सरकार ने राजभवन से वापस मंगाया पूर्व मुख्यमंत्रियों की सुविधाओं को लेकर जारी अध्यादेश
पूर्व मुख्यमंत्रियों की सुविधाओं को लेकर जारी अध्यादेश को मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने के बाद सरकार ने ऐनवक्त पर अपना इरादा बदलते हुए अध्यादेश में भी संशोधन कर डाला।
By Edited By: Updated: Sun, 08 Sep 2019 08:26 PM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। इसे अदालत का सख्त रुख कहें या जनमत का दबाव। पूर्व मुख्यमंत्रियों की सुविधाओं को लेकर जारी अध्यादेश को मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने के बाद सरकार ने ऐनवक्त पर अपना इरादा बदलते हुए अध्यादेश में भी संशोधन कर डाला। इसका असर ये हुआ कि अध्यादेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को तमाम सुविधाएं पीछे राज्य गठन की तारीख नौ नवंबर, 2000 से मंजूर की गई, लेकिन इन्हें भविष्य में भी बहाल रखने से सरकार ने कदम पीछे खींच लिए।
उत्तराखंड भूतपूर्व मुख्यमंत्री (आवासीय एवं अन्य सुविधाएं) अध्यादेश, 2019 की अधिसूचना बीती पांच सितंबर को जारी कर दी गई है। इस अध्यादेश को बीती 13 अगस्त को मंत्रिमंडल ने गुपचुप तरीके से मंजूरी दी थी। हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुविधाएं देने के मामले में सख्त रुख अपनाया है। साथ ही मंत्रिमंडल का फैसला सार्वजनिक होने के बाद इस मुद्दे पर बुद्धिजीवियों से लेकर आम लोगों का रोष सामने आया। इसके बाद सरकार पर अपने ही फैसले को लेकर दबाव साफतौर पर तारी दिखा।
मंत्रिमंडल के फैसले के सात दिन बाद 20 अगस्त को सरकार इस अध्यादेश को राजभवन भेज सकी। यही नहीं, राजभवन को अध्यादेश भेजने के बाद भी सरकार की दुविधा खत्म नहीं हुई राजभवन को पहले भेजे गए अध्यादेश में सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुविधाएं देने के मामले में दोहरा फैसला लिया था। यानी पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास व अन्य मुफ्त सुविधाएं राज्य गठन की तारीख नौ नवंबर 2000 से मंजूर की गई। साथ ही इन्हें वर्तमान और आगे भी जारी रखने का फैसला लिया गया था।
यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुविधाओं का अध्यादेश मंजूर
राजभवन में विचाराधीन इस अध्यादेश पर फैसला होने से पहले ही सरकार ने इस अध्यादेश को वापस मंगाया। फिर इस अध्यादेश में संशोधन कर पूर्व मुख्यमंत्रियों को उक्त सुविधाएं भविष्य में जारी रखने का फैसला वापस ले लिया। इसके स्थान पर उक्त सुविधाएं सिर्फ 31 मार्च, 2019 तक दिए जाने का प्रावधान जोड़ दिया। गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्रियों की मौजूदा सूची में सबसे ज्यादा सत्तारूढ़ भाजपा से ही ताल्लुक रखते हैं।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।