पुरानी नाव में सवार नए खेवनहार, पुष्कर सिंह धामी मंत्रिमंडल में सभी पुराने चेहरों पर जताया गया भरोसा
भाजपा ने नए मुख्यमंत्री के रूप में पुष्कर सिंह धामी पर दांव खेला लेकिन मंत्रिमंडल को लेकर सभी पुराने चेहरों पर ही भरोसा जताना उचित समझा। नए मंत्रिमंडल के सभी सदस्य पिछली तीरथ सरकार का भी हिस्सा रहे हैं।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Mon, 05 Jul 2021 08:31 AM (IST)
रविंद्र बड़थ्वाल, देहरादून। भाजपा ने नए मुख्यमंत्री के रूप में पुष्कर सिंह धामी पर दांव खेला, लेकिन मंत्रिमंडल को लेकर सभी पुराने चेहरों पर ही भरोसा जताना उचित समझा। नए मंत्रिमंडल के सभी सदस्य पिछली तीरथ सरकार का भी हिस्सा रहे हैं। 2017 से प्रदेश की सत्ता पर काबिज भाजपा ने मुख्यमंत्री के रूप में तीसरा प्रयोग किया, लेकिन मंत्रिमंडल में छेड़छाड़ नहीं की। 2017 में बनाए गए मंत्री तीसरी सरकार के गठन के वक्त भी बरकरार रखे गए हैं। बीती 10 मार्च को मुख्यमंत्री बनाए गए तीरथ सिंह रावत की टीम में भी पुराने चेहरों को जगह मिली थी। कैबिनेट मंत्री पद छोड़कर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बने मदन कौशिक की सीट समेत मंत्रिमंडल की रिक्त तीन सीट पर ही नए चेहरों को जगह दी गई थी। पुराने चेहरों को पार्टी ने बरकरार रखना मुनासिब समझा था।
युवा कंधे पर चुनौती का पहाड़युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भी पुरानी टीम के साथ ही नई जिम्मेदारी के मोर्चे पर आगे बढऩा होगा। दरअसल चुनावी साल में दूसरी बार नेतृत्व परिवर्तन किया तो गया, लेकिन सत्तारूढ़ दल भाजपा और नए मुख्यमंत्री धामी के पास वक्त काफी कम बचा है। 2022 के विधानसभा चुनाव में आठ महीने से कम समय रह गया है। ऐसे में चुनौतियों के पहाड़ से जूझने के लिए पुरानी टीम को लेकर आगे बढ़ना पार्टी मुनासिब समझ रही है।
विकास कार्यों की चुनौतीकेंद्र की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं को तय समय पर पूरा करना है तो विकास कार्यों को गति देकर सत्ताधारी दल के विधायकों की बेचैनी से भी पार पाना है। पार्टी हाईकमान ने कम समय में बड़ी चुनौती से निपटने की जिम्मेदारी पुष्कर सिंह धामी के कंधों पर डाली है। उन्हें चुनौतियों का सामना करने के लिए कम वक्त मिला है।
नेतृत्व को लेकर पार्टी की पहल
सत्तारूढ़ दल ने युवा नेतृत्व पर दांव खेलते हुए पुराने वरिष्ठ मंत्रियों का साथ बनाए रखा है। दरअसल पिछले चार साल से ज्यादा वक्त में भाजपा सरकार ने राज्य के विकास और महत्वाकांक्षी योजनाओं से संबंधित महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं। इन फैसलों और कार्यों के बूते ही आगामी चुनाव में पार्टी को हुंकार भरनी है। ऐसे में सभी फैसलों को अंजाम तक पहुंचाने के लिए वरिष्ठ मंत्रियों के अनुभव को तरजीह दी गई है। प्रचंड बहुमत के सहारे भाजपा का ये प्रयोग दरअसल आगे चुनाव की रणनीति को ध्यान में रखकर ही किया गया है। इसमें नए और ऊर्जावान नेतृत्व पर दांव खेलकर पार्टी ने नई पहल भी कर दी है।
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