहाल स्थगित कर दी है। कर्मचारी संगठनों ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में संवाद स्थापित करने की पहल को सराहा है।

By Edited By: Updated: Sun, 03 Feb 2019 08:37 AM (IST)
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उत्‍तराखंड के राज्‍य कर्मचारियों ने टाली प्रस्‍तावित महारैली, नहीं डाले हथियार
देहरादून, जेएनएन। दस सूत्री मांगों को लेकर राज्य कर्मचारियों ने चार फरवरी की प्रस्तावित महारैली फिलहाल स्थगित कर दी है। कर्मचारी संगठनों ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में संवाद स्थापित करने की पहल को सराहा। उम्मीद जताई कि सीएम उनकी मांगों को गंभीरता से लेंगे। इसके लिए सरकार को 20 से 25 दिन का समय देने का निर्णय लिया। यह भी साफ किया कि यदि सरकार अपने आश्वासन पर खरी नहीं उतरी तो वे महारैली से पीछे नहीं हटेंगे।

शनिवार को उत्तराखंड अधिकारी-कर्मचारी-शिक्षक समन्वय समिति के संयोजक मंडल ने घटक संगठनों के सदस्यों के साथ वार्ता की। समन्वय समिति के संयोजक दीपक जोशी ने कहा कि कर्मचारी अपनी मांगों से पीछे हटने वाले नहीं हैं। सरकार ने आवास किराया भत्ते में वृद्धि समेत अन्य भत्तों को बहाल कर दिया है। यह कर्मचारियों की ताकत को बताने के लिए काफी है। कहा कि सरकार ने संयोजक मंडल को मांगों पर उचित निर्णय का आश्वासन दिया है।

इसलिए सरकार को भी समय देना जरूरी है। संयोजक ठाकुर प्रहलाद सिंह ने कहा कि संगठन एक-एक मांग को पूरा कराने के लिए प्रतिबद्ध है। कहा कि सीएम ने स्वयं कमान संभाली है और संवाद की प्रक्रिया पर जोर दिया है। हमें अभी हठ छोड़ना होगा। उन्होंने कर्मचारियों को विश्वास दिलाया कि यदि सरकार कर्मचारियों के साथ न्याय नहीं करती है तो वे चुप बैठने वाले नहीं हैं। इसके बाद संयोजक मंडल ने चार फरवरी को होने वाली महारैली को स्थगित करने का प्रस्ताव रखा, इसपर सभी घटक दलों ने सहमति जताई। साथ ही यह भी निर्णय लिया कि यदि सरकार ने समय पर उचित निर्णय नहीं लिया तो फरवरी के अंत में महारैली होगी।

बैठक में संयोजक सुनील कोठारी, संतोष रावत, इंसारुल हक, नंद किशोर त्रिपाठी, सुनील देवली, विवेक शाह समेत कई अन्य उपस्थित रहे। सरकार न भूले 2019 चुनाव वक्ताओं ने कहा कि प्रदेश सरकार को यह नहीं भूलना चाहिए कि अगले कुछ महीने में लोकसभा चुनाव भी होने हैं। यदि सरकार ने कर्मचारियों के साथ न्याय नहीं किया तो इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

कर्मचारियों की निष्ठा पर भी सवाल समन्वय समिति के अध्यक्ष दीपक जोशी ने कहा कि 31 जनवरी को सामूहिक अवकाश के दिन हजारों कर्मचारी ऐसे थे, जिन्होंने कार्यालयों में सुबह पहुंचकर ही बायोमीट्रिक हाजिरी लगा दी। इसके बाद वे दिखावे के लिए आंदोलन में शामिल हो गए। कहा कि ऐसे कर्मचारियों की वजह से आंदोलन कमजोर होता है। इसके लिए उन्होंने सचिवालय संघ के सदस्यों को भी जमकर कोसा और समस्त जिलों में ऐसे कर्मचारियों की सूची तैयार कर उन्हें चिह्नित करने की बात कही।

बोले कर्मचारी नेता

  • ठाकुर प्रहलाद सिंह (संयोजक, उत्तराखंड अधिकारी-कर्मचारी-शिक्षक समन्वय समिति) का कहना है कि संयोजक मंडल ने समस्त घटक संगठनों की सहमति से महारैली स्थगित करने का निर्णय लिया है, ताकि सरकार को भी समय दिया जा सके। लेकिन, कर्मचारी चुप बैठने वाले नहीं हैं।
  • दीपक जोशी (संयोजक, उत्तराखंड अधिकारी-कर्मचारी-शिक्षक समन्वय समिति) का कहना है कि सीएम ने रिव्यू कमेटी गठित कर संवाद स्थापित करने का प्रयास किया है। यह पहल स्वागत योग्य है। सरकार को समय दिया जाएगा, लेकिन इस दौरान कोई ठोस निर्णय नहीं लिए तो महारैली होगी। 
  • सुनील कोठारी (संयोजक, उत्तराखंड अधिकारी-कर्मचारी-शिक्षक समन्वय समिति) का कहना है कि कर्मचारियों की एक-एक मांग को लेकर संगठन प्रतिबद्ध है। सरकार को समय देने का मतलब यह नहीं समझा जाए कि कर्मचारी झुक गए हैं। क्योंकि कर्मचारियों की ताकत का अहसास सरकार को भी बखूबी है।
  • सारुल हक (संयोजक, उत्तराखंड विद्युत कर्मचारी-अधिकारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा) का कहना है कि समन्वय समिति का घटक संगठन होने के नाते संयोजक मंडल के निर्णय को स्वीकार करते हैं। ऊर्जा के तीनों निगमों के कर्मचारी एकजुट हैं। यदि सरकार ने उचित कार्रवाई नहीं की तो फिर आंदोलन को एकजुट होंगे।
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