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Famous Temple in Chamoli: गोपीनाथ मंदिर में है भगवान शिव का ऐसा त्रिशूल, जो ताकत से नहीं तर्जनी से करता है कंपन

Famous Temple in Chamoli उत्‍तराखंड के चमोली जनपद के गोपेश्‍वर में भगवान शिव का गोपीनाथ मंदिर है। मंदिर में भगवान शिव का त्रिशूल है। मान्‍यता है कि त्रिशूल में इतनी शक्ति है कि कोई इसे हिला नहीं सकता है।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Mon, 18 Jul 2022 05:20 PM (IST)
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गोपीनाथ मंदिर उत्तराखंड के चमोली जनपद के मुख्यालय गोपेश्वर में स्थित है।

संवाद सहयोगी, गोपेश्‍वर (चमोली)। गोपीनाथ मंदिर उत्तराखंड के चमोली जनपद के मुख्यालय गोपेश्वर में स्थित है। यह स्थान बदरीनाथ धाम व केदारनाथ धाम की पैदल मार्ग का केंद्र बिंदु है। यह मंदिर सड़क सुविधा से जुड़ा है। मंदिर में वर्षभर शिव भक्तों का तांता लगा रहता है। श्रवण मास में कांवड़ यात्री की संख्या ज्यादा बढ़ जाती है।

मंदिर का इतिहास

पुरातत्व विभाग के संरक्षण में मौजूद गोपीनाथ मंदिर का निर्माण नागर शैली में किया गया है। वहीं मंदिर निर्माण की कला को हिमाद्री शैली के रूप में जाना जाता है। गोपीनाथ मंदिर का निर्माण नौवीं व 11वीं शताब्दी के बीच कत्यूरी शासकों की ओर से किया गया है।

पुरातत्व महत्व के इस मंदिर में मौजूद अभिलेखेां से कत्यूरी शासकों व नेपाली शासकों के इतिहास का भी संबंध है। नेपाल के राजा अनेकमल के 13वीं शताब्दी में मंदिर से जुड़े अभिलेख मौजूद हैं।

मंदिर की विशेषता

मंदिर के गर्भ गृह में शिवलिंग स्थापित है। इस मंदिर में परशुराम व भैरव जी की प्रतिमा भी मौजूद है। मंदिर के कुछ दूरी पर वैतरणी नामक कुंड है। मंदिर के आंगन में शक्ति त्रिशूल भी है, जिस पर फरसा भी मौजूद है। इस त्रिशूल को यदि तर्जनी उंगली से छुआ जाए तो त्रिशूल पर कंपन्न होने लग जाता है।

इस मंदिर में शीतकाल के दौरान रुद्रनाथ जी की उत्सव मूर्ति भी विराजमान होती है। मंदिर को उत्तराखंड के दूसरे सबसे ऊंचे मंदिर होने का भी गौरव है। मंदिर की परक्रिमा स्थल पर कई शिवलिंग मौजूद हैं।

अनुसूया प्रसाद भट्ट (अध्यक्ष मंदिर समिति गोपीनाथ मंदिर) ने बताया कि गोपीनाथ मंदिर पौराणिक मंदिरों में से एक है। यहां पर वर्षभर श्रद्धालु आते हैं। शिव के साक्षात दर्शन होते हैं। यहां श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण होती है। पुरातत्व महत्व के इस मंदिर परिसर में पहाड़ी शैली की भवन कला को भी देखा जा सकता है।

बंशीधर भट्ट (पुजारी गोपीनाथ मंदिर) ने बताया कि मंदिर के कपाट वर्ष भर खुले रहते हैं। श्रद्धालु जलाभिषेक कर पूजा अर्चना करते हैं। मंदिर में देश-विदेश के श्रद्धालुओं सहित स्थानीय नागरिकों की आवाजाही बनी रहती है।

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