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उत्‍तराखंड में कार्य बहिष्कार कर सड़क पर उतरे सवा लाख कर्मचारी Uttarakhand News

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के छह दिन बाद भी बिना आरक्षण पदोन्नति प्रक्रिया बहाल नहीं होने से नाराज जनरल-ओबीसी वर्ग के करीब सवा लाख कर्मचारी कार्य बहिष्कार पर रहे।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Fri, 14 Feb 2020 07:56 PM (IST)
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उत्‍तराखंड में कार्य बहिष्कार कर सड़क पर उतरे सवा लाख कर्मचारी Uttarakhand News

देहरादून, जेएनएन। पदोन्नति में आरक्षण के विरोध में शुक्रवार को प्रदेश भर में जनरल-ओबीसी वर्ग के करीब सवा लाख कर्मचारियों ने कार्य बहिष्कार किया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के सात दिन बाद भी बिना आरक्षण पदोन्नति बहाल न होने पर आक्रोश जताते हुए कर्मचारी जिलों में सड़कों पर उतरे और सरकार के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया।

देहरादून में बड़ी संख्या में कर्मचारियों ने सचिवालय कूच कर ताकत दिखाई। कहा कि कर्मचारियों से जुड़े मुद्दे पर राजनीति बर्दाश्त नहीं की जाएगी। दोपहर में मुख्य सचिव उत्पल कुमार से हुई वार्ता के बेनतीजा रहने पर कर्मचारी नेताओं ने सरकार को अल्टीमेटम देते हुए 20 फरवरी की महारैली में पूरे प्रदेश से कर्मचारियों को देहरादून पहुंचने का आह्वान कर दिया। सामूहिक कार्य बहिष्कार के चलते सचिवालय समेत तमाम सरकारी विभागों में पूरे दिन कामकाज प्रभावित रहा।

उत्तराखंड जनरल-ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन के आह्वान पर तमाम विभागों के हजारों कर्मचारी दफ्तर न जाकर परेड ग्राउंड पहुंचे। यहां से कतारबद्ध होकर करीब 12 बजे सचिवालय कूच को निकल पड़े। पुलिस ने उन्हें सुभाष रोड पर ही बैरीकेडिंग कर रोक लिया। आगे बढ़ने को लेकर कर्मचारियों की पुलिस से हल्की धक्का-मुक्की भी हुई। इस पर कर्मचारी सड़क पर ही धरने पर बैठ गए। 

एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष दीपक जोशी ने कहा कि सात फरवरी को आए फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि पदोन्नति में आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है। यह राज्य सरकार पर निर्भर करता है कि वह लागू करे या न करे। प्रांतीय महासचिव वीरेंद्र सिंह गुसाईं ने कहा कि इस लड़ाई को हम जितना आसान मान रहे थे, उतनी है नहीं। चूंकि सरकार की ओर से आरक्षण के खिलाफ एसएलपी दायर की गई थी, जिससे लग रहा था कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद सरकार उनके पक्ष में निर्णय कर देगी। लेकिन अब सरकार राजनीति कर रही है।

फेडरेशन ऑफ मिनिस्टीरियल सर्विस एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष सुनील कोठारी, पर्वतीय कर्मचारी शिक्षक संगठन के प्रदेश अध्यक्ष प्रताप सिंह पंवार, महामंत्री पंचम सिंह बिष्ट, अखिल भारतीय समानता मंच के राष्ट्रीय महासचिव वीपी नौटियाल, राजकीय वाहन चालक संघ के प्रदेश महामंत्री संदीप मौर्य व अन्य संगठनों के नेताओं ने कहा कि सरकार कर्मचारियों में मतभेद पैदा कर रही है। इसे राजनीतिक रंग दिया जा रहा है। यह बर्दाश्त नहीं होगा। सरकार जब तक सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हुए पदोन्नति प्रक्रिया बहाल नहीं करती और सीधी भर्ती नवीन रोस्टर प्रणाली को यथावत लागू नहीं करती, तब तक आंदोलन जारी रखेंगे।

सचिवालय में कार्यबहिष्कार  पर खफा हुए मुख्य सचिव

मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने कर्मचारियों के कार्य बहिष्कार, खासतौर पर सचिवालय में कामकाज नहीं होने पर नाराजगी जताई है। पदोन्नति में लगी रोक हटाने, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कार्रवाई की मांग को लेकर मिलने आए उत्तराखंड जनरल-ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल से मुख्य सचिव ने कार्य बहिष्कार को अनुचित ठहराया। उधर, सचिवालय प्रशासन ने कार्यबहिष्कार को कर्मचारी आचरण नियमावली के प्रविधानों का उल्लंघन बताते हुए सचिवालय से गैर हाजिर कार्मिकों का ब्योरा तलब किया है। 

पदोन्नति में आरक्षण खत्म करने और सीधी भर्ती में लागू नया रोस्टर यथावत रखने की मांग को लेकर उत्तराखंड जनरल-ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन के आह्वान पर कर्मचारियों ने सचिवालय समेत प्रदेश में सरकारी दफ्तरों में कार्य बहिष्कार का आह्वान किया था। मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह के वार्ता के न्योते पर शुक्रवार को सचिवालय पहुंचे एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल ने उन्हें ज्ञापन सौंपा। मुख्य सचिव ने कहा कि एसोसिएशन की मांगों पर उच्च स्तर पर निर्णय लिया जाना है। 

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उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा कि कार्य बहिष्कार का फैसला उचित नहीं है। दरअसल, बजट सत्र की घोषणा हो चुकी है। अगले वित्तीय वर्ष के बजट को मंजूरी समेत तमाम अहम फैसले लिए जाने हैं। सचिवालय में इस वजह से कामकाज पर काफी जोर भी है। ऐसे में कर्मचारियों का रुख सरकार की परेशानी बढ़ा रहा है। उधर अपर मुख्य सचिव सचिवालय प्रशासन राधा रतूड़ी ने सभी अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों, सचिवों और प्रभारी सचिवों को आदेश जारी कर सचिवालय में एसोसिएशन के कार्यबहिष्कार के मद्देनजर गैरहाजिर रहे अधिकारियों व कर्मचारियों का ब्योरा तलब किया है। 

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