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Uttarakhand में 24 साल बाद भी राज्य आंदोलनकारी बलिदानियों के सपने अधूरे, मंच ने खटीमा व मसूरी कांड को किया याद

उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्मारक पर जाकर खटीमा व मसूरी कांड के बलिदानियों को भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित की। इस मौके पर महासचिव जयकृष्ण सेमवाल ने बलिदानियों के त्याग को याद करते हुए कहा कि राज्य आंदोलनकारियों के संघर्ष के चलते ही उत्तराखंड राज्य बना। आज हम सभी राज्य आंदोलनकारी व सामाजिक वर्ग 29वीं बरसी मना रहे हैं।

By Jagran NewsEdited By: riya.pandeyUpdated: Fri, 01 Sep 2023 03:38 PM (IST)
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Uttarakhand में 24 साल बाद भी राज्य आंदोलनकारी बलिदानियों के सपने अधूरे
जागरण संवाददाता, विकासनगर: उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्मारक पर जाकर खटीमा व मसूरी कांड के बलिदानियों को भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित की। इस मौके पर महासचिव जयकृष्ण सेमवाल ने बलिदानियों के त्याग को याद करते हुए कहा कि राज्य आंदोलनकारियों के संघर्ष के चलते ही उत्तराखंड राज्य बना।

राज्य आंदोलनकारी व सामाजिकत वर्ग मना रही है 29वीं बरसी

आज हम सभी राज्य आंदोलनकारी व सामाजिक वर्ग 29वीं बरसी मना रहे हैं। लेकिन उत्तराखंड भ्रष्ट्राचार, पलायन व बेरोजगारी से मुक्त नहीं हो सका। 24 साल बाद भी राज्य आंदोलनकारी बलिदानियों के सपने साकार नहीं हो पाए। जिस मानसिकता को लेकर बलिदानियों ने अपनी शहादत दी। वह राज्य नहीं बन पाया।

उत्तराखंड की जनता ने ही किया जनता को छलने का काम

वर्तमान सरकार राज्य आंदोलनकारियों के लिए दस प्रतिशत आरक्षण भी स्वीकृत नहीं कर पायी। महासचिव सेमवाल ने कहा कि जंगल, जमीन पर जिस राज्य का अधिकार न हो, ऐसा आधा अधूरा राज्य बनाकर उत्तराखंड की जनता ने जनता को छलने का काम किया है।

Uttarakhand की कई परिसंपत्तियां है UP के अधीन

उत्तराखंड की कई परिसंपत्तियां यूपी के अधीन है। राज्य निर्माण से पहले आंदोलनकारियों ने पहाड़ की जवानी पहाड़ का पानी राज्य के काम आए, लेकिन राज्य बनने के बाद लाखों युवा पलायन कर गए। धारा 371 व भूकानून लागू कर सरकार को प्रदेश को बचाना चाहिए।

कई पीढ़ियां नहीं भूल पाएगी शहादत

महिला राज्य आंदोलनकारी वीना पंवार ने कहा कि दमयंती चौहान, हंसा धनई जैसी महिलाओं ने राज्य आंदोलन के लिए शहादत दी, जिन्हें कई पीढ़ियां भूल नहीं पाएगी। भूपेंद्र सिंह नेगी ने कहा कि सरकार को छोटी प्रशासनिक इकाईयों व भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप कार्य करना चाहिए।

बेरोजगारों के लिए ठोस नीति बनानी चाहिए। नगर के शहीद स्मारक पर राज्य आंदोलनकारियों ने दो मिनट का मौन रखा और बलिदानियों को याद किया।

इस मौके पर विजय लक्ष्मी उनियाल, विजय भटट, शांति डंगवाल, सरोजनी, सावित्री जोशी, सीता रावत, लक्ष्मी पंवार, सुशीला कपरुवाण, अमजद मिर्जा, पूरण चंद भटट, मायाराम ममगाईं, राम सिंह रावत आदि मौजूद रहे।

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