गंगा तट पर आने से गजराज के कदम थामेगी हाथीरोधी फैंसिंग
राजाजी टाइगर रिजर्व और हरिद्वार वन प्रभाग से लगे हरिद्वार के आबादी वाले क्षेत्रों में हाथियों की धमक रोकने को गंगा किनारे करीब 13 किमी हिस्से में मजबूत हाथीरोधी फैंसिंग लगाई जाएगी।
By BhanuEdited By: Updated: Wed, 10 Jul 2019 09:39 PM (IST)
देहरादून, केदार दत्त। राजाजी टाइगर रिजर्व और हरिद्वार वन प्रभाग से लगे हरिद्वार के आबादी वाले क्षेत्रों में हाथियों की धमक रोकने को गंगा किनारे करीब 13 किमी हिस्से में मजबूत हाथीरोधी फैंसिंग जरूरी है। मुख्य वन संरक्षक (सीसीएफ) की ओर से वन मुख्यालय को सौंपी गई जांच रिपोर्ट में यह सुझाव दिया गया है।
जमालपुर (हरिद्वार) क्षेत्र में ट्रेन से कटकर दो हाथियों की मौत के बाद यह जांच कराई गई थी। सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट में उल्लेख है कि प्रकरण में विभागीय कोताही की बात सामने नहीं आई। घटनास्थल वन सीमा से साढ़े तीन किमी दूर है और शहरी व गैर वन क्षेत्रों में वनकर्मियों की गश्त का प्रावधान नहीं है। अलबत्ता, आबादी वाले क्षेत्र में हुई घटना को बेहद चिंताजनक करार दिया गया है। हरिद्वार के जमालपुर के घनी आबादी वाले क्षेत्र में अप्रैल में हाथियों की निरंतर धमक बनी हुई थी। इसी दरम्यान 19 अप्रैल को ट्रेन से कटकर दो हाथियों की मौत हो गई। आबादी वाले क्षेत्रों में हाथियों की निरंतर आवाजाही और ट्रेन से कटकर हो रही मौत के मामलों को लेकर तब वन विभाग की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े हुए।
बता दें कि ट्रेन से कटकर हाथियों की मौत के सर्वाधिक मामले हरिद्वार-देहरादून ट्रैक पर हुए हैं। तीन दशक के वक्फे में इस रेलवे ट्रैक पर 29 हाथियों की जान ट्रेन की चपेट में आकर जा चुकी है। जमालपुर की घटना के बाद कारणों की पड़ताल के साथ ही विभागीय कोताही समेत अन्य बिंदुओं की वन मुख्यालय ने जांच कराने का निर्णय लिया। मुख्य वन संरक्षक जीएस पांडे को जांच सौंपी गई और उन्होंने विभिन्न पहलुओं की पड़ताल के बाद अब अपनी जांच रिपोर्ट विभाग के मुखिया प्रमुख मुख्य वन संरक्षक को सौंप दी है।
सूत्रों के मुताबिक जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि जमालपुर की घटना बेहद चिंताजनक है। घनी आबादी वाले इस क्षेत्र में हाथियों का निरंतर आवागमन किसी भी दृष्टि से ठीक नहीं है। इसे रोकना आवश्यक है। बताया गया है कि जमालपुर समेत हरिद्वार के अन्य इलाकों में हाथियों की आवाजाही राजाजी टाइगर रिजर्व के पश्चिमी हिस्से के अलावा हरिद्वार वन प्रभाग के श्यामपुर क्षेत्र से हो रही है। गंगा नदी से लगे यह क्षेत्र वन सीमा से करीब साढ़े तीन किमी की दूरी पर हैं। रिपोर्ट के अनुसार राजाजी के पश्चिमी भाग और हरिद्वार प्रभाग के श्यामपुर क्षेत्र से लगी गंगा किनारे की करीब 13 किमी लंबी सीमा बेहद संवेदनशील है। हाथियों की आवाजाही रोकने को आवश्यक है कि इस सीमा पर मजबूत हाथीरोधी फैंसिंग लगाई जाए। फिलवक्त, यही समस्या का समाधान है। उधर, वन मुख्यालय में इस जांच रिपोर्ट पर मंथन भी शुरू हो गया है।
वनकर्मियों का नहीं कोई दोष जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि हरिद्वार से लगे वन क्षेत्रों में वनकर्मियों की नियमित रूप से पेट्रोलिंग है। कभी-कभी विशेष गश्त भी की जाती है, लेकिन शहरी व गैर वन क्षेत्र में वनकर्मियों की गश्त का कोई प्रावधान नहीं है। जमालपुर मामले में भी वनकर्मियों की कोई लापरवाही सामने नहीं आई। वनकर्मियों ने वहां हाथियों को रोकने को अपनी ओर से पूरे प्रयास किए गए।
संसाधन बढ़ाने पर भी जोर सीसीएफ की जांच रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि प्रभाग स्तर पर सुरक्षा दस्ता और रेसक्यू टीमों का गठन होना चाहिए। इसके लिए संसाधन बढ़ाने होंगे। वजह ये कि प्रभागों के पास ऐसे कार्यों के लिए अत्यंत सीमित संसाधन हैं।
रिपोर्ट के अन्य बिंदु -हरिद्वार क्षेत्र का निरंतर विस्तार होने से हाथी के परंपरागत आवाजाही के रास्ते हुए हैं बाधित।
-जिन इलाकों से कभी हाथी गुजरते थे, वहां अब मानव बस्तियां उग आई हैं। -गन्ना की मिठास और गेहूं की महक भी हाथियों को अपनी ओर खींच रहीं।
-आबादी वाले क्षेत्रों में हाथियों का आवागमन रोकने को दीर्घकालिक उपाय जरूरी। यह भी पढ़ें: 'हत्यारा' टस्कर बना राजाजी का राजा, कैसे ये जानने के लिए पढ़िए पूरी खबरयह भी पढ़ें: हाथियों का हो सकेगा इलाज, हरिद्वार में बनेगा उत्तराखंड का पहला हाथी अस्पतालयह भी पढ़ें: उच्च हिमालयी क्षेत्र की शान हैं हिम तेंदुए, पहली बार उठेगा उनकी तादाद से पर्दा
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