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आयुर्वेद विश्वविद्यालय में प्राध्यापकों की भर्ती यानी 'बीरबल की खिचड़ी'

उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में प्राध्यापकों की भर्ती यानी बीरबल की खिचड़ी। भर्तियों में हर बार नया पेंच फंस जाता है। कभी पद घटाने कभी आरक्षण रोस्टर को लेकर विवाद की स्थिति पैदा होती है। स्थिति ये है कि विश्वविद्यालय प्रशासन कई साल बाद भी भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं कर पाया।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Tue, 10 Aug 2021 04:33 PM (IST)
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उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में प्राध्यापकों की भर्ती यानी 'बीरबल की खिचड़ी।'
जागरण संवाददाता, देहरादून। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में प्राध्यापकों की भर्ती यानी 'बीरबल की खिचड़ी।' भर्तियों में हर बार नया पेंच फंस जाता है। कभी पद घटाने और कभी आरक्षण रोस्टर को लेकर विवाद की स्थिति पैदा होती है। स्थिति ये है कि विश्वविद्यालय प्रशासन कई साल बाद भी भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं कर पाया है। हाल में शासन ने विश्वविद्यालय प्रशासन से भर्तियों में कथित अनियमितता को लेकर 13 बिंदुओं पर जवाब मांगा है। जिससे अधिकारी फिर असहज स्थिति में हैं।

आयुर्वेद विश्वविद्यालय में साल 2014 से अब तक प्राध्यापकों के पदों के लिए करीब सात बार विज्ञप्ति निकाली जा चुकी है। विश्वविद्यालय की तरफ से जारी विज्ञप्ति में हर बार आरक्षण रोस्टर को बदल दिया जाता है। यही नहीं हर बार पदों की संख्या में भी बदलाव कर दिया जाता है। जाहिर है कि आरक्षण रोस्टर और पदों की संख्या बदले जाने से विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े होते हैं।

इस दफा आरोग्य भारती के अध्यक्ष विनोद कुमार मित्तल ने विश्वविद्यालय पर बड़ा आरोप लगा नियुक्ति में धांधली का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि पदों की संख्या और आरक्षण रोस्टर में भी छेड़छाड़ कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए की गई है। विश्वविद्यालय की इसी कार्यप्रणाली के कारण कोर्ट से बार-बार विज्ञापन को रद किया जा रहा है। यह भी आरोप है कि विश्वविद्यालय में नियुक्ति के लिए कोई नियम ही नहीं हैं। इसके लिए समिति का गठन करने के साथ ही नियम बनाने के पूर्व में निर्देश दिए गए थे, पर इस पर काम नहीं हुआ।

इन्हीं शिकायतों का संज्ञान लेकर शासन ने विश्वविद्यालय प्रशासन से 13 बिंदुओं पर जवाब-तलब किया है। इनमें अधिकतर मामले नियुक्ति से जुड़े हैं। एक मामला प्रोफेसर पद पर सीधी भर्ती के लिए जारी की विज्ञप्ति से भी जुड़ा है। उधर, कुलपति डा. सुनील जोशी का कहना है कि उनसे पहले क्या हुआ इसकी जिम्मेदारी उनकी नहीं है। अभी भर्ती नियमानुसार की जा रही है। कुछ लोग बिना वजह भर्तियों में व्यवधान उत्पन्न करना चाहते हैं। जबकि भर्ती जितनी जल्दी होगी, वह विश्वविद्यालय व छात्र हित में है।

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