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किसान संगठनों की मांग ने बढ़ाई ऊर्जा निगम की परेशानी, पढ़ि‍ए पूरी खबर

किसान संगठन बकाया बिजली बिलों को माफ करने के लिए सरकार पर दबाव बना रहे हैं। इसका असर ऊर्जा निगम के बकाया वसूली पर पड़ रहा है। किसान ट्यूबवेल का बिजली का बिल जमा नहीं कर रहे हैं। ऐसे में 67 करोड़ रुपये वसलूने में निगम के पसीने छूट रहे।

By Edited By: Updated: Thu, 09 Dec 2021 10:12 PM (IST)
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किसान संगठन बकाया बिजली बिलों को माफ करने के लिए सरकार पर दबाव बना रहे हैं।
जागरण संवाददाता, रुड़की: किसान संगठन बकाया बिजली बिलों को माफ करने के लिए सरकार पर दबाव बना रहे हैं। इसका असर ऊर्जा निगम के बकाया वसूली पर पड़ रहा है। किसान ट्यूबवेल का बिजली का बिल जमा नहीं कर रहे हैं। ऐसे में 67 करोड़ रुपये वसलूने में निगम के पसीने छूट रहे हैं। इस समय राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। चुनाव नजदीक होने की वजह से तमाम दल घोषणाएं कर रहे हैं। वहीं तमाम संगठनों की ओर से कई मांगें भी की जा रही हैं।

भारतीय किसान क्लब, भारतीय किसान यूनियन, उत्तराखंड किसान मोर्चा समेत तमाम संगठनों ने सरकार से किसानों के ट्यूबवेल के बकाया बिजली बिलों को माफ करने की मांग की है। किसान संगठनों ने प्रशासन, जनप्रतिनिधियों के माध्यम से सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। साथ ही लगातार ज्ञापन भेजे जा रहे हैं। किसान क्लब के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी कटार सिंह ने बताया कि उन्होंने किसानों की मांग को लेकर एक ज्ञापन विद्युत नियामक आयोग को भी भेजा है, जिसमें कहा गया है कि किसानों को महंगी बिजली की दरों पर आपूर्ति की जा रही है। इसे और कम किया जाए। इस संबंध में उप महाप्रबंधक राहुल जैन ने बताया कि ट्यूबवेल पर बकाया बिल को वसूलने में परेशानी आ रही है। किसान गन्ने का भुगतान ना होने की बात कह रहे हैं। किसानों को बताया जा रहा है कि बकाया बिलों पर सरचार्ज माफ किया जा रहा है। इसलिए जल्द बिजली के बिल जमा करें।

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12,264 ट्यूबवेल के कनेक्शनधारक

ऊर्जा निगम में ट्यूबवेल के कनेक्शनधारकों की संख्या 12,264 है। इन पर करीब 67 करोड़ रुपये बिजली का बिल बकाया है। करीब चार हजार उपभोक्ता ही ऐसे हैं, जो बिजली का बिल समय से दे रहे हैं। अधिकांश पर छह माह से भी अधिक का समय हो गया है। करीब एक हजार कनेक्शनधारक ऐसे हैं, जिन पर पांच से आठ हजार रुपये ही बिजली का बिल बकाया है।

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