Move to Jagran APP

प्रख्यात रंगकर्मी, चित्रकार व कार्टूनिस्ट बी.मोहन नेगी का निधन

पहाड़ के पैरोकार, साहित्यकार, चित्रकार, व्यंग्यकार बी. मोहन नेगी का निधन हो गया है। वह करीब 65 साल के थे और काफी दिनों से बीमार चल रहे थे। कैलाश अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली।

By BhanuEdited By: Updated: Thu, 26 Oct 2017 09:35 PM (IST)
Hero Image
प्रख्यात रंगकर्मी, चित्रकार व कार्टूनिस्ट बी.मोहन नेगी का निधन

पौड़ी, [जेएनएन]: उत्तराखंड के प्रख्यात रंगकर्मी, चित्रकार, साहित्यकार एवं कार्टूनिस्ट बी.मोहन नेगी का बुधवार रात देहरादून में आकस्मिक निधन हो गया। गुरुवार सुबह उनके निधन की सूचना मिलते ही पौड़ी में शोक की लहर दौड़ पड़ी। नेगी पिछले करीब तीन माह से अस्वस्थ चल रहे थे। वे अपने पीछे भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं। उनके दो बेटे व दो बेटियां हैं। 

पौड़ी जिले के कल्जीखाल ब्लॉक की मनियारस्यूं पटटी के पुंडोरी गांव निवासी बी.मोहन नेगी वर्तमान में परिवार सहित पौड़ी में रह रहे थे। 66 वर्षीय नेगी ने डाक विभाग में रहते हुए लंबे अर्से तक चमोली जिला मुख्यालय गोपेश्वर व गौचर में सेवाएं दीं और यहीं से कला-संस्कृति के रंग बिखेरने शुरू किए। उन्होंने एक तरफ लघु कविताएं लिखीं तो दूसरी ओर चित्र, रेखाचित्र, कविता पोस्टर व कार्टून बनाकर तत्कालीन व मौजूदा हालात की तस्वीर समाज के सामने रखी।

बाद में नेगी का स्थानांतरण प्रधान डाकघर पौड़ी में हुआ तो यहां भी उन्होंने अपनी रचनाधर्मिता को संजीदा रखते हुए समाज को एक नया आयाम देने का कार्य किया। वर्ष 2009 में वे पौड़ी में ही उप डाकपाल के पद से सेवानिवृत्त हुए। उनकी बनाई कलाकृतियां आज भी जगह-जगह घरों की शोभा बढ़ा रही हैं। बताते हैं कि पौड़ी की रामलीला में कभी वे मुखौटा बनाया करते थे। 

पौड़ी स्थित आवास पर उनके बनाए चित्र, कविता पोस्टर और कार्टून नेगी की जीवन शैली को बयां कर रहे हैं। पहाड़ से गायब हो रही चित्रकला को उन्होंने एक अध्याय के रूप में जोडऩे का महत्वपूर्ण कार्य किया। नेगी के असमय चले जाने से कला-संस्कृति एवं लोक साहित्य के क्षेत्र में जो रिक्तता आई है, उसकी भरपाई करना आसान नहीं होगा।

देश के कई शहरों में लगाई प्रदर्शनी

प्रख्यात चित्रकार बी.मोहन नेगी 1984 से कविता व कविता पोस्टर प्रदर्शनी के साथ ही चित्रों की प्रदर्शनियां विभिन्न शहरों में आयोजित करते आ रहे थे। उन्होंने उत्तराखंड के प्रमुख शहरों के साथ ही दिल्ली, लखनऊ, मुंबई आदि शहरों में भी कविता पोस्टर प्रदर्शनी लगाईं। इसके अलावा राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय व विभिन्न क्षेत्रीय पत्र-पत्रिकाओं में उनके चित्र, रेखाचित्र, कार्टून व कविताओं का प्रकाशन निरंतर होता रहा। प्रकृति के चितेरे कवि चंद्रकुंवर बर्त्‍वाल की लगभग सौ कविताओं पर भी उन्होंने पोस्टर तैयार किए। 

विभिन्न भाषाओं में 700 से अधिक पोस्टर

कला के पुरोधा बी.मोहन नेगी ने जीवनपर्यंत गढ़वाली, कुमाऊंनी, जौनसारी, रंवाल्टी, नेपाली, पंजाबी, हिंदी व अंग्रेजी भाषा के लगभग 700 कविता पोस्टर बनाए। उनके उकेरे गए चित्र लोकजीवन की जीवटता को प्रदर्शित करते हैं। खास बात यह कि जो भी चित्र नेगी ने बनाए, वे पर्वतीय जीवन की संजीदगी से भरे हुए हैं।  

नेगी को मिले सम्मान

प्रकाश पुरोहित जयदीप स्मृति सम्मान, हिमगिरी सम्मान, लक्ष्मी प्रसाद नौटियाल सम्मान, चंद्रकुंवर बर्त्‍वाल सम्मान, देव भूमि सम्मान, गढ़ विभूति सम्मान आदि।

यह भी पढ़ें: नहीं रहे प्रसिद्ध साहित्यकार शेर सिंह पांगती, जानिए उनकी कलम का सुनहरा सफर

यह भी पढ़ें: दुनिया को अलविदा कह गए राज्य आंदोलनकारी वेद उनियाल

यह भी पढ़ें: रुड़की में 92 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी डा. सिन्हा का निधन

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।