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उत्‍तराखंड के सिनेमाघरों में क्षेत्रीय फिल्मों का प्रदर्शन होगा अनिवार्य

उत्‍तराखंड के सभी मल्टीप्लेक्स और सिनेमाघरों में क्षेत्रीय फिल्मों का प्रदर्शन अनिवार्य होगा। इसके लिए उत्तराखंड फिल्म नीति में संशोधन किया गया है।

By Edited By: Updated: Fri, 08 Feb 2019 08:48 AM (IST)
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उत्‍तराखंड के सिनेमाघरों में क्षेत्रीय फिल्मों का प्रदर्शन होगा अनिवार्य
देहरादून, राज्य ब्यूरो। अब प्रदेश के सभी मल्टीप्लेक्स और सिनेमाघरों में क्षेत्रीय फिल्मों का प्रदर्शन अनिवार्य होगा। इसके लिए उत्तराखंड फिल्म नीति में संशोधन किया गया है। इसके तहत सेंसर बोर्ड से सर्टिफिकेट प्राप्त होने के बाद सभी सिनेमाघरो में प्रतिदिन एक सप्ताह तक इसे अनिवार्य रूप से दिखाया जाएगा। इसके अलावा फिल्मों की शूटिंग के दौरान सुरक्षा दृष्टि से पांच पुलिस कर्मी फिल्म की अवधि तक निश्शुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे। प्रदेश में क्षेत्रीय फिल्म प्रमाणीकरण परिषद का भी गठन किया जाएगा।

 बुधवार को शासन ने संशोधित फिल्म नीति जारी की है। यह जानकारी देते हुए सचिव सूचना दिलीप जावलकर ने बताया कि राज्य में फिल्म निर्माता, निर्देशक को शूटिंग के लिए आकर्षित करने के उद्देश्य से फिल्म नीति में संशोधन किए गए हैं। इसके तहत उत्तराखंड के विभिन्न स्थानों में फिल्म की शूटिंग को आवश्यक अनुमति की औपचारिकताओं को सिंगल विंडो सिस्टम के जरिये सुगम बनाया जाएगा। इसके तहत ऑनलाइन आवेदन स्वीकार किए जाएंगे। सभी संबंधित विभाग ऑन लाइन संस्तुति सूचना विभाग को एक सप्ताह के भीतर प्रेषित करेंगे। 

इसके बाद सूचना विभाग ऑनलाइन अनुमति प्रदान करेगा। उत्तराखंड में शूटिंग होने वाली फिल्मों के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। वन विभाग द्वारा निर्धारित शूटिंग शुल्क भी पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है। शूटिंग स्थल पर यदि कोई प्रवेश शुल्क या पार्किंग शुल्क होगा, उसका वहन फिल्म निर्माता को करना होगा। पर्यटन विकास विभाग द्वारा मुंबई, हैदराबाद, बंगलुरू, हैदराबाद व दिल्ली आदि राज्यों में नामित जनसंपर्क अधिकारियों को ही नोडल अधिकारी बनाया जाएगा। फिल्मों की शूटिंग अवधि में संबंधित जनपद के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी पांच पुलिस कर्मी निश्शुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे।

इससे अधिक संख्या में पुलिस कर्मी लेने पर नियमानुसार भुगतान करना होगा। उन्होंने बताया कि फिल्मों को अनुदान दिए जाने के संबंध में भी संशोधन किया गया है। अब फिल्म निर्माण लागत का तीस प्रतिशत अथवा अधिकतम 1.5 करोड़ रुपये ही अनुदान दिया जाएगा। पुणे व कोलकाता में प्रवेश लेने वाले राज्य के मूल निवासी छात्र-छात्राओं को अधिकतम 25 हजार रुपये की छात्रवृत्ति प्रदान की जाएगी। प्रदेश में बनने वाले प्रमाणीकरण परिषद में 18 सदस्य होंगे। इसमें एक अध्यक्ष, एक वरिष्ठ उपाध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष एवं सात गैर सरकारी सदस्य होंगे। इसमें आठ सरकारी सदस्य भी नामित होंगे।

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