उत्तराखंड में कर्मचारियों का दो दिनी कार्य बहिष्कार, बढ़ रही लोगों की दिक्कतें
उत्तराखंड में कर्इ विभागों के कर्मचारी दो दिवसीय कार्य बहिष्कार पर हैं। जिसके चलते लोगों को कर्इ तरह की दिक्कतें पेश आ रही हैं।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Wed, 13 Jun 2018 09:00 PM (IST)
देहरादून, [जेएनएन]: उत्तराखंड अधिकारी-कर्मचारी समन्वय मंच के आह्वान पर हजारों कार्मिक बुधवार से दो दिन की हड़ताल पर चले गए हैं। इससे लोक निर्माण विभाग, ग्रामीण निर्माण विभाग, सिंचाई, परिवहन, लघु सिंचाई, कृषि आदि विभागों में कामकाज प्रभावित रहा। आरटीओ में काम पूरी तरह ठप रहा और लोगों को मायूस होकर लौटना पड़ा। नागरिक आपूर्ति विभाग में भी लोगों के राशन कार्ड से जुड़े काम नहीं हो सके। हड़ताल में सबसे ज्यादा भागीदारी मिनिस्टीरियल कार्मिकों की है। मंच ने 22 जून को रैली निकालने और बेमियादी हड़ताल की घोषणा करने का एलान किया है।
हड़ताल के दौरान कार्मिक सामूहिक रूप से एक स्थान पर एकत्र नहीं हुए, बल्कि अपने-अपने विभागों में धरना-प्रदर्शन किया। मंच के मुख्य संयोजक नवीन कांडपाल ने कहा कि सरकार और शासन के रवैये के कारण हड़ताल के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। एक महीने पहले मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को मांग पत्र प्रेषित कर वार्ता के लिए समय मांगा था।पांच जून को भी कार्मिक एक दिन की हड़ताल पर रहे थे, लेकिन मांगों पर कार्रवाई तो दूर अब तक वार्ता के लिए भी नहीं बुलाया गया। इससे कार्मिकों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। मंच के प्रदेश प्रवक्ता पूर्णानंद नौटियाल ने बताया कि मंच की निगरानी टीम ने सभी कार्यालयों में दौरा किया। गुरुवार को भी कार्मिक कार्य बहिष्कार पर रहेंगे।
कई संगठनों का रहा सिर्फ समर्थन
मंच में उत्तरांचल (पर्वतीय) कर्मचारी, शिक्षक संगठन, उत्तराखंड डिप्लोमा इंजीनियर्स महासंघ, उत्तराखंड फेडरेशन ऑफ मिनिस्टीरियल सर्विसेज एसोसिएशन, डिप्लोमा फार्मेसिस्ट एसोसिएशन, सिंचाई विभाग कर्मचारी महासंघ, राजकीय वाहन चालक महासंघ, उत्तराखंड वैयक्तिक सहायक-वैयक्तिक अधिकारी महासंघ और इंजीनियरिंग ड्राइंग सर्विसेज फैडरेशन शामिल हैं। लेकिन फार्मेसिस्ट, राजकीय वाहन चालक और शिक्षक हड़ताल में शामिल नहीं रहे। इनके संगठनों का सिर्फ समर्थन रहा। ये हैं मांगें
-सातवें वेतनमान की संस्तुति के आधार पर भत्तों का अविलंब भुगतान-सभी कार्मिकों को यू-हेल्थ स्मार्ट कार्ड की सेवा का लाभ
-सेवाकाल में न्यूनतम तीन पदोन्नति अनुमन्य करने-पुरानी पेंशन नीति को बहाल करने
-सेवानिवृत्ति के अंतिम वर्ष में स्वेच्छा के आधार पर स्थानांतरण करने-इंदु कुमार पांडे की अध्यक्षता में गठित वेतन समिति की रिपोर्ट का संज्ञान न लेने
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