गांवों को गोद लेकर इंजीनियर जगा रहे हैं स्वच्छता की अलख, पढ़िए खबर
इंजीनियर भवान सिंह रावत ने न सिर्फ गांवों को गोद लेकर लोगों को स्वच्छता से जोड़ा बल्कि शादियों में स्वच्छता रखने के लिए पहले कूड़ेदान फिर कन्यादान का नारा दिया।
By BhanuEdited By: Updated: Mon, 30 Dec 2019 07:51 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। एक ओर सरकार देशवासियों में स्वच्छता की अलख जगाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। इसके बाद भी शत-प्रतिशत लक्ष्य अभी दूर है। वहीं, इस भीड़ में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो खुद तो देश को स्वच्छ रखने में श्रमदान दे ही रहे हैं। अन्य लोगों को भी इसके लिए प्रेरित कर रहे हैं। इन्हीं में से एक हैं इंजीनियर भवान सिंह रावत। जिन्होंने न सिर्फ गांवों को गोद लेकर लोगों को स्वच्छता से जोड़ा, बल्कि शादियों में स्वच्छता रखने के लिए पहले कूड़ेदान फिर कन्यादान का नारा दिया।
मूल रूप से कोसा चमोली के रहने वाले भवान सिंह श्रीनगर में अलकनंदा हाइड्रो प्रोजेक्ट में तैनात हैं। कुछ समय पहले वह श्रीनगर स्थित धारी देवी मंदिर गए तो वहां आसपास पड़ी गंदगी देखकर उनका मन व्यथित हो गया। उसी वक्त उन्होंने मंदिर परिसर में स्वच्छता अभियान चलाने की ठान ली। इसके बाद घर में पड़े खाली टिन के डिब्बों को इकट्ठा किया। रंग-रोगन कर उन्हें कूड़ादान की शक्ल दी और मंदिर परिसर में जगह-जगह लगा दिया।
पहली कोशिश को सफलता मिली तो भवान सिंह स्वच्छता की अलग जगाने के लिए गांवों में पहुंचे। उन्होंने पौड़ी के एक गांव खालू चमराड़ा और चमोली के तीन गांवों कोट कंडारा, देवली बगड़ व तोलया को गोद लेकर वहां ग्रामीणों के सहयोग से सफाई अभियान शुरू किया। रावत का कहना है कि सरकार सिर्फ रुपये ही खर्च कर सकती है। देश को स्वच्छ रखने के लिए हमें भी जिम्मेदारी निभानी पड़ेगी।
खुद ही करते हैं कूड़े का निस्तारण
भवान सिंह ने धारी मंदिर में कूड़ादान तो लगाए ही हैं। उनमें डाले जाने वाले कूड़े का निस्तारण भी वह खुद ही करते हैं। हर महीने के पहले और तीसरे रविवार को वह सुबह के वक्त मंदिर जाते हैं। इसके बाद वहां लगे कूड़ेदानों से कूड़ा एकत्र करके उसे नगर निगम के कूड़ादान या डंपिंग ग्राउंड तक पहुंचाते हैं।
रविवार को गांवों में सफाई अभियानभवान सिंह हर रविवार को गोद लिए गांवों में जाकर वहां के लोगों के साथ सफाई करते हैं। माह के पहले व तीसरे रविवार को वह पौड़ी के खालू चमराड़ा गांव में होते हैं। दूसरे और चौथे रविवार को चमोली के कोट कंडारा, देवली बगड़ व तोलया में श्रमदान देते हैं। इस कार्य में स्थानीय युवाओं के संग बुजुर्ग भी उनका साथ बखूबी निभाते हैं।
यह भी पढ़ें: उत्तराखंड के अंतिम गांव गंगी में बह रही संपन्नता की प्रेरक गंगा, पढ़िए पूरी खबरशादियों में रखते हैं स्वच्छता का ध्यानइंजीनियर भवान सिंह ने बताया कि शादियों में कूड़ा इधर-उधर फेंक दिया जाता है। इसलिए उन्होंने पहले कूड़ादान फिर कन्यादान अभियान शुरू किया। शादी में आने वाले सामान की पेटियों को कूड़ादान बनाकर समारोह स्थल में जगह-जगह रख दिया जाता है। शादी समारोह संपन्न होने के बाद एकत्र हुए कूड़े का निस्तारण किया जाता है।
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