सरकार ने वार्ता को बुलाया, कर्मचारी सामूहिक अवकाश पर अडिग
सरकार ने वार्ता के लिए बुलाया पर फिर भी कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर गुरुवार से सामूहिक अवकाश के फैसले पर अडिग हैं।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Wed, 30 Jan 2019 09:00 PM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। सरकार की ओर से वित्त मंत्री प्रकाश पंत की अध्यक्षता में वार्ता के लिए समय तय होने के बावजूद आवास भत्ते समेत दस सूत्रीय मांगों को लेकर उत्तराखंड अधिकारी-कर्मचारी-शिक्षक-समन्वय समिति गुरुवार को सामूहिक अवकाश कार्यक्रम पर अडिग है। समिति ने सरकार के कदम का स्वागत तो किया है लेकिन अपना कार्यक्रम भी यथावत रखा है और वार्ता के बाद ही आगे की रणनीति पर निर्णय लेने की बात कही है।समिति ने आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं, रोडवेज, विद्युत व जल संस्थान आदि सेवाओं को आंदोलन के दायरे से बाहर रखा है। समिति के आह्वान पर तमाम विभागों में कर्मचारियों ने सामूहिक अवकाश के लिए आवेदन भी कर दिया है। कर्मचारियों के इस तेवर को देखते हुए सभी विभागों ने अपने यहां आंदोलन के लिए अवकाश लेने पर रोक लगा दी है।
वहीं, शासन ने इस मामले में सख्ती दिखाते कोषागार को अनुपस्थित रहने वाले कर्मचारियों पर नो वर्क नो पे सिद्धांत लागू करने को कहा है। इसके अलावा सचिवालय में कर्मचारियों की उपस्थिति व अनुपस्थिति जांचने के लिए पांच दस्तों का गठन किया है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा है कि कर्मचारियों के साथ वार्ता के दरवाजे खुले हैं। यदि कर्मचारी सामूहिक अवकाश लेते हैं तो नियमानुसार विचार किया जाएगा।
उत्तराखंड अधिकारी-कर्मचारी-शिक्षक समन्वय समिति के संयोजक मंडल को बुधवार अपराह्न अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने वार्ता के लिए आमंत्रित किया था। इस दौरान उन्होंने मांगों पर उचित कार्यवाही का आश्वासन देकर आंदोलन स्थगित करने को कहा। इस पर समिति ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से वार्ता करने की शर्त रखी। इसके अलावा समिति ने कुछ और सुझाव अपर मुख्य सचिव के सामने रखे।
हालांकि, यह प्रारंभिक वार्ता सफल नहीं हो पाई। शाम को कार्मिक विभाग ने समन्वय समिति को वित्त मंत्री प्रकाश पंत की अध्यक्षता में होने वाली बैठक की सूचना भेजते हुए आंदोलन स्थगित करने को पत्र लिखा। कर्मचारियों ने अपने तेवर बरकरार रखते हुए शासन को स्पष्ट किया कि जनहित को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग की आपात सेवाओं, रोडवेज के बस संचालन, विद्युत उत्पादन और वितरण से सीधे जुड़े कार्मिक तथा जल संस्थान के जल आपूर्ति से जुड़े कार्मिकों को सामूहिक अवकाश कार्यक्रम से छूट दी गई है। शेष सभी अधिकारी कर्मचारी सामूहिक अवकाश पर रहेंगे। वित्त मंत्री की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में वार्ता के बाद आगे के कार्यक्रम पर निर्णय लिया जाएगा।
शासन ने इस मामले में सख्ती दिखाते हुए नो वर्क ने पे का आदेश लागू कर दिया है। सचिव वित्त अमित नेगी ने निदेशक कोषागार को पत्र भेजकर कहा है कि 31 जनवरी और चार फरवरी को समस्त कर्मचारियों की सेवा पर उपस्थिति के सत्यापन के बाद ही वेतन आहरित किया जाना सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने इनमें उपनल, पीआरडी व विभागीय संविदा के कर्मचारियों को भी शामिल करने को कहा है।
उधर, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुताबिक अधिकारियों को कर्मचारियों के साथ बातचीत करने को कहा गया है। कर्मचारियों के हितों को यदि कहीं प्रभावित किया जा रहा है तो उस पर चर्चा हो सकती है। कर्मचारियों के हड़ताल पर अडिग रहने पर उन्होंने कहा कि जो भी नियम होंगे उनके अनुसार विचार किया जाएगा।
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