Union Budget 2019: उत्तराखंड के अन्नदाता को ई-नाम में मिलेगा और इनाम
केंद्र सरकार की ई-नाम की पहल को उत्तराखंड ने न सिर्फ सिर आंखों पर बैठाया बल्कि उत्पादों के अच्छे दाम का इनाम भी यहां के किसान हासिल कर रहे हैं।
By BhanuEdited By: Updated: Sat, 06 Jul 2019 09:41 AM (IST)
देहरादून, केदार दत्त। उत्तम फसल, उत्तम ईनाम, यही तो है इलेक्ट्रॉनिक-राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) का सूत्र वाक्य। केंद्र सरकार की इस पहल को उत्तराखंड ने न सिर्फ सिर आंखों पर बैठाया, बल्कि उत्पादों के अच्छे दाम का इनाम भी यहां के किसान हासिल कर रहे हैं। राष्ट्रीय स्तर पर इस छोटे से राज्य के किसानों की धमक का हर कोई कायल है।
अब आम बजट में केंद्र सरकार ने ई-नाम की मुहिम को और गति देने का इरादा जाहिर किया है तो इसका और अधिक फायदा प्रदेश के किसानों, व्यापारियों के साथ ही आमजन को मिलेगा। इसे देखते हुए राज्य सरकार ने शेष रह गईं सात मंडियों को ई-नाम से जोड़ने को कसरत शुरू कर दी है।मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में किसानों को उनके उत्पादों का उचित दाम मुहैया कराने के मकसद से ई-नाम की शुरुआत की गई थी। 31 मार्च 2017 को उत्तराखंड की 23 में पांच मंडियों को ई-राष्ट्रीय कृषि बाजार यानी ई-नाम से जोड़ा गया। ई-नाम के फायदों को देखते हुए किसानों व व्यापारियों ने इसमें खासी रुचि दिखाई। परिणामस्वरूप 15 मार्च 2018 को 11 और मंडियों को इससे जोड़ दिया गया।
इस प्रकार राज्य की 67 फीसद मंडियां ई-नाम से जुड़ चुकी हैं। इस लिहाज से उत्तराखंड देश में अव्वल है। यानी, किसी भी राज्य की इतने फीसद मंडियां ई-नाम से नहीं जुड़ पाई हैं। बात यहीं तक सीमित नहीं है। ई-नाम से अब तक करीब 50 हजार किसान जुड़ चुके हैं, जबकि कारोबारियों की संख्या साढ़े चार हजार है। ये सभी राज्य की मंडियों के अलावा उप्र समेत अन्य राज्यों की मंडियों से ऑनलाइन कारोबार कर रहे हैं। इसमें किसानों को उत्पादों के अच्छे दाम मिल रहे हैं। अब तक 76.96 करोड़ का भुगतान ई-नाम पोर्टल के जरिये किसानों को हो चुका है।
राष्ट्रीय अवार्ड को नामित सितारगंज ई-नाम में राज्य की सितारगंज मंडी ने अब तक असाधारण कार्य किया है और इसके लिए उसे राष्ट्रीय अवार्ड के लिए नामित किया गया है। सितारगंज मंडी से 4724 किसान जुड़े हैं और इनमें से 3394 ने ई-नाम के जरिये ई-नीलामी में भाग लिया। इस मंडी का ई-नाम के जरिये कुल कारोबार 17.89 करोड़ रहा है। सूत्रों की मानें तो सालभर के वक्फे में अन्य किसी मंडी ने ऐसा प्रदर्शन नहीं किया।
राज्य के किसानों ने ली खासी रुचि
उत्तराखंड के कृषि मंत्री सुबोध उनियाल के मुताबिक, किसानों की आय दोगुना करने के लिहाज से ई-नाम अहम साबित हुआ है। राज्य के किसानों ने इसमें खासी रुचि ली है। कम समय में 50 हजार के करीब किसानों का इससे जुड़ा इसकी तस्दीक करता है। कोशिश है कि अधिक से अधिक किसान ई-नाम में पंजीकृत हों, ताकि उन्हें उत्पादों का उचित दाम मिल सके। आम बजट में ई-नाम को ज्यादा तवज्जो दिए जाने से इसका फायदा उत्तराखंड के किसानों को मिलेगा।देवभूमि के किसान भी बनेंगे ऊर्जादाता
किसानों की आय दोगुनी करने की कोशिशों के तहत अन्नदाता को ऊर्जादाता बनाने की मुहिम में उत्तराखंड भी तेजी से कदम बढ़ाएगा। इस कड़ी में राज्य में किसानों को सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए प्रेरित किया जाएगा। प्रथम चरण में सौर ऊर्जा से सिंचाई ट्यूबवैल चलाए जाएंगे और शेष बिजली को किसान ग्रिड को बेचेंगे, जिससे उन्हें कृषि से इतर भी अच्छी आमदनी हो सकेगी।केंद्र सरकार ने किसानों की आय दोगुना करने का संकल्प लिया है और इस क्रम में आम बजट में भी जोर दिया गया है। कृषि से जुड़ी बुनियादी ढांचागत सुविधाओं में व्यापक निवेश की प्रतिबद्धता तो केंद्र ने दोहराई ही है, साथ ही नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन से भी कृषकों को जोडऩे का इरादा जाहिर किया गया है, ताकि अन्नदाता ऊर्जादाता भी बन सके। आम बजट में किए गए इस प्रावधान से उत्तराखंड के किसानों में भी उम्मीद का संचार हुआ है।
असल में उत्तराखंड में भी वैकल्पिक ऊर्जा की अपार संभावनाएं हैं। इसमें सौर ऊर्जा मुख्य है। कृषि के साथ-साथ सौर ऊर्जा उत्पादन से किसानों की आय में बढ़ोतरी हो सकती है। राज्य के कृषि मंत्री सुबोध उनियाल के अनुसार अन्नदाता को ऊर्जादाता बनाने की केंद्र की पहल से देवभूमि के किसानों को अधिक लाभ मिल सकता है।
कृषि मंत्री उनियाल बताते हैं कि इस दिशा में कवायद शुरू कर दी गई है। पहले चरण में उन किसानों को सोलर पावर प्लांट के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिनके ट्यूबवैल हैं। ट्यूबवैलों को सोलर पावर प्लांट से मिलने वाली सौर ऊर्जा से चलाया जाएगा। इसके बाद जो भी ऊर्जा बचेगी, उसे किसान सीधे ग्रिड को बेच सकेंगे। धीरे-धीरे इस मुहिम को प्रदेशभर में फैलाया जाएगा।मत्स्य पालन को भी लगेंगे पंखकेंद्र सरकार ने आम बजट में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के जरिए एक सुदृढ़ मत्स्य पालन प्रबंधन रूपरेखा स्थापित करने का इरादा जताया है। इससे उत्तराखंड में भी मत्स्य पालन से रोजगार की संभावनाओं को पंख लगेंगे। मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के मद्देनजर राज्य सरकार ने ट्राउट मछली उत्पादन को प्रोत्साहित करने की योजना बनाई है। अब इसके प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना में शामिल होने से यहां के किसानों के साथ ही युवा भी लाभ उठा सकेंगे।यह भी पढ़ें: आम बजट: उत्तराखंड समेत हिमालयी राज्यों के दामन में खुशियांयह भी पढ़ें: संतुलित व समावेशी है केंद्र का आम बजट: मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावतयह भी पढ़ें: हरीश ने पकड़ी राहुल की राह, सूबे की सियासत में होंगे सक्रिय
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