Uttrakhand News: जंगल बचाने को निर्धारित तारिख से 26 दिन पहले ही अग्निकाल घोषित, जानें सरकार ने क्यों उठाया ऐसा कदम
पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशील उत्तराखंड में इस बार सर्दियों में ही जंगलों के सुलगने की घटनाओं ने वन विभाग के अधिकारियों की पेशानी पर बल डाले हुए हैं और राज्य में नियत समय से 26 दिन पहले ही वनों को आग से बचाने के दृष्टिगत अग्निकाल घोषित कर दिया है। वन प्रभागों के डीएफओ और संरक्षित क्षेत्रों के निदेशकों को तत्काल सभी व्यवस्था दुरुस्त करने के निर्देश दिए।
केदार दत्त, देहरादून। पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशील उत्तराखंड में इस बार सर्दियों में ही जंगलों के सुलगने की घटनाओं ने वन विभाग के अधिकारियों की पेशानी पर बल डाले हुए हैं। स्थिति को भांपते हुए राज्य में नियत समय से 26 दिन पहले ही वनों को आग से बचाने के दृष्टिगत अग्निकाल (फायर सीजन) घोषित कर दिया गया है।
इस कड़ी में सभी वन प्रभागों के डीएफओ और संरक्षित क्षेत्रों के निदेशकों को तत्काल सभी व्यवस्था दुरुस्त करने के निर्देेश दिए गए हैं। उनसे यह भी कहा गया है कि वे अग्निकाल में रखे जाने वाले फायर वॉचरों की अभी से तैनाती करना सुनिश्चित करें। साथ ही फील्ड में रिस्पांस टीमों को सक्रिय करने के लिए भी निर्देशित किया गया है।
जंगलों में आग से बढ़ी चिंता
उत्तर भारत के अन्य हिस्सों की भांति उत्तराखंड में भी कड़ाके की सर्दी पड़ रही है, लेकिन बदरा रूठे-रूठे से हैं। पूरा दिसंबर बिन वर्षा के गुजर गया तो जनवरी का अब तक का परिदृश्य भी ऐसा ही है। उस पर जंगलों के सुलगने से चिंता अधिक बढ़ गई है।सर्दी के मौसम में इस बार उत्तरकाशी, चमोली, पिथौरागढ़ समेत अन्य पर्वतीय जिलों के जंगलो में आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं। ऐसे में वनों को आग से बचाने के लिए विभागीय तैयारियों पर भी प्रश्न उठने लगे थे।
आए दिन आग की घटना सुर्खियां बन रही
आए दिन वनों में आग की घटनाएं सुर्खियां बन रही हैं। इस सबको देखते हुए वन मंत्री सुबोध उनियाल ने हाल में हुई समीक्षा बैठक में विभाग को निर्देश दिए कि राज्य में अभी से अग्निकाल घोषित किया जाए।बता दें कि गर्मियों में जंगल अधिक धधकते हैं। इसी क्रम में प्रतिवर्ष 15 फरवरी से मानसून आने तक की अवधि को अग्निकाल घोषित किया जाता है। इसी के अनुरूप क्रू-स्टेशन की स्थापना समेत अन्य व्यवस्थाएं की जाती हैं। साथ ही फायर वॉचरों की तैनाती समेत अन्य कदम उठाए जाते हैं।
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