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उद्यमियों को 'जेड' रेटिंग से जुड़कर मिलेगा लाभ, पढ़िए पूरी खबर

उद्योग निदेशालय सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यमिता (एमएसएमई) के उद्यमियों को जेड रेटिंग की जानकारी देगा।

By Edited By: Updated: Tue, 29 Oct 2019 01:55 PM (IST)
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उद्यमियों को 'जेड' रेटिंग से जुड़कर मिलेगा लाभ, पढ़िए पूरी खबर
देहरादून, जेएनएन। उद्योग निदेशालय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमिता (एमएसएमई) के उद्यमियों को 'जेड' रेटिंग की जानकारी देगा। निदेशालय उद्यमियों से अपने उत्पाद अंतरराष्ट्रीय स्तर के बनाने के साथ-साथ पर्यावरण सुरक्षा का भी विशेष ध्यान रखने के बारे में बताएगा। जेड रेटिंग से जुड़ने के बाद उद्यमियों दूरगामी लाभ के बारे में बताया जाएगा। वैश्विक सतत विकास के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया प्रोग्राम के तहत ही जेड रेटिंग के दूरगामी लाभों के बारे में उद्यमियों को जोड़ने की योजना है। इंडस्ट्री एसोसिएशन आफ उत्तराखंड के अध्यक्ष पंकज गुप्ता ने कहा कि राज्य से उद्योगों को जेड रेटिंग के लिए मेन्युफेक्चिरिंग प्रेक्टिस अपनानी चाहिए।

कहा कि अभी तक देश में जेड रेटिंग से कुल करीब 100 उद्योग ही जुड़े हैं, लेकिन आशा है कि भविष्य में इसे और उद्योग भी अपनाने के लिए आगे आएंगे। उन्होंने सुझाव दिया के सरकारों को जेड रेटिंग प्रक्रिया का और अधिक सरल बनाना होगा ताकि छोटे उद्योग भी इसे अपनाने में रूचि लें। उन्होंने कहा कि जेड रेटिंग के मामले में उत्तराखंड के ऊधम सिंह नगर स्थित एक कंपनी को वर्ष 2018 में डायमंड कैटागिरी का अवार्ड मिल चुका है। 
जेड से जुड़कर उद्योगों को लाभ 
-ऋण मिलने में सुविधा 
-विश्वसनीय वेंडर डेटाबेस 
-उच्च गुणवत्ता, रिजेक्शन में कमी और अधिक राजस्व 
-वैश्विक प्रतिस्पर्धा में तेजी 
-पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव को कम करना 
-सर्वोच्च संस्थाओं के साथ समन्वय 
-उत्पादों को एक पहचान मिलेगी 
यह है 'जेड' का अर्थ 
'जेड' यानि 'जीरो डिफेक्ट, जीरो इफेक्ट' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया के मुहिम का हिस्सा है। इसका उद्देश्य भारत को दुनिया का औद्योगिक उत्पादों का हब बनाना है। 'जेड' सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमिता संस्थान (एमएसएमई) के लिए रेटिंग सिस्टम है। जो उत्पादन, डिजाइन, क्वालिटी, सुरक्षा, स्वच्छता और पर्यावरण जैसे पचास परिभाषित मानकों पर इन उद्योगों का मूल्यांकन करके इन्हें रेटिंग प्रदान करेगा। 'जेड' रेटिंग सिस्टम की बुनियाद तो देशी है लेकिन इसका प्रारूप अंतरराष्ट्रीय है। क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया इसकी नेशनल मॉनीटिरिंग यूनिट के रूप में काम कर रही है।
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