21 नवंबर को विद्युत कर्मचारी संगठन देंगे धरना, मांग पूरी न होने पर करेंगे उग्र आंदोलन
रियायती दरों पर बिजली न मिलने के विरोध में विभिन्न विद्युत कर्मचारी संगठन एक हो गए हैं। उन्होंने विद्युत अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा बनाया है।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Sun, 17 Nov 2019 02:26 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। ऊर्जा के तीनों निगमों में कर्मचारियों को रियायती दरों पर बिजली न मिलने के विरोध में विभिन्न विद्युत कर्मचारी संगठन एक हो गए हैं। उन्होंने विद्युत अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा बनाया है। मोर्चा का कहना है कि रियायती दरों पर मिलने वाली सुविधा से छेड़छाड़ हुआ तो उग्र आंदोलन होगा।
शनिवार को ईसी रोड स्थित भवन में विभिन्न बिजली कर्मचारी संगठनों की संयुक्त बैठक हुई। बैठक में वक्ताओं ने कहा कि हाई कोर्ट ने जनहित याचिका पर आदेश दिया है। इससे रियायती दरों पर मिलने वाली बिजली की सुविधा में परिवर्तन की आशंका है। उन्होंने कहा कि प्रचारित किया जा रहा है कि विद्युत कर्मियों को मुफ्त में बिजली मिलती है, जबकि हकीकत यह है कि उन्हें रियायती दरों पर बिजली मिलती है। गुस्साए वक्ताओं ने कहा कि पदाधिकारियों ने पूर्व में भी कहा था कि प्रबंधन इस मामले में वार्ता करे लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। वहीं हाई कोर्ट में भी कर्मियों को दिए जाने वाले टैरिफ को पेश नहीं किया गया और न मजबूत पैरवी हुई। गुस्साए संगठनों ने सर्व सम्मति से फैसला लिया कि निगम प्रबंधन की इस विफलता के विरोध में सभी संगठन एक जुट होकर 21 नवंबर को ऊर्जा भवन मुख्यालय में विशाल धरना-प्रदर्शन करेंगे।
यह भी पढ़ें: उत्तराखंड परिवहन महासंघ का आंदोलन स्थगित, मंत्री यशपाल आर्य से वार्ता रही सकारात्मकबैठक में ऊर्जा कामगार संगठन, ऊर्जा आफिसर्स सुपरवाइजर्स एंड स्टाफ एसोसिएशन, बिजली कर्मचारी संघ, पावर इंजीनियर्स एसोसिएशन, पावर जूनियर इंजीनियर्स एसोसिएशन, हाइड्रो इलेक्ट्रिक इंपलाइज यूनियन, डिप्लोमा जूनियर इंजीनियर्स एसोसिएशन, पावर लेखा एसोसिएशन, विद्युत संविदा कर्मचारी संगठन, विद्युत प्राविधिक संघ, आरक्षित ऊर्जा एसोसिएशन शामिल हुए। इस दौरान राकेश शर्मा, डीसी गुरुरानी, प्रदीप कंसल, वाईएस तोमर, रविंद्र सैनी, केहर सिंह, पंकज सैनी, डीसी ध्यानी, विनोद कवि, भगवती प्रसाद आदि मौजूद रहे।
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