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आयुष्मान योजना के दायरे में उत्तराखंड के हर परिवार, जानिए खासियत

प्रदेश सरकार ने अटल आयुष्मान योजना को लागू कर उत्तराखंड के हर परिवार को प्रतिवर्ष पांच लाख तक के स्वास्थ्य बीमा के दायरे में लिया है। ऐसा करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य है।

By BhanuEdited By: Updated: Thu, 07 Mar 2019 09:07 PM (IST)
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आयुष्मान योजना के दायरे में उत्तराखंड के हर परिवार, जानिए खासियत
देहरादून, राज्य ब्यूरो। उत्तराखंड सरकार ने आयुष्मान भारत योजना में एक और कदम आगे बढ़ाया है। प्रदेश सरकार ने अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना को लागू कर उत्तराखंड के हर परिवार को प्रतिवर्ष पांच लाख तक के स्वास्थ्य बीमा के दायरे में लिया है। 

सरकारी अस्पतालों में इलाज की सुविधा न होने पर मरीजों को चिह्नित निजी अस्पताल में मुफ्त इलाज की सुविधा दी जा रही है। प्रदेश के बाहर चिह्नित अस्पतालों में भी स्वास्थ्य सुविधाएं देने की तैयारी है। ऐसा करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य है। 

अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई आयुष्मान भारत योजना का प्रदेश में विस्तृत स्वरूप है। आयुष्मान भारत योजना में राज्य में गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले लगभग सवा पांच लाख परिवारों को अटल आयुष्मान योजना का सुरक्षा कवच दिया गया। 

प्रदेश सरकार ने उत्तराखंड में एक कदम और आगे बढ़ाते हुए अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना लागू की है। इस योजना के तहत प्रदेश के सभी 27 लाख परिवारों को पांच लाख रुपये तक का बीमा सुरक्षा कवच देने का फैसला किया गया है। इसके अलावा सरकारी कर्मचारियों व पेंशनर्स के लिए अलग से योजना शुरू की गई है। 

इसके लिए प्रतिमाह एक किश्त के रूप में निर्धारित धनराशि देनी होगी। इस योजना के तहत सरकारी व चिह्नित निजी अस्पतालों में बीमारियों के 1350 तरह के पैकेज के अंतर्गत इलाज का प्रावधान किया गया है। 

इस योजना के सुचारु संचालन के लिए सरकार ने अटल आयुष्मान उत्तराखंड ट्रस्ट का गठन किया है। ट्रस्ट ने अस्पतालों का भुगतान करने के लिए इंप्लीमेंटेशन सपोर्ट एजेंसी (आइएसए) बनाई है। इसमें विशेषज्ञ तथा तकनीकी अधिकारियों व कर्मचारियों को शामिल किया गया है। 

विशेष यह कि सरकार इस योजना में निजी अस्पतालों के साथ ही सरकारी अस्पतालों को भी इलाज का भुगतान करेगी। अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के अंतर्गत अभी अभी गांव-गांव में शिविर लगाकर कार्ड बनाए जा रहे हैं।  

योजना में कुल 1350 प्रकार के रोग 

बीमारी से संबंधित पैकेज का चयन किया गया है। इसमें हृदय रोग संबंधित 130 पैकेज, नेत्र रोग संबंधित 42 पैकेज, नाक, कान, गला रोग से संबंधित 94 पैकेज, हड्डी रोग से संबंधित 114 पैकेज, मूत्र रोग से संबंधित 161 पैकेज, महिला रोग से संबंधित 73 पैकेज, शल्य रोग से संबंधित 253 पैकेज, न्यूरो सर्जरी, न्यूरो रेडियोलोजी एवं फ्लास्टिक सर्जरी, बर्न रोग से संबंधित 115 पैकेज, दंत रोग से संबंधित नौ पैकेज, बाल रोग से संबंधित 156 पैकेज, विभिन्न रोग से संबंधित 70 पैकेज, कैंसर रोग से संबधित 112 पैकेज एवं अन्य 21 पैकेज का चयन किया गया है।

योजना की राह में चुनौतियां

-कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के कारण कार्ड बनाने में दिक्कतें।

-सुदूरवर्ती इलाकों में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में स्वास्थ्य उपकरणों की कमी।

-पर्वतीय जिलों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी।

-चिह्नित निजी अस्पतालों में योजना का अनुपालन सुनिश्चित करना।

गोल्डन कार्ड की स्थिति

कुल लक्ष्य - 10041292

कुल बने - 2416870

इलाज मिला -10845

खर्च हुआ- 10.32 करोड़ रुपये

मरीजों के लिए वरदान बना योजना

प्रधानमंत्री जन आरोग्य अटल आयुष्मान योजना जिले में गरीब परिवार के मरीजों के लिए साक्षात वरदान साबित हो रही है। इस योजना से यूं तो जिले में करीब दो हजार मरीज लाभ पा चुके हैं। लेकिन, बहुत से ऐसे मरीज हैं जो धनाभाव के चलते निजी अस्पतालों में जाकर इलाज कराने में असमर्थ थे और उन्होंने बड़े निजी अस्पतालों में गोल्डन कार्ड से स्वास्थ्य लाभ किया। इन्हीं में एक लाभार्थी हरिद्वार जिले के बहादराबाद के बोंगला निवासी दिनेश कुमार, अटल आयुष्मान योजना ने उन्हें नया जीवन दिया।

हरिद्वार के दिनेश की जिंदगी को मिला संबल 

हरिद्वार जिले के बहादराबाद विकासखंड के बोंगला निवासी 48 वर्षीय दिनेश कुमार पुत्र स्व महेंद्र बीमा कंपनी के सामान्य एजेंट हैं। उनके परिवार में पत्नी सुमन चौहान गृहणी हैं। बेटी साक्षी चौहान बीबीए कर रही हैं। बेटा आयुष भी अभी पढ़ाई कर रहा है। बीमा एजेंट के रूप में वे सालाना लगभग सवा लाख रुपये तक ही कमा पाते हैं। 

संयुक्त परिवार से जुड़े होने चलते उनके कंधों पर छोटे भाई की भी जिम्मेदारी है। भाई और बच्चों को पढ़ा लिखाकर अपने पैरों पर खड़ा करने की चिंता दिनेश को दिन रात सताए रहती थी। पिछले दिनों अचानक उनके ऊपर मानो दुख का पहाड़ टूट पड़ा। दिनेश कुमार को दस फरवरी हार्ट अटैक आया। परिवार वाले उन्हें रोशनाबाद औद्योगिक क्षेत्र में स्थित मेट्रो अस्पताल ले गए। 

जहां डाक्टरों ने उनकी धमनियों में तीन ब्लाकेज बताए। डाक्टरों ने ओपन हार्ट सर्जरी की सलाह दी। अस्पताल ने एक लाख दस हजार रुपये सर्जरी शुल्क के साथ ही इलाज पर कुल खर्च ढाई लाख तक आने की बात कही। यह सुनकर उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। लेकिन जब डाक्टरों ने उन्हें बताया कि अगर उनके पास अटल आयुष्मान योजना का गोल्डन कार्ड है तो उनका सारा इलाज मुफ्त हो जाएगा। 

यह सुनकर परिवार की सांस में सांस आई। पलभर में ही इलाज खर्च को लेकर उनका तनाव दूर हो गया। इसी अस्पताल में 12 फरवरी को डाक्टरों ने उनकी सर्जरी की और इससे दिनेश कुमार को नया जीवन मिल गया। दिनेश और उनके परिवारीजनों का कहना है कि इतनी बड़ी रकम खर्च कर आपरेशन कराना उसके लिए कतई संभव नहीं था। अटल आयुष्मान योजना की बदौलत ही यह संभव हो पाया।

जिले में योजना का लाभ ले चुके हैं 1825 मरीज 

हरिद्वार जिले में अटल आयुष्मान योजना के तहत अब तक 3,74,728 कार्ड बन चुके हैं। इसमें से 1825 मरीजों को अटल आयुष्मान योजना का लाभ मिल चुका है। योजना के जिले के नोडल एसीएमओ डा एचडी शाक्य ने बताया योजना का लाभ कार्डधारकों को दिलाया जा रहा है। योजना के तहत जिले में 8 सरकारी और 14 निजी अस्पताल पैनल में शामिल हैं।

कोटद्वार की अंजू की टेंशन हुई खत्म

गढ़वाल संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत काशीरामपुर (कोटद्वार) निवासी मनीष की पत्नी अंजू के पेट में बीते वर्ष तेज पेट दर्द की शिकायत हुई। कोटद्वार के बेस चिकित्सालय में पहुंचे तो पता चला कि गॉल ब्लेडर में पथरी है और सिर्फ ऑपरेशन से ही उपचार संभव है। ऑपरेशन में 20 से 25 हजार का व्यय होना था, जो कि उनके बस के बाहर था। 

ऐसे में आयुष्मान स्वास्थ्य कार्ड उनके लिए वरदान साबित हुआ और बगैर किसी व्यय के उनका उपचार हो गया। सिर्फ मनीष ही नहीं, कई ऐसे जरूरतमंद हैं, जिनका कोटद्वार के बेस चिकित्सालय में आयुष्मान कार्ड के जरिये उपचार हुआ। सितंबर 2018 में कोटद्वार के बेस चिकित्सालय में आयुष्मान काडरें के पंजीयन का कार्य शुरू हुआ। शुरूआती दौर में भले ही लोगों को आयुष्मान की अधिक जानकारी न रही हो, लेकिन वक्त बढ़ने के साथ ही आयुष्मान से लाभान्वित होने वाले लोगों की तादाद भी बढ़ती चली गई। कोटद्वार के बेस चिकित्सालय में अभी तक आयुष्मान कार्ड धारक 110 मरीजों को भर्ती कर उनका निश्शुल्क उपचार कर दिया गया है।

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